सुविधाओं की दरकार: 40% पार्क बदहाल… झूले टूटे, लाइट नहीं, फाउंटेन बंद – Bhopal News h3>
गर्मी का मौसम शुरू होते ही शहर के पार्कों में लोगों की चहल-पहल बढ़ने लगेगी। कहने को शहर में 174 सार्वजनिक पार्क हैं, लेकिन इनमें से 40% से अधिक की हालत इतनी खराब है कि वहां जाना और टहलना मुश्किल हो गया है। ज्यादातर पार्कों में झूले टूटे पड़े हैं, लाइ
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कमला पार्क में जाली की दरकार
रेतघाट स्थित कमला पार्क में झूले और फिसलपट्टी टूटी हुई हैं। रोजाना यहां 2,000 से ज्यादा लोग आते हैं, लेकिन झूले खराब होने के कारण बच्चे खाली घूमते रहते हैं। सबसे बड़ी चिंता ट्रांसफॉर्मर का खुला पड़ा होना है, जिसके चारों ओर कोई सुरक्षा जाली भी नहीं लगी है। बच्चों की बड़ी संख्या को देखते हुए यह गंभीर खतरा बन सकता है।
प्रियदर्शनी पार्क में झूले टूटे
पॉलिटेक्निक चौराहे के पास बने प्रियदर्शनी पार्क में झूले टूटे पड़े हैं, जिससे बच्चों के मनोरंजन का कोई साधन नहीं बचा है। पार्किंग की कोई व्यवस्था न होने के कारण लोग गेट पर ही वाहन खड़े कर देते हैं, जिससे अंदर जाने में परेशानी होती है। स्थानीय रहवासी यहां सुविधाओं की मांग कर रहे हैं।
स्मार्ट सिटी पार्क: 9.45 करोड़ का फाउंटेन डस्टबिन बना
स्मार्ट सिटी पार्क को 9.45 करोड़ रुपए की लागत से बनाया गया था, लेकिन इसकी हालत अब दयनीय है। फाउंटेन बंद पड़ा है और कचरे का ढेर बन गया है। यहां हरियाली कम और कंक्रीट ज्यादा नजर आता है। इंटरलॉकिंग उखड़ने लगी है, जिससे पैदल चलना भी मुश्किल हो रहा है।
चिल्ड्रन पार्क में न झूले, न रोशनी
शाहपुरा लेक के सामने बने चिल्ड्रन पार्क में न तो झूले हैं और न ही लाइट की व्यवस्था। स्ट्रीट लाइटें खराब हैं, जिससे अंधेरा होने के बाद टहलना मुश्किल हो जाता है। बैठने के लिए लगीं कुर्सियां जमीन में धंस चुकी हैं। बुजुर्गों को यहां बैठना भी मुश्किल हो जाता है।
समाधान
हार्टिकल्चर एक्सपर्ट को सौंपें जिम्मेदारी नगर निगम के कुल 160 पार्क शहर में हैं। इनमें से ज्यादातर की हालत बदहाल है। सबसे पहले लोगों को जागरूक होना पड़ेगा। पार्कों का प्रबंधन हार्टिकल्चर एक्सपर्ट्स को सौंपा जाना चाहिए। वे मिट्टी, मौसम और उपलब्ध स्थान के आधार पर सही निर्णय ले सकते हैं। इंजीनियरों के साथ मिलकर बच्चों, बुजुर्गों और आम जनता के लिए सुविधाओं का बेहतर विकास किया जा सकता है। साथ ही, यदि कोई व्यक्ति पार्क की संपत्ति को नुकसान पहुंचाता है, तो उसकी शिकायत तुरंत दर्ज करानी चाहिए, ताकि शहर के पार्कों की दुर्दशा रोकी जा सके। – भगवती कंडवाल, पूर्व उद्यान अधिकारी, नगर निगम