सृजन घोटाले का पैसा कहां गया, 7 साल में एक रुपया भी नहीं मिला; कई आरोपी जेल में हैं बंद
बिहार के चर्चित सृजन घोटाला के उजागर हुए सात साल हो गये। सात अगस्त 2017 को सृजन घोटाला उजागर हुआ था। लेकिन अभी तक एक रुपये भी सरकारी राशि की वसूली नहीं हो पायी है। वसूली मामलों की सुनवाई न्यायालय में चल रही है। घोटाला में अभी भी कई आरोपित जेल में बंद हैं। सात अगस्त 2017 को जिला नजारत शाखा से पहली प्राथमिकी तत्कालीन सहायक नाजिर अमरेन्द्र कुमार यादव द्वारा दर्ज करायी गयी थी। जांच के बाद आधा दर्जन से अधिक कार्यालयों में सरकारी राशि की अवैध निकासी का मामला पकड़ा गया।
इसके अलावा स्वास्थ्य विभाग और आधा दर्जन से अधिक प्रखंडों में भी सरकारी राशि की अवैध निकासी का मामला पाया गया। इसको लेकर दो दर्जन से अधिक प्राथमिकी दर्ज करायी गयी थी। बांका और सहरसा में भी अवैध निकासी को लेकर प्राथमिकी दर्ज करायी गयी थी। सीबीआई ने जांच के बाद पूर्व एडीएम, पूर्व जिला भू-अर्जन पदाधिकारी, जिला कल्याण पदाधिकारी, दी भागलपुर सेन्ट्रल को-ऑपरेटिव बैंक के पूर्व निदेशक के अलावा संबंधित बैंकों के अधिकारियों को गिरफ्तार किया था। अभी भी कई अधिकारी जेल में हैं।
घोटाला उजागर होने के बाद सृजन महिला विकास सहयोग समिति लि. सबौर की प्रबंधकार्यकारिणी को भंग करते हुए प्रशासक की नियुक्ति की गयी। उसमें से कई अभी जेल में बंद हैं। घोटाला उजागर होने के बाद विभाग के निर्देश पर ऑडिट कराया जा रहा है। लेकिन सात साल बाद भी ऑडिट पूरा नहीं हो सका है। जिला सहकारिता पदाधिकारी मनी भूषण प्रसाद ने बताया कि ऑडिट का काम चल रहा है।
कल्याण कार्यालय से सीबीआई ने मांगी रिपोर्ट
जिला कल्याण कार्यालय के 99.88 करोड़ रुपये की अवैध निकासी को लेकर अभी जांच चल रही है। सीबीआई ने कार्यालय से इससे संबंधित जानकारी मांगी है। कार्यालय से वर्ष 2007-08 से लेकर 2016-17 तक योजनावार एवं वर्षवार आवंटन और उपयोगिता प्रमाण पत्र की जानकारी मांगी गयी है। जिला कल्याण पदाधिकारी राजीव कुमार रवि ने बताया कि रिपोर्ट तैयार किया जा रहा है। जल्द ही सीबीआई को भेज दिया जाएगा।
बैंकों ने राशि वापस नहीं की तो दर्ज हुआ मनी सूट
अवैध निकासी से संबंधित विभागों ने बैंकों को पत्र भेजकर राशि वापस करने को कहा। लेकिन किसी बैंक ने राशि वापस नहीं की। राशि वसूली को लेकर जिला कल्याण कार्यालय और स्वास्थ्य विभाग द्वारा नीलाम पत्र दायर किया गया। सुनवाई के बाद नीलाम पत्र पदाधिकारी ने बैंकों को राशि वापस करने का आदेश दिया। लेकिन अभी तक राशि वापस नहीं की गयी। आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में सुनवाई चल रही है। अन्य विभागों ने राशि वसूली के लिए कोर्ट में मनी सूट दायर किया है।
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बिहार के चर्चित सृजन घोटाला के उजागर हुए सात साल हो गये। सात अगस्त 2017 को सृजन घोटाला उजागर हुआ था। लेकिन अभी तक एक रुपये भी सरकारी राशि की वसूली नहीं हो पायी है। वसूली मामलों की सुनवाई न्यायालय में चल रही है। घोटाला में अभी भी कई आरोपित जेल में बंद हैं। सात अगस्त 2017 को जिला नजारत शाखा से पहली प्राथमिकी तत्कालीन सहायक नाजिर अमरेन्द्र कुमार यादव द्वारा दर्ज करायी गयी थी। जांच के बाद आधा दर्जन से अधिक कार्यालयों में सरकारी राशि की अवैध निकासी का मामला पकड़ा गया।
इसके अलावा स्वास्थ्य विभाग और आधा दर्जन से अधिक प्रखंडों में भी सरकारी राशि की अवैध निकासी का मामला पाया गया। इसको लेकर दो दर्जन से अधिक प्राथमिकी दर्ज करायी गयी थी। बांका और सहरसा में भी अवैध निकासी को लेकर प्राथमिकी दर्ज करायी गयी थी। सीबीआई ने जांच के बाद पूर्व एडीएम, पूर्व जिला भू-अर्जन पदाधिकारी, जिला कल्याण पदाधिकारी, दी भागलपुर सेन्ट्रल को-ऑपरेटिव बैंक के पूर्व निदेशक के अलावा संबंधित बैंकों के अधिकारियों को गिरफ्तार किया था। अभी भी कई अधिकारी जेल में हैं।
घोटाला उजागर होने के बाद सृजन महिला विकास सहयोग समिति लि. सबौर की प्रबंधकार्यकारिणी को भंग करते हुए प्रशासक की नियुक्ति की गयी। उसमें से कई अभी जेल में बंद हैं। घोटाला उजागर होने के बाद विभाग के निर्देश पर ऑडिट कराया जा रहा है। लेकिन सात साल बाद भी ऑडिट पूरा नहीं हो सका है। जिला सहकारिता पदाधिकारी मनी भूषण प्रसाद ने बताया कि ऑडिट का काम चल रहा है।
कल्याण कार्यालय से सीबीआई ने मांगी रिपोर्ट
जिला कल्याण कार्यालय के 99.88 करोड़ रुपये की अवैध निकासी को लेकर अभी जांच चल रही है। सीबीआई ने कार्यालय से इससे संबंधित जानकारी मांगी है। कार्यालय से वर्ष 2007-08 से लेकर 2016-17 तक योजनावार एवं वर्षवार आवंटन और उपयोगिता प्रमाण पत्र की जानकारी मांगी गयी है। जिला कल्याण पदाधिकारी राजीव कुमार रवि ने बताया कि रिपोर्ट तैयार किया जा रहा है। जल्द ही सीबीआई को भेज दिया जाएगा।
बैंकों ने राशि वापस नहीं की तो दर्ज हुआ मनी सूट
अवैध निकासी से संबंधित विभागों ने बैंकों को पत्र भेजकर राशि वापस करने को कहा। लेकिन किसी बैंक ने राशि वापस नहीं की। राशि वसूली को लेकर जिला कल्याण कार्यालय और स्वास्थ्य विभाग द्वारा नीलाम पत्र दायर किया गया। सुनवाई के बाद नीलाम पत्र पदाधिकारी ने बैंकों को राशि वापस करने का आदेश दिया। लेकिन अभी तक राशि वापस नहीं की गयी। आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में सुनवाई चल रही है। अन्य विभागों ने राशि वसूली के लिए कोर्ट में मनी सूट दायर किया है।