सूरजकुंड मेले में अफ्रीकी भैंस की हडि्डयों से बनी ज्वेलरी: महिलाओं के लिए अंगूठी-ब्रेसलेट और हार-झुमके; सींग से बनाए बीयर मग – Faridabad News

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सूरजकुंड मेले में अफ्रीकी भैंस की हडि्डयों से बनी ज्वेलरी:  महिलाओं के लिए अंगूठी-ब्रेसलेट और हार-झुमके; सींग से बनाए बीयर मग – Faridabad News
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सूरजकुंड मेले में अफ्रीकी भैंस की हडि्डयों से बनी ज्वेलरी: महिलाओं के लिए अंगूठी-ब्रेसलेट और हार-झुमके; सींग से बनाए बीयर मग – Faridabad News

अफ्रीकी भैंस की हड्‌डीयों और सींग से तैयार प्रोडेक्ट्स को खरीदने के लिए महिलाओं की भीड़ लग रही है।

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हरियाणा के फरीदाबाद में चल रहे सूरजकुंड मेले में हड्डियों से बनी महिलाओं की ज्वेलरी ग्राहकों का ध्यान खींच रही है। इसमें अंगूठी से लेकर गले का हार, ब्रेसलेट और कानों के झुमके तक शामिल हैं। इसके अलावा सींग से बना बीयर मग और ड्रिंक शॉट भी उपलब्ध हैं।

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उत्तर प्रदेश के संभल से आए शिल्पकार ऐसे ही कई प्रोडक्ट साथ लेकर आए हैं। उनका कहना है कि ये सारे आइटम्स अफ्रीकी भैंस की हड्डियों और सींग से बनते हैं। केंद्र सरकार इन हड्डियों को मंगवाकर उन्हें बेचती है। इससे सालाना उनकी 40 लाख रुपए तक कमाई होती है। इसके अलावा अमेरिका समेत कई देशों में इसकी सप्लाई भी होती है।

हड्डियों से बने प्रोडक्ट्स की तस्वीरें…

हड्डियों और सींगों से बनी कंघी लोगों को काफी आकर्षित कर रही है। दुकान में कई प्रकार का सजावटी सामान भी मौजूद है।

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हड्डियों से अलग-अलग तरह की ज्वेलरी बनाई गई हैं। इसमें गले के हार से लेकर अंगूठी शामिल हैं।

सींग से वॉल शोपीस और हॉर्न बनाए गए हैं।

दादा ने दादी के लिए कंघी बनाई और पुश्तैनी काम बन गया सूरजकुंड मेले में स्टॉल लगाकर बैठे संभल के शिल्पकार मोहम्मद शोएब बताते हैं कि उनके दादा यह काम करते थे। असल में उनकी दादी को कंघी की जरूरत थी। उनके दादा ने इसी तरह हड्डियों से कंघी बनाकर उन्हें दी। इसके बाद और भी प्रोडक्ट तैयार करने शुरू कर दिए। धीरे-धीरे यह उनका पुश्तैनी काम बन गया।

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शोएब बताते हैं कि वह बीकॉम पढ़े हैं। वह नौकरी करना चाहते थे। उन्हें इस काम में कोई दिलचस्पी नहीं थी। हालांकि, उन्होंने परिजनों के कहने पर कुछ दिन इसका काम किया तो उन्हें पसंद आया। इसके बाद उन्होंने इसे पेशे के तौर पर चुन लिया।

कहां से मिलती हैं हडि्डयां शोएब बताते हैं कि भारत सरकार के अफ्रीका से अफ्रीकी भैंस का सींग और उसकी हड्डियों को मंगाती है। इन्हें आगे शिल्पकारों को बेच दिया जाता है।

वह बताते हैं कि ऐसा नहीं है कि हड्डियां और सींग मिलते ही उसके प्रोडक्ट बना देते हैं। हड्‌डी की पहले कई दिन तक प्रोसेसिंग की जाती है। इसमें उसे गर्म कर मांस को पूरी तरह साफ किया जाता है।

फिर उसे केमिकल से भी साफ किया जाता है, ताकि उसमें कोई बदबू न रहे। इस सब काम में एक हफ्ते का टाइम लग जाता है। इसके बाद मशीन के जरिए अलग-अलग तरह के प्रोडक्ट बनाए जाते हैं।

यूरोपीय देशों में ज्यादा डिमांड मोहम्मद शोएब बताते हैं कि उनके प्रोडक्ट्स की डिमांड विदेश में ज्यादा है। जर्मनी, अमेरिका, इटली, फ्रांस और ऑस्ट्रेलिया में उनके प्रोडक्ट्स जाते हैं। यूरोपीय देशों में कई प्रोडक्ट्स की ज्यादा डिमांड है।

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