सूबे की सबसे ऊंची पक्षीशाला राजगीर में बनकर तैयार, शीघ्र होगा उद्घाटन

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सूबे की सबसे ऊंची पक्षीशाला राजगीर में बनकर तैयार, शीघ्र होगा उद्घाटन

सूबे की सबसे ऊंची पक्षीशाला राजगीर में बनकर तैयार, शीघ्र होगा उद्घाटन

हिन्दुस्तान एक्सक्लूसिव : सूबे की सबसे ऊंची पक्षीशाला राजगीर में बनकर तैयार, शीघ्र होगा उद्घाटन रंग-बिरंगे पक्षियों को नजदीक से निहारने का सैलानियों को मिलेगा मौका पक्षियों के वैज्ञानिक नाम के साथ जीवन-प्रणाली की जानकारी ले सकेंगे छात्र शोधार्थियों के लिए भी होगा आकर्षण का केन्द्र, कर सकेंगे पक्षियों का विस्तृत अध्ययन पक्षियों की 100 से अधिक प्रजातियों के रखने की है पुख्ता व्यवस्था अन्य पक्षीशालाओं से देसी-विदेशी पक्षियां लाने को किया गया आवेदन फोटो : एवियरी : राजगीर जू-सफारी में बनायी गयी पक्षीशाला। बिहारशरीफ, कार्यालय संवाददाता। सूबे की सबसे ऊंची पक्षीशाला (बर्ड एवियरी) राजगीर की जू-सफारी में बनकर तैयार है। सितंबर में इसके उद्घाटन के लिए हर निर्माण व व्यवस्था को फाइनल टच दिया जा रहा है। सैलानियों को यहां रंग-बिरंगे पक्षियों को नजदीक से निहारने का मौका मिलेगा। पक्षियों के आवास के समीप वैज्ञानिक नाम के साथ, उनकी जीवन-प्रणाली से संबंधित होर्डिंग लगी होगी। इसकी मदद से छात्र जानकारियां ले सकेंगे। पक्षी विज्ञान के शोधार्थियों के लिए भी यह आकर्षण का केन्द्र होगा। वे सफारी प्रबंधन से अनुमति लेकर पक्षियों का विस्तृत अध्ययन कर सकेंगे। आधा हेक्टेयर में बनी पक्षीशाला की ऊंचाई 50 फीट है। पटना जू के बाद यह सूबे की दूसरी पक्षीशाला है। देसी-विदेशी पक्षियों की 100 से अधिक प्रजातियों के रखने की पुख्ता व्यवस्था की गयी है। इनको यहां लाने के लिए देश के अन्य पक्षीशालाओं से आग्रह करते हुए जू अथॉरिटी ऑफ इंडिया (जेडएआई) के पास आवेदन भी किया जा चुका है। कागजी प्रक्रियाएं पूरी होते ही पक्षियां राजगीर लाये जाएंगे। सबसे पहले उन्हें यहां के वातावरण में रहने लायक बनाया जाएगा। बर्ड एवियरी क्या है: बर्ड एवियरी के इंचार्ज अरविंद कुमार ने बताया कि यह पक्षियों के रखरखाव की घेरानुमा बड़ी संरचना है। यह इतनी बड़ी है कि पक्षी आकाश में उड़ने का बखूबी लुत्फ उठा सकेंगे। छोटे पंछी इसमें से बाहर जाकर उन्मुक्त गगन में भी विचरण कर सकेंगे। वहीं संरचना से बाहर के पंछी भी यहां रखा दाना-पानी का उपयोग कर सकेंगे। हालांकि, बड़े पक्षी उन्मुक्त गगन में नहीं जा सकेंगे। एवियरी पक्षी पिंजरों से अलग हैं। क्योंकि, वे पक्षियों को एवियरी के अंदर उड़ने के लिए पर्याप्त जगह प्रदान करती हैं। इसलिए, इन्हें उड़ान पिंजरे के रूप में भी जाना जाता है। पौधे और झाड़ियां भी : राजगीर बर्ड एवियरी में कई झाड़ियों के अलावा बांस, फलदार व फूलदार 200 से अधिक पौधे लगाये गये हैं। इनमें शहतूत, लक्ष्मण फल, रामफल, सीताफल, अमरूद, सेमल, सलैया शामिल हैं। ऐसे में एवियरी के अंदर प्राकृतिक वातावरण का पक्षी अनुकरण करते हैं। चारों ओर जेट्रोफा के पौधे लगाये गये हैं। बटरफ्लाई पार्क : एवियरी के चारों ओर छह फीट गोलाई में बटरफ्लाई पार्क बनाया गया है। जलीय पक्षियों की सुविधा के लिए तालाब भी बनाये गये हैं। वेबनेट यानि जाली स्टील की बनी है। लेकिन, इसकी डिजाइन ऐसी कि पक्षियों को टकराने के बाद भी चोट महसूस नहीं होगी। प्रदूषण से बचाव व बेहतर जल प्रबंधन इसे देश की अन्य पक्षीशालाओं से अलग करता है। इतिहास : उप निदेशक राकेश कुमार ने बताया कि एवियरी का प्राचीन उपयोग 1500 के दशक से भी पहले का है। लेकिन, सबसे पुरानी पक्षीशाला ‘रेवेन पिंजरा है, जो 1829 से लंदन चिड़ियाघर में मौजूद है। आधुनिक तरीके से पहली बड़ी एवियरी वर्ष 1880 में रॉटरडैम चिड़ियाघर में स्थापित की गयी थी। दुनिया की सबसे बड़ी एवियरी दक्षिण अफ्रीका बर्ड्स ऑफ ईडन (दिसंबर 2005 में बना) है। 2.3 हेक्टेयर में फैली और 164 फीट ऊंची है। 220 प्रजातियों के 35 सौ से अधिक पक्षी रहते हैं। दूसरे नंबर पर सिंगापुर का जुरोंग बर्ड पार्क की वाटरफॉल एवियरी है। यह दो हेक्टेयर में फैली और 141 फीट ऊंची है। फ्रांस की ‘ला ​​टेरे डेस आइगल्स एवियरी तीसरे स्थान पर आता है। यह 1.8 हेक्टेयर में फैली यूरोप की सबसे बड़ी एवियरी है। जबकि, दुनिया की सबसे बड़ी एग्जॉटिक एवियरी जियोडेसिक डोम गुजरात के केवडिया नर्मदा जिले में स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के पास सरदार पटेल जूलॉजिकल पार्क में स्थित है। अधिकारी बोले : राजगीर पक्षीशाला बनकर तैयार है। पक्षी लाने के लिए आवेदन किया जा चुका है। पक्षियों के आते ही इसे सैलानियों के लिए खोल दिया जाएगा। यह कई मायने में देश की अन्य एवियरी के अनोखी है। हेमंत पाटिल, निदेशक, जू-सफारी, राजगीर

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