साल 2016 से पहले देश में हो चुकी है नोटबंदी, जानिए उस समय कौन से नोटों पर लगी थी पाबंदी, क्यों लिया गया था फैसला

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साल 2016 से पहले देश में हो चुकी है नोटबंदी, जानिए उस समय कौन से नोटों पर लगी थी पाबंदी, क्यों लिया गया था फैसला

साल 2016 से पहले देश में हो चुकी है नोटबंदी, जानिए उस समय कौन से नोटों पर लगी थी पाबंदी, क्यों लिया गया था फैसला


नई दिल्ली:नोटबंदी के फैसले पर सरकार को सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने बड़ी राहत दी है। राजनीतिक रूप से काफी चर्चा में रहे इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने साफ कह दिया है कि इसमें कोई त्रुटि नहीं थी। पीठ ने बहुमत से माना है कि नोटबंदी (Demonetisation) का उद्देश्य ठीक था। मोदी सरकार ने 8 नवंबर 2016 को देश में नोटबंदी की थी। इस दौरान सरकार ने एक हजार रुपये के नोट को डिमोनेटाइज करने का ऐलान किया था। इस घोषणा के साथ ही एक हजार को बंद कर नया 2000 रुपये का नोट जारी किया गया था। कोर्ट ने 6 महीने तक चली लंबी सुनवाई के बाद माना है कि नोटबंदी (Demonetisation) का फैसला सही था, लेकिन क्या आप जानते हैं कि साल 2016 से पहले भी देश में दो बार नोटबंदी (Demonetisation) की जा चुकी है। इस दौरान भी नोटों पर पाबंदी लगाई गई थी। आइए आपको बताते हैं कि 2016 से पहले देश में कब-कब डिमोनेटाइजेशन का एलान किया गया।

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साल 1946 में की गई नोटबंदी

देश में पहली नोटबंदी साल 1946 में हुई थी। आप जानकर हैरान हो जाएंगे ये नोटबंदी ब्रिटिश साम्राज्य के दौरान की गई थी। भारत के वायसराय और गर्वनर जनरल सर आर्चीबाल्ड वेवेल ने 12 जनवरी 1946 में हाई करेंसी वाले बैंक नोट डिमोनेटाइज (Demonetisation) करने को लेकर अध्यादेश प्रस्तावित किया था। इसके 13 दिन बाद यानी 26 जनवरी रात 12 बजे के बाद से ब्रिटिश काल में जारी 500 रुपये, 1000 रुपये और 10000 रुपये के हाई करेंसी के नोट प्रचलन से बाहर हो गए थे। आजादी से पहले 100 रुपये से ऊपर के नोटों पर प्रतिबंध लगाया गया था। सरकार ने उस वक्त यह फैसला लोगों के पास जमा कालाधन वापस लाने के लिए किया गया था। ऐसा माना जाता था कि उस समय भारत में व्यापारियों ने मित्र देशों को सामान आयात करते हुए भारी संपत्ति जमा की थी और इनकम टैक्स डिपार्टमेंट से मुनाफे को छुपा रहे थे।

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कालाधन खत्म करने के लिए 1978 में हुई नोटबंदी

देश में कालेधन को खत्म करने के लिए अंग्रेजों से आजादी मिलने के बाद साल 1978 में भी नोटबंदी (Demonetisation) की गई थी। ये आजाद भारत की पहली नोटबंदी थी। इसे कालेधन को खत्म करने के साथ भ्रष्टाचार को रोकने और अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए भी किया गया था। 1978 में मोरारजी देसाई सरकार ने बड़े नोटों को डिमोनेटाइज किया था। इस दौरान जब नोटों को डिमोनेटाइज किया गया तो भी कमोबेश 2016 जैसे ही हालात थे। उस समय के अखबारों में प्रकाशित खबरों के मुताबिक, लोगों को काफी दिक्कतें हुई थीं। जनता पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार ने 16 जनवरी 1978 को 1000 रुपये, 5000 रुपये और 10 हजार रुपये के नोटों को बंद करने की घोषणा की थी। सरकार ने इस नोटबंदी की घोषणा के अगले दिन यानी 17 जनवरी को लेनदेन के लिए सभी बैंकों और उनकी ब्रांचों के अलावा सरकारों के खजाने को बंद रखने का फैसला किया था।

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