सरकार ने दिया रास्ता, नई कॉलोनियों की राह हुई आसान | The government gave way, the way for new colonies became easy | Patrika News
इंदौर का तेजी से विस्तार-विकास हो रहा है। हर साल सैकड़ों कॉलोनियां तैयार हो रही हैं और बड़ी बात यह कि जैसे ही कॉलोनी लांच होती है, वैसे ही प्लॉट बिक जाते हैं। धड़ल्ले से नक्शे पास होकर प्रशासनिक स्तर पर विकास अनुमति जारी हो रही थी, लेकिन कुछ महीनों पहले अपर कलेक्टर राजेश राठौर ने एक गड़बड़ी को पकड़ कर कलेक्टर मनीष सिंह को बताया। उन्होंने तुरंत पंचायत क्षेत्र में आने वाली 45 कॉलोनियों के विकास पर रोक लगा दी।
कहानी ये थी कि टीएंडसीपी ने पंचायत क्षेत्र में विकसित होने वाली कॉलोनी का नक्शा आश्रय निधि जमा करवाकर पास कर दिया। असल में ये सुविधा सिर्फ नगर निगम व नगर परिषद क्षेत्र के लिए ही थी। पंचायत क्षेत्र में आने वाली कॉलोनी में ईडब्ल्यूएस व एलआइजी के प्लॉट रखना अनिवार्य है। ऐसा नहीं होने पर अपर कलेक्टर राठौर ने हाई कोर्ट के सरकारी वकील से भी राय ली थी।
नियमों को देखते हुए उन्होंने साफ कर दिया था कि आश्रय निधि से काम नहीं होगा। कॉलोनी में ईडब्ल्युएस व एलआइजी के प्लॉट छोड़े जाना आवश्यक हैं। इसके बाद सभी कॉलोनाइजरों को साफ कर दिया गया कि वे नक्शा संशोधित कराएं, तब जाकर विकास अनुमति दी जाएगी। उसमें से 18 कॉलोनाइजरों ने पहले ही संशोधन कर लिया था, जिसकी वजह से विकास अनुमति जारी कर दी गई।
इस तरह उलझी गुत्थी
हाइ कोर्ट के सरकारी वकील से अभिमत मिलने के बाद में तय हो गया कि ईडब्ल्युएस व एलआइजी के प्लॉट वाला नक्शा पास होने पर विकास अनुुमति दी जाएगी। उस पर भी पेंच ये फंस गया कि टीएंडसीपी ने नए मास्टर प्लान में 79 गांवों को शामिल करते हुए धारा-16 घोषित कर दी। उसके बाद टीएंडसीपी के पास कॉलोनी के नक्शे में सुधार करने या बदलाव करने का अधिकार खत्म हो गया। ये अधिकार नगरीय विकास एवं आवास विभाग के पास पहुंच गया। इस पेंच के बाद में कॉलोनाइजर तो ठीक आम जनता भी भटक रही थी क्योंकि वह तो प्लॉट खरीद चुकी थी और मकान बनाना चाहते थे। इसको लेकर जिला प्रशासन लगातार प्रयास कर रहा था कि जल्दी से मामले का निराकरण हो जाए ताकि विवाद का हल निकले।
सरकार ने इस तरह निकाला रास्ता
नगरीय विकास एवं आवास विभाग के प्रमुख सचिव नीरज मंडलोई ने कल एक आदेश जारी करके महीनों की समस्या का हल कर दिया। उन्होंने टीएंडसीपी को धारा-16 के लागू होने वाले 79 गांवों की कॉलोनियों के नक्शा को संशोधित करने का अधिकार दे दिया। साफ कर दिया ताकि स्थानीय जिला कार्यालय उसका निराकरण कर सकता है। प्रशासनिक स्तर पर एक बड़ा काम हो गया, जिसकी वजह से कॉलोनाइजर सहित सैकड़ों प्लॉटधारी परेशान हो रहे थे।