सतनाः रिटर्निंग अधिकारियों की मिलीभगत से चुनाव में फर्जी बिलों का खेल; 55 लाख का गड़बड़झाला | Satna: Game of fake bills in elections, 55 lakh scam | News 4 Social h3>
सतनाPublished: Feb 16, 2024 12:06:37 pm
जो काम किया नहीं रिटर्निंग ऑफीसरों ने उसका भी कर दिया सत्यापन
टेंट हाउस संबंधी कामों में वेंडर ने आरओ की मिलीभगत से रची साजिश
सतना। विधानसभा चुनाव में फर्जी बिलों के जरिए बड़े भुगतान की साजिश पकड़ में आई है। चुनाव के दौरान टेंट हाउस से संबंधित जो भी काम हुए थे, उनके भुगतान के लिए वेंडर ने 50 से 55 लाख रुपए के फर्जी बिल लगाए हैं। फर्जीवाड़ा ऐसा कि एक ही काम के लिए दो-दो वेंडरों ने अपने बिल प्रस्तुत कर दिए। सात विधानसभाओं में टेंट हाउस का खर्चा लगभग सवा करोड़ दिखाते हुए राशि की डिमांड की गई है। स्थिति यहां तक है कि जो काम कहा भी नहीं गया था उसका भी बिल बनाया गया है। इन बिलों को ज्यादातर रिटर्निंग ऑफिसर ने सत्यापित भी कर दिया है। दरअसल, विधानसभा चुनावों में किए गए कामों के भुगतान की प्रक्रिया प्रारंभ हो गई है। इसमें अब अलग-अलग कामों के वेंडर अपने बिल लगाने प्रारंभ कर दिए हैं। टेंट हाउस का जो बिल लगाया गया है उसमें बड़ा गड़बड़झाला मिला है। आरओ की भी भूमिका पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं, क्योंकि उन्होंने बिना विस्तृत परीक्षण किए ही बिल सत्यापित कर अपने हस्ताक्षर कर दिए हैं। मामले में सबसे ज्यादा खेल तिवारी टेंट हाउस के बिलों में हुआ है। पूर्व में भी इसके द्वारा भोजन वितरण के दौरान ऐसा किया जाता रहा है। तब स्थिति को देखते हुए इन्हें भोजन के काम से अलग कर दूसरों को काम दिया गया था। तब खाद्य विभाग के अधिकारियों की भूमिका पर सवाल खड़े हुए थे और इसका नोडल अधिकारी महिला बाल विकास विभाग को बनाया गया था।
सतनाPublished: Feb 16, 2024 12:06:37 pm
जो काम किया नहीं रिटर्निंग ऑफीसरों ने उसका भी कर दिया सत्यापन
टेंट हाउस संबंधी कामों में वेंडर ने आरओ की मिलीभगत से रची साजिश
सतना। विधानसभा चुनाव में फर्जी बिलों के जरिए बड़े भुगतान की साजिश पकड़ में आई है। चुनाव के दौरान टेंट हाउस से संबंधित जो भी काम हुए थे, उनके भुगतान के लिए वेंडर ने 50 से 55 लाख रुपए के फर्जी बिल लगाए हैं। फर्जीवाड़ा ऐसा कि एक ही काम के लिए दो-दो वेंडरों ने अपने बिल प्रस्तुत कर दिए। सात विधानसभाओं में टेंट हाउस का खर्चा लगभग सवा करोड़ दिखाते हुए राशि की डिमांड की गई है। स्थिति यहां तक है कि जो काम कहा भी नहीं गया था उसका भी बिल बनाया गया है। इन बिलों को ज्यादातर रिटर्निंग ऑफिसर ने सत्यापित भी कर दिया है। दरअसल, विधानसभा चुनावों में किए गए कामों के भुगतान की प्रक्रिया प्रारंभ हो गई है। इसमें अब अलग-अलग कामों के वेंडर अपने बिल लगाने प्रारंभ कर दिए हैं। टेंट हाउस का जो बिल लगाया गया है उसमें बड़ा गड़बड़झाला मिला है। आरओ की भी भूमिका पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं, क्योंकि उन्होंने बिना विस्तृत परीक्षण किए ही बिल सत्यापित कर अपने हस्ताक्षर कर दिए हैं। मामले में सबसे ज्यादा खेल तिवारी टेंट हाउस के बिलों में हुआ है। पूर्व में भी इसके द्वारा भोजन वितरण के दौरान ऐसा किया जाता रहा है। तब स्थिति को देखते हुए इन्हें भोजन के काम से अलग कर दूसरों को काम दिया गया था। तब खाद्य विभाग के अधिकारियों की भूमिका पर सवाल खड़े हुए थे और इसका नोडल अधिकारी महिला बाल विकास विभाग को बनाया गया था।