सरपंच को घर से घसीटकर निकाला, गला काटा: सबसे बड़े कमांडर हिड़मा के गांव में लौटे नक्सली, गांववाले बोले- CRPF ने हमें ही पीटा

2
सरपंच को घर से घसीटकर निकाला, गला काटा:  सबसे बड़े कमांडर हिड़मा के गांव में लौटे नक्सली, गांववाले बोले- CRPF ने हमें ही पीटा
Advertising
Advertising

सरपंच को घर से घसीटकर निकाला, गला काटा: सबसे बड़े कमांडर हिड़मा के गांव में लौटे नक्सली, गांववाले बोले- CRPF ने हमें ही पीटा

बीते 8 जून, शनिवार, शाम के करीब 7:30 बजे थे। जंगलों के बीच बसे पूवर्ती गांव में बिल्कुल खामोशी थी। ये गांव छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में है। अंधेरा होने के बाद यहां चहल-पहल बंद हो जाती है। गांव के सरपंच रामा बोडके भी घर में ही थे। तभी घने पेड़ों के बीच

Advertising

.

उन लोगों ने रामा को घसीटकर बाहर निकाला। पहले डंडों से पीटा, फिर गर्दन पर कुल्हाड़ी मार दी। रामा को बचाने जो आया, उसे भी पीटा। ये हमलावर नक्सली थे। उन्होंने एक लेटर भी छोड़ा, जिसमें लिखा था कि रामा पुलिस का मुखबिर है, इसलिए उसे मौत की सजा दी गई है।

Advertising

रामा जिस पूवर्ती गांव के सरपंच थे, वो मोस्ट वांटेड नक्सली CPI (माओवादी) के सेंट्रल कमेटी मेंबर माड़वी हिड़मा और बटालियन नंबर-1 के कमांडर देवा बारसे का भी गांव है।

‘नक्सलगढ़ से भास्कर’ सीरीज की इस स्टोरी में पढ़िए कैसे पूवर्ती गांव से निकला हिड़मा एक करोड़ का इनामी नक्सली बन गया। कैसे ये गांव नक्सलियों से आजाद हुआ और क्या रामा बोडके की हत्या उनके आतंक की वापसी की ओर इशारा है।

नक्सलियों की परमिशन के बिना गांव में नहीं घुस पाते थे बाहरी पूवर्ती गांव सुकमा-बीजापुर जिले के बॉर्डर पर बसा है। दोनों जिले नक्सल प्रभावित हैं। पूवर्ती गांव में भी नक्सलियों का आना-जाना था। 1996-97 में हिड़मा के नक्सली बनने के बाद तो पूवर्ती पर नक्सलियों का राज हो गया। बिना उनकी परमिशन के कोई बाहरी व्यक्ति गांव में नहीं आ सकता था।

Advertising

जनवरी, 2024 में गांव के पास CRPF कैंप बना। इसी के बाद माहौल बदलना शुरू हुआ। गांव में पंचायत चुनाव हुए। पहली बार गांववालों ने वोट डाले। तभी रामा बोडके सरपंच चुने गए थे। गांव में सब ठीक चल रहा था, उसी वक्त रामा की हत्या कर दी गई। रामा के घर से CRPF कैंप सिर्फ 200 मीटर दूर है। इसके बावजूद नक्सली आए, रामा को पीटा, हत्या की और चले गए।

रामा का 12 साल का बेटा हत्या का चश्मदीद हम गांव पहुंचे, तब वहां पंचायत चल रही थी। गांववाले रामा की जगह एक अस्थायी सरपंच चुनने के लिए जुटे थे। यहां सरपंच नक्सलियों और सरकार के बीच कड़ी की तरह काम करते हैं। रामा भी यही कर रहे थे।

पूवर्ती गांव में पंचायत करके रामा की जगह नए सरपंच का चुनाव किया गया। ये जिम्मेदारी हिरमा नाम के शख्स को दी गई।

Advertising

रामा की हत्या उनके 12 साल के बेटे संतोष के सामने की गई। संतोष 7वीं में पढ़ता है। संतोष अब भी सहमा हुआ रहता है। आवाज कांपती है। उसे पापा के मर्डर की पूरी घटना याद है।

संतोष ने बताया, ’शाम 7 बजे की बात है। कुछ लोग गांववालों को पकड़कर लाए और एक जगह बिठा दिया। उनसे कुछ पूछने लगे। इसके बाद उन लोगों ने हमारे घर को घेर लिया। दो लोग पापा को पीटने लगे। उन्हें घसीटकर ले गए। पहले डंडे से और फिर कुल्हाड़ी से गर्दन के पास मारा।’

मैं सब देख रहा था। पापा को पीट रहे लोगों ने मुंह पर कपड़ा बांधा था, इसलिए मैं उन्हें पहचान नहीं पाया। पापा चिल्ला-चिल्लाकर पूछ रहे थे कि मेरी क्या गलती है।

QuoteImage

‘मैं पापा की तरफ दौड़ा, तो एक हमलावर ने मुझे मारने के लिए डंडा उठाया। मैं वहां से भागा। वे लोग मेरे पीछे-पीछे आए। कह रहे थे कि तुझे भी पापा के पास पहुंचा देंगे। मैं उनके हाथ नहीं आया, तो वे लौट गए। मैं सीधा CRPF कैंप में गया और जवानों को सब बताया।’

‘इसके बाद फोर्स गांव में आई। तब तक नक्सलियों ने मेरे पापा को मार दिया और वहीं छोड़ गए। जाते-जाते मेरी दीदी से कहते हुए गए, ‘जाकर देखो, तुम्हारा पापा वहां बैठा है।’

‘मेरे पापा गांव के पटेल थे। सबकी मदद करते थे। चाहे कोई बीमार हो, उसे अस्पताल ले जाना हो या कोई जेल में फंस गया हो, पापा हमेशा आगे रहते थे। यहां तक कि मुठभेड़ में मारे गए नक्सलियों की लाशें लाने में भी मदद करते थे।’

‘उन्हें पहले भी एक बार धमकी मिली थी। 2019 में मनिला नाम की एक महिला नक्सली ने उनसे कहा था कि अगर वे नहीं सुधरे, तो वो उन्हें खत्म कर देगी। इसके बाद पापा गांव से बाहर या अकेले बाजार भी नहीं जाते थे।’

संतोष ये सब बता रहा था, तब उसकी मां सुरेखा पास ही बैठी थीं। वे कहती हैं, नक्सली कह रहे थे कि मेरे पति पुलिस की मुखबिरी करते हैं। CRPF कैंप में जाकर खबर देते हैं। इसके लिए उन्हें पैसे मिलते हैं। हम लोग पति को बचाने के लिए उनके ऊपर लेट गए, तो उन्होंने हमें भी पीटा। वे धमकी दे रहे थे कि पूरे परिवार को खत्म कर देंगे।’

‘वे तो गांव के पटेल थे। पूरे गांव को संभालते थे। अगर कोई गलती से नक्सलियों के साथ चला जाता था, तो उसे वापस लाने में मदद करते थे। जेल जाने वालों की मदद करते थे। झूठे आरोप लगाकर उनकी जान ले ली।’

रामा के भाई बोले- भाई को नक्सलियों के समर्थकों ने मारा रामा के भाई बड़के परिवार से अलग दावा करते हैं। उनका मानना है कि उनके भाई की हत्या में नक्सली नहीं, बल्कि उनके नाम का इस्तेमाल करने वाले स्थानीय समर्थक हैं। रामा की हत्या के बाद नक्सलियों के नाम से एक लेटर मिला था। इसमें लिखा था कि रामा जमीन पर कब्जा कर रहे थे।

रामा की हत्या के बाद CPI (माओवादी) की तरफ से ये लेटर छोड़ा गया। इसमें लिखा था कि पार्टी ने रामा को मौत की सजा दी है।

इस पर उनके भाई बताते हैं, ‘हम लोग तो बाहर रहते हैं, नौकरी करते हैं। हमने आज तक किसी की जमीन नहीं छीनी, न कोई गलत काम किया है। फिर भी मेरे भाई को बेवजह मार दिया।’

आरोप- रामा के मर्डर के बाद फोर्स ने गांववालों को पीटा

पहली आपबीती सांवला की रामा बोडके की हत्या के अगले दिन 9 जून की सुबह CRPF की टीम जांच के लिए गांव आई थी। गांववालों का आरोप है कि पूछताछ के नाम पर कई लोगों को कैंप ले जाकर बुरी तरह पीटा गया।

40 साल के सांवला सोमलु भी इनमें शामिल हैं। वे अपने शरीर पर लगी चोटों के निशान दिखाते हैं। उनका कान सूजा हुआ है और पीठ पर पिटाई के निशान हैं।

सांवला कहते हैं, ‘CRPF वाले सुबह 9 बजे मुझे उठाकर ले गए। मैं उस वक्त पटेल के मर्डर वाली जगह पर ही था। वे मुझसे पूछ रहे थे कि रामा को किसने मारा। मैंने उनसे कहा भी कि मुझे इस बारे में कुछ नहीं पता।’

‘फिर वे मुझे कैंप ले गए। मेरे कपड़े उतरवा दिए। डंडों और लातों से मारा। दोपहर 2 बजे तक रुक-रुक कर मुझे पीटते रहे। पिटते-पिटते मैं बेहोश हो गया। मुझे तो ये भी नहीं पता कि कितने लोग मिलकर पीट रहे थे। सिर्फ मुझे ही नहीं, दो-तीन और लोगों को भी पकड़कर ले गए थे।’

‘मेरे पूरे शरीर पर पिटाई के निशान हैं। पूरा शरीर सूज गया था। पेट पर मारा, कान पर इतनी बार मारा कि चेहरा पूरा फूल गया है। मेरे साथ दो और लोग थे, उन्हें भी बहुत मारा। मेरे साथ पहली बार ऐसा हुआ है। पिछले साल CRPF वालों ने हिड़मा के बारे में पूछने के लिए 19 लोगों को पकड़ा था। उन्हें भी बुरी तरह पीटा गया। उन्हें एक हफ्ते तक कैंप में रखा था।’

दूसरी आपबीती कुंजामी बीमा की सांवला की तरह ही कुंजामी बीमा की कहानी है। पिटाई के बाद से वे ठीक से चल नहीं पाते हैं। वे बताते हैं कि जवान मुझे गांव की बैठक से उठाकर ले गए थे।

कुंजामी ने बताया, ‘पटेल (रामा) की हत्या के बाद गांव वाले एक जगह बैठक के लिए इकट्ठा हुए थे। तभी CRPF के जवान आ गए। उन्होंने भीड़ में से कुछ लोगों को अलग किया। उनमें से तीन लोगों को पकड़ लिया। इनमें मैं भी था। वे हमें पीटते हुए कैंप की ओर ले गए।’

‘कैंप में बहुत सारे जवान थे। मैं तो उन्हें गिन भी नहीं पाया। वे मुझसे एक ही सवाल पूछ रहे थे कि पटेल को किसने मारा है? मैंने उनसे कहा कि हत्या के समय रात थी और हम वहां से दूर थे। इसलिए हमने कुछ नहीं देखा। मेरी बात सुनने के बजाय उन्होंने मारपीट शुरू कर दी।’

ग्रामीणों की पिटाई के आरोपों पर दंतेवाड़ा रेंज के DIG केएल कश्यप कहते हैं, ‘यह नक्सलियों और उनके समर्थकों की बनाई पुरानी धारणा है। सच्चाई यह है कि लोग पुलिस से ज्यादा नक्सलियों से परेशान हैं।’

‘इसके कई उदाहरण हैं, जैसे नक्सली गांववालों को मजबूर करते हैं कि वे बच्चों को उनके संगठन में भेजें। मना करने पर उन्हें गांव और खेती-बाड़ी छोड़ने के लिए धमकी दी जाती है। वे सड़कें नहीं बनने देते, जबकि सभी गांववाले विकास चाहते हैं। नक्सलियों का पुराना तरीका रहा है कि वे गांव के मुखिया या पटेल को मार देते थे ताकि पूरे गांव पर वर्चस्व स्थापित कर सकें।’

नए सरपंच बोले- 7-8 साल बाद गांव में आए नक्सली गांववालों ने रामा की जगह हिरमा को नया सरपंच चुना है। वे बताते हैं, ‘7-8 साल में यह पहली बड़ी नक्सली घटना है। CRPF कैंप बनने के बाद से नक्सली इधर नहीं आए थे। पहले वे आते थे, चावल-सब्जी मांगते थे। उनकी बंदूक देखकर लोग डर जाते थे और सामान दे देते थे। कैंप बनने के बाद से उनका मूवमेंट खत्म हो गया था।’

नई जिम्मेदारी मिलने पर हिरमा कहते हैं, ‘पटेल के बिना जनता-समाज कैसे बचेगा। इतना बड़ा गांव बिना मुखिया के नहीं चल सकता। इसीलिए नया पटेल चुनना ही था।’

ये पूवर्ती गांव के नए सरपंच हिरमा हैं। वे दावा करते हैं कि अब गांववालों ने नक्सलियों को राशन देना बंद कर दिया है।

कभी गाय चराता था हिड़मा, संगठन से जुड़कर सबसे बड़ा नक्सली बन गया हम माड़वी हिड़मा और नक्सली कमांडर देवा बारसे के घर की तलाश में निकले। पता चला कि 6 महीने पहले किसी ने घर तोड़ दिए हैं। पुलिस ने दावा किया था कि मीडिया बार-बार हिड़मा के घर आ रहा था। इसलिए नक्सलियों ने उनके घर तोड़ दिए। अब सिर्फ टूटे घरों का मलबा बचा है।

ये हिड़मा के घर का मलबा है। पुलिस के मुताबिक, इसे नक्सलियों ने तोड़ दिया था।

यहीं हमें मांडवी धुर्वा मिले। वे हिड़मा से उम्र में छोटे हैं, लेकिन बचपन से उसके साथ खेले हैं। धुर्वा बताते हैं कि हिड़मा यहीं गाय चराया करता था। वो शुरुआत से लीडर था। गांव के लोग अपनी परेशानी लेकर उसके पास जाया करते थे।

हिड़मा का जन्म 1981 में हुआ था। वो शरीर से मजबूत और तेज था। नक्सलियों ने उसे लोकल ऑर्गनाइजेशन स्क्वॉड में शामिल किया था। धीरे-धीरे वो जवानों पर हमले की योजना बनाने में माहिर होता गया। हिड़मा नारायणपुर, बीजापुर, गढ़चिरौली में एक्टिव था। फिर उसे कोंटा एरिया कमेटी की जॉइंट प्लाटून का कमांडर बना दिया गया। फिर बटालियन कमांडर बना और अभी सेंट्रल कमेटी का मेंबर है।

गांव में आंगनवाड़ी तैयार, CRPF चला रही स्कूल गांव में मिल रही सुविधाओं पर धुर्वा कहते हैं, ‘आंगनवाड़ी केंद्र है। इसके लिए पक्की बिल्डिंग बन रही है। स्कूल बन चुका है। हालांकि, कोई टीचर पढ़ाने नहीं आता। एक साल से CRPF के अधिकारी इस स्कूल को चला रहे हैं।’

CRPF ने गांव में स्कूल तैयार कर इसे गुरुकुल नाम दिया है। ये स्कूल 150 बटालियन के जवान चलाते हैं।

‘पहले गांव तक पहुंचने के लिए पगडंडी थी, लेकिन CRPF कैंप बनने के बाद रास्ता बेहतर हुआ है। कैंप में एक अस्थायी अस्पताल है, जहां गांव वालों का इलाज होता है। मोबाइल नेटवर्क आने लगा है। गांव तक पहुंचने के लिए सड़क भी बनाई जा रही है।’

गांव तक सड़क बनाने का काम चल रहा है। अभी मिट्‌टी डाली गई है। बारिश से पहले पक्की सड़क बनाने की कोशिश की जा रही है।

गृहमंत्री अमित शाह ने यहीं लगाई थी जनचौपाल यह इलाका कभी सुरक्षाबलों के लिए भी ‘नो-गो एरिया’ था। माओवादी यहां से नए कैडर की भर्ती करते थे। अब हालात बदले हैं। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह 16 दिसंबर को पूवर्ती गांव के पास वाले गुंडम गांव आए थे। उन्होंने यहां जनचौपाल लगाई थी। इस इलाके में पहुंचने वाले वे देश के पहले गृहमंत्री थे।

अगली स्टोरी में 25 जून को पढ़िए और देखिए झीरम घाटी हत्याकांड पर रिपोर्ट ………………………………. कैमरामैन: अजित रेडेकर ……………………………….

‘नक्सलगढ़ से भास्कर’ सीरीज की स्टोरी यहां पढ़िए

  • पहली स्टोरी: जहां नक्सली बसवाराजू मारा, उस कलेकोट पहाड़ पर अब क्या:न रास्ते, न नेटवर्क; ऑपरेशन ‘अबूझ’ के निशान बाकी, गांव में रुकने के लिए पंचायत
  • दूसरी स्टोरी: कंपनी नंबर-7 की ‘गद्दारी’ से मारा गया नक्सली लीडर बसवाराजू:चश्मदीद बोला- एक घंटे तक हुई फायरिंग; फेक एनकाउंटर का दावा कितना सच
  • तीसरी स्टोरी: ‘पुलिसवाले आए, नशा किया, पीटा, मुर्गे भी ले गए’:अबूझमाड़ के लोग बोले- नक्सली राशन ले जाते हैं, हम दोनों तरफ से पिस रहे
  • चौथी स्टोरी: 76 CRPF जवानों को मारने वाले नक्सली का इंटरव्यू:18 साल बसवाराजू-हिड़मा के साथ जंगलों में रहा, नक्सलियों का दुश्मन बना तो पत्नी ने छोड़ा
  • पांचवी स्टोरी: चांदामेटा, जहां मर्द घर से निकले तो नक्सली मार देते:बच्चों को बंदूक-बम की ट्रेनिंग, जानिए कैसा था नक्सलियों का सबसे बड़ा ट्रेनिंग सेंटर
  • छठवी स्टोरी: अबूझमाड़ में नक्सलियों की तलाश में Live ऑपरेशन:कौन हैं नक्सलियों से लड़ रहे DRG जवान, बोले- खतरा है, इसलिए घर तक नहीं जाते
Advertising