सिंगरौली में मानसून की पहली बारिश: एक घंटे में 27.9 मिमी वर्षा दर्ज, जयंत बनिया नाला उफना, यातायात रुका – Singrauli News h3>
सिंगरौली जिले में गुरुवार शाम 5 बजे के बाद मानसून की पहली बारिश हुई। जिले में कुल 27.9 मिमी वर्षा दर्ज की गई। खिरवा, मोरवा, जयंत और बैढ़न अंचल में करीब एक घंटे तक बारिश होती रही।
.
बारिश के कारण यूपी की सीमा से लगा जयंत बनिया नाला उफान पर आ गया। इससे एक घंटे से अधिक समय तक यातायात बाधित रहा। एनटीपीसी विंध्याचल परिसर के कई नालों में भी पानी भर गया।
जिले में 48 घंटों से काले बादल छाए हुए थे। गुरुवार दोपहर में तेज चमक-गरज के साथ खिरवा, बिरकुनिया, मोरवा, पंजेरह, जयंत और बैढ़न इलाके में बारिश शुरू हुई। इससे मौसम ठंडा हो गया।
दो दिन पहले चितरंगी और दुधमनिया तहसील क्षेत्र में भी मूसलाधार बारिश हुई थी। इससे खेत और गड्ढे पानी से भर गए थे।
बारिश से नगर निगम क्षेत्र की नालियां भर गईं। बिलौंजी कॉन्वेंट स्कूल चौराहे के पास जाम नाली का पानी और कचरा सड़क पर फैल गया। इससे लोगों को आवागमन में परेशानी हो रही है। मौसम विभाग के अनुसार आने वाले दिनों में और बारिश की संभावना है।
अन्नदाताओं के चेहरे पर खुशी, धान के बीज डालने की तैयारी शुरू ऊर्जाधानी में मानसून के दस्तक देते ही किसानों के चेहरे खिलने लगे, वे धान की बीज डालने की तैयारी में जुट गए हैं। बाजारों के खाद-बीज दुकानों में अन्नदाता धान की बीज खरीदने के लिए लाइन में लग रहे हैं। वहीं अच्छी किस्म की बीज बताकर नकली बीज बिक्री कर रहे हैं। आरोप है कि कृषि विभाग अमला मौन है, जबकि हर वर्ष ऐसे शिकायतें मिलती रहती हैं कि नकली खाद-बीज की बिक्री जोरों से की जाती हैं। फिर भी मैदानी कृषि अमला ऐसे खाद-बीज दुकानों के विक्रेताओं पर नकेल कसने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाता है। आज और कल दोनों दिन बारिश की है संभावना मौसम विभाग ने अनुमान जताया था कि आज दिन गुरुवार को सिंगरौली अंचल में करीब 45 मिनट तक बारिश होगी और हुई भी। उधर मौसम विभाग ने अनुमान जताया है कि शुक्रवार एवं शनिवार को भी बारिश होगी, जिसमें कल भी तेज बारिश होने की संभावना जताई गई है।
माना जा रहा है कि मानसून के इस आगाज से प्रशासन भी तेज बारिश एवं बाढ़ से निपटने के लिए जोर-शोर से तैयारियों में जुट जाएगा। हालांकि, कलेक्टर चंद्रशेखर शुक्ला ने बाढ़ से निपटने के लिए अधिकारियों एवं मैदानी अमले को निर्देश जारी किया है। साथ ही बाढ़ से प्रभावित क्षेत्रों को चिह्नित करने के भी निर्देश दिए गए हैं। बाढ़ का सबसे ज्यादा असर चितरंगी के सोनतीर इलाके में रहता है। जहां सोन नदी के बाढ़ का खतरा मंड़राता रहता है। हालांकि पिछले वर्ष के बाढ़ जैसे स्थिति निर्मित नहीं हुई थी।