सबलीज करने से पहले अडाणी को बनाना होगा डेटा सेंटर: नोएडा प्राधिकरण ने सबलीज करने से किया इनकार, कहा ये पोस्ट अलॉटमेंट बेनिफिट की श्रेणी – Noida (Gautambudh Nagar) News

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सबलीज करने से पहले अडाणी को बनाना होगा डेटा सेंटर:  नोएडा प्राधिकरण ने सबलीज करने से किया इनकार, कहा ये पोस्ट अलॉटमेंट बेनिफिट की श्रेणी – Noida (Gautambudh Nagar) News
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सबलीज करने से पहले अडाणी को बनाना होगा डेटा सेंटर: नोएडा प्राधिकरण ने सबलीज करने से किया इनकार, कहा ये पोस्ट अलॉटमेंट बेनिफिट की श्रेणी – Noida (Gautambudh Nagar) News

नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों के साथ बैठक करते मुख्य सचिव मनोज सिंह।

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अडाणी इंटरप्राइजेज लिमिटेड को सेक्टर 80 में अपना डेटा सेंटर खुद बनाना होगा। नोएडा प्राधिकरण ने इस परियोजना को समूह फर्म नोएडा डेटा सेंटर लिमिटेड को सब-लीज पर देने से मना कर दिया गया है। ये निर्णय तब लिया जब प्राधिकरण ने आवंटी को सब लीज कराने के लिए ट

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दरअसल, 12 अप्रैल 2021 को अडाणी को छह साल में डेटा सेंटर स्थापित करने के लिए सेक्टर 80 में 70 करोड़ रुपए में 10 एकड़ जमीन सौंपी गई थी। अगस्त 2024 में नोएडा प्राधिकरण बोर्ड ने 50 मेगावाट हाइपर स्केल डेटा पार्क विकसित करने के लिए अडाणी इंटरप्राइजेज और एजकॉनेक्स द्वारा संयुक्त रूप से गठित (एसपीवी) नोएडा डेटा सेंटर लिमिटेड को सेक्टर 80 में 10 एकड़ जमीन के सबलीज को मंजूरी दी थी।

प्राधिकरण ने अपने फैसले को पलटा

प्राधिकरण ने मार्च 2025 में अपनी बोर्ड मीटिंग के दौरान इस फैसले को पलट दिया। यह बदलाव तब हुआ जब अगस्त 2024 की मंजूरी के बाद प्राधिकरण ने ट्रांसफर चार्ज के रूप में 11 करोड़ रुपए की मांग की। अडाणी ने छूट के लिए बार-बार अनुरोध किया। जिसमें कहा गया कि प्राधिकरण ने पहले सेक्टर 62 में अपने संस्थागत भूखंड को किसी अन्य एसपीवी को बिना किसी शुल्क के सबलीज पर देने की अनुमति दी थी।

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शर्तों का होगा उल्लंघन अडाणी के छूट अनुरोध के बाद, यूपी के मुख्य सचिव और नोएडा प्राधिकरण के अध्यक्ष मनोज कुमार सिंह ने फरवरी 2025 में हस्तक्षेप किया। सीईओ लोकेश एम को लिखे पत्र में सिंह ने कहा कि सेक्टर 62 मामले के साथ समानता नहीं बनाई जा सकती क्योंकि सेक्टर 80 का प्लॉट एक औद्योगिक प्लॉट है, जो अलग-अलग शर्तों के तहत शासित है। सेक्टर 80 और सेक्टर 62 में दो प्लॉट औद्योगिक और संस्थागत जैसी अलग-अलग श्रेणियों के तहत आवंटित किए गए हैं। उनके आवंटन की दर भी अलग-अलग है। ब्रोशर और लीज़ डीड की शर्तें भी अलग-अलग।

पोस्ट अलॉटमेंट बेनीफिट माना प्राधिकरण बोर्ड ने इस तरह से नियम में शिथिलता देना पोस्ट अलॉटमेंट बेनीफिट की श्रेणी में आएगा। ऐसे में प्राधिकरण ने परियोजना पूरी होने के बाद ही ट्रांसफर करने का निर्णय लिया। प्राधिकरण ने बताया कि अब तक कंपनी ने उक्त भूखंड के लिए मानचित्र (योजना) अनुमोदन के लिए आवेदन नहीं किया है। परियोजना अभी भी चालू नहीं है। भूखंड आवंटन योजना के ब्रोशर में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि आवंटन की तारीख से पांच साल के भीतर या परियोजना के चालू होने से पहले भूखंड के ट्रांसफर की अनुमति नहीं दी जाएगी।

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