सूबे के 8564 निजी स्कूल यू डायस से पंजीकृत नहीं, छात्रों के भविष्य पर संकट h3>
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राज्य के 8564 निजी स्कूल अभी भी यू-डायस (यूनिफाइड डिस्ट्रिक्ट इंफार्मेशन सिस्टम फॉर एजुकेशन) से पंजीकृत नहीं हैं। ऐसे में इन स्कूलों में पढ़ने वाले हजारों बच्चों का भविष्य संकट में पड़ गया है। अब जब नया सत्र शुरू हुआ है तो इन स्कूलों में पढ़नेवाले कई बच्चों के अभिभावक अन्य स्कूल में दाखिला करवा रहे हैं। टीसी पर स्कूल का यू-डायस नंबर नहीं होने से इन्हें दाखिला नहीं मिल पा रहा।
अभिभावक इसकी शिकायत लेकर संबंधित जिला शिक्षा कार्यालय पहुंच रहे हैं। पटना जिला की बात करें तो लगभग सौ से अधिक अभिभावकों ने इसकी शिकायत की है। शिक्षा विभाग और बिहार शिक्षा परियोजना परिषद की मानें तो यह स्थिति हर जिले की है। बता दें कि राज्य के सभी सरकारी और निजी स्कूलों को यू-डायस से पंजीकृत होना अनिवार्य है। लेकिन अब भी हजारों निजी स्कूल यू-डायस से पंजीकृत होने में रुचि नहीं लेते हैं।
बाइपास स्थित एक निजी स्कूल ने नौवीं तक के लिए प्रवेश परीक्षा आयोजित की। पर कई बच्चों का स्कूल ने दाखिला यह कह कर नहीं लिया कि उनके टीसी पर यू-डायस नंबर नहीं है। अभिभावकों ने जब पता किया तो पता चला कि स्कूल पंजीकृत नहीं है। बेली रोड स्थित एक स्कूल की प्रवेश परीक्षा में कई छात्र पास कर गये। पर उनका दाखिला स्कूल ने नहीं लिया। स्कूल प्रशासन के अनुसार बिना यू-डायस नंबर के दाखिला नहीं ले सकते हैं। अब अभिभावक इसकी शिकायत लेकर डीईओ कार्यालय पहुंचे हैं।
क्या है यू-डायस?
देशभर के स्कूलों के बारे में एक डेटाबेस तैयार करना है। इसके तहत हर स्कूल को एक यू-डायस नंबर दिया जाता है। इसी नंबर से संबंधित स्कूल की पहचान होती है। इससे देशभर के सरकारी और निजी स्कूलों की संख्य, वहां के शिक्षकों की संख्या के साथ स्कूल की मूलभूत संरचना आदि की जानकारी लेनी है। इसी के अनुसार स्कूलों को शिक्षा मंत्रालय विभिन्न मद में राशि उपलब्ध करवाती है।
एसोसिएशन की ओर से लगातार स्कूलों को यू-डायस नंबर के लिए आवेदन करने को कहा जाता है। पर कई स्कूलों ने पंजीकरण नहीं करवाया है। इसका नुकसान अभिभावक झेलते हैं। -मो. सोहेल, सचिव, चिल्ड्रेन वेलफेयर एसोसिएशन
हर स्कूल के लिए यू-डायस नंबर अनिवार्य है। इसके लिए स्कूलों को आवेदन देना होता है तभी यू-डायस से पंजीकृत किया जाता है। पर अब भी कई निजी स्कूल यू-डायस नंबर नहीं लिये हैं। इन स्कूलों के बच्चों का दाखिला कहीं नहीं होगा। -संजय कुमार, डीईओ पटना
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राज्य के 8564 निजी स्कूल अभी भी यू-डायस (यूनिफाइड डिस्ट्रिक्ट इंफार्मेशन सिस्टम फॉर एजुकेशन) से पंजीकृत नहीं हैं। ऐसे में इन स्कूलों में पढ़ने वाले हजारों बच्चों का भविष्य संकट में पड़ गया है। अब जब नया सत्र शुरू हुआ है तो इन स्कूलों में पढ़नेवाले कई बच्चों के अभिभावक अन्य स्कूल में दाखिला करवा रहे हैं। टीसी पर स्कूल का यू-डायस नंबर नहीं होने से इन्हें दाखिला नहीं मिल पा रहा।
अभिभावक इसकी शिकायत लेकर संबंधित जिला शिक्षा कार्यालय पहुंच रहे हैं। पटना जिला की बात करें तो लगभग सौ से अधिक अभिभावकों ने इसकी शिकायत की है। शिक्षा विभाग और बिहार शिक्षा परियोजना परिषद की मानें तो यह स्थिति हर जिले की है। बता दें कि राज्य के सभी सरकारी और निजी स्कूलों को यू-डायस से पंजीकृत होना अनिवार्य है। लेकिन अब भी हजारों निजी स्कूल यू-डायस से पंजीकृत होने में रुचि नहीं लेते हैं।
बाइपास स्थित एक निजी स्कूल ने नौवीं तक के लिए प्रवेश परीक्षा आयोजित की। पर कई बच्चों का स्कूल ने दाखिला यह कह कर नहीं लिया कि उनके टीसी पर यू-डायस नंबर नहीं है। अभिभावकों ने जब पता किया तो पता चला कि स्कूल पंजीकृत नहीं है। बेली रोड स्थित एक स्कूल की प्रवेश परीक्षा में कई छात्र पास कर गये। पर उनका दाखिला स्कूल ने नहीं लिया। स्कूल प्रशासन के अनुसार बिना यू-डायस नंबर के दाखिला नहीं ले सकते हैं। अब अभिभावक इसकी शिकायत लेकर डीईओ कार्यालय पहुंचे हैं।
क्या है यू-डायस?
देशभर के स्कूलों के बारे में एक डेटाबेस तैयार करना है। इसके तहत हर स्कूल को एक यू-डायस नंबर दिया जाता है। इसी नंबर से संबंधित स्कूल की पहचान होती है। इससे देशभर के सरकारी और निजी स्कूलों की संख्य, वहां के शिक्षकों की संख्या के साथ स्कूल की मूलभूत संरचना आदि की जानकारी लेनी है। इसी के अनुसार स्कूलों को शिक्षा मंत्रालय विभिन्न मद में राशि उपलब्ध करवाती है।
एसोसिएशन की ओर से लगातार स्कूलों को यू-डायस नंबर के लिए आवेदन करने को कहा जाता है। पर कई स्कूलों ने पंजीकरण नहीं करवाया है। इसका नुकसान अभिभावक झेलते हैं। -मो. सोहेल, सचिव, चिल्ड्रेन वेलफेयर एसोसिएशन
हर स्कूल के लिए यू-डायस नंबर अनिवार्य है। इसके लिए स्कूलों को आवेदन देना होता है तभी यू-डायस से पंजीकृत किया जाता है। पर अब भी कई निजी स्कूल यू-डायस नंबर नहीं लिये हैं। इन स्कूलों के बच्चों का दाखिला कहीं नहीं होगा। -संजय कुमार, डीईओ पटना