संदिग्ध रोहिंग्या-बांग्लादेशी के वेरिफिकेशन को पश्चिम बंगाल जाएगी टीम: तीन दशक से जाते रहे बंगाल पुलिस को पत्र, नहीं आया कभी कोई जवाब – Varanasi News h3>
वाराणसी में छावनी क्षेत्र के समीप खरबूजा शहीद मार्ग पर झुग्गी में रहने वाले खुद को बताते हैं पश्चिम बंगाल का
वाराणसी के विभिन्न इलाकों में रह रहे संदिग्धों के वेरिफिकेशन के लिए वाराणसी पुलिस और इंटेलीजेंस की टीम अब पश्चिम बंगाल जाएगी। वाराणसी पुलिस ने बीते तीन दशक में 10 हजार से अधिक संदिग्धों के बाबत पश्चिम बंगाल सरकार को पत्र भेजा स्थलीय जांच कर रिपोर्ट द
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250 से अधिक रडार पर, बीरभूम जाएगी पुलिस
देश के लिए घुसपैठिए खतरा बन चुके हैं। रोहिंग्या के साथ बांग्लादेशी भी लगातार सीमा पार कर पश्चिम बंगाल के रास्ते देश के विभिन्न कोनों में जाकर रह रहे। वाराणसी पुलिस ने बीते दिनों अभियान चलाकर 250 से अधिक की सूची तैयार की है। शक है कि ये रोहिंग्या, बांग्लादेशी हैं। संदिग्धों की सूची में सर्वाधिक के पास बीरभूम से जारी आधार कार्ड है। वाराणसी पुलिस के साथ इंटेलीजेंस की एक टीम अब वेरिफिकेशन के लिए जाएगी।
घुसपैठ के लिए बदनाम है बीरभूम
पश्चिम बंगाल की बीरभूम को कभी नोबेल पुरस्कार प्राप्त रवीन्द्रनाथ टैगोर और अमर्त्यसेन के लिए जाना जाता था लेकिन आज यह बांग्लादेशी घुसपैठियों के लिए जाना जाता है। पश्चिम बंगाल का बीरभूम, मुर्शिदाबाद, दीनापुर, उत्तर परगना, दक्षिण परगना, मालदा जिला में बांग्लादेश के रास्ते घुसपैठ बढ़ रही है। बांग्लादेश और पश्चिम बंगाल को पद्मा नदी बांटती है। नदी के रास्ते घुसपैठिए मुर्शिदाबाद के रास्ते बीरभूम में आते हैं और यहां से लोकल लोगों की मदद से फर्जी दस्तावेज तैयार करके देश के विभिन्न हिस्से में निकल जाते हैं। ये अधिकतर मजदूर वर्ग से जुड़े हैं।
बड़ा स्कैम है आधार कार्ड
खुफिया तंत्र की माने तो पश्चिम बंगाल में आधार कार्ड एक बड़ा स्कैम है। वोटबैंक की खातिर बांग्लादेश से आने वाले घुसपैठियों को पश्चिम बंगाल के सीमावर्ती इलाकों में पहले ठहराया जाता है। वहां इनकी भाषा सुधारने की ट्रेनिंग होती है ताकि ये बंगाल के निवासी लगें। उसके बाद स्थानीय पार्षद की मदद से फर्जी पते के आधार पर आधार कार्ड, वोटर आईडी तैयार की जाती है। आधार कार्ड घुसपैठ करने वालों को थमा दिए जाते हैं और इनके वोटर आईडी कार्ड रख लिए जाते हैं। इन सभी के मोबाइल नंबर की लिस्ट तैयार कर ली जाती है और फिर इन्हें वहां से देश के विभिन्न राज्यों में भेज दिया जाता है। चुनाव के समय इन्हें फोन करके बुलाया जाता है। वोट देने के बाद ये फिर विभिन्न राज्यों में चले जाते हैं।
समझिए घुसपैठ कराने वाले का खेल
नब्बे के दशक में मोहम्मद जुबैर वाराणसी आया। बातचीत में उसने कुछ लोगों का बताया कि वह बांग्लादेश का रहने वाला है, जानकारी खुफिया एजेंसी तक पहुंची तो उससे पूछताछ की। उसने बीरभूमि (पश्चिम बंगाल) के पार्षद की तरफ से जारी प्रमाण पत्र दिखाया। वाराणसी पुलिस ने सत्यापन के लिए पश्चिम बंगाल की पुलिस को पत्र भेजा लेकिन कोई जवाब नहीं आया। अब इस तीन दशक के बीच जुबैर की बेटी हुई जो भारत में पैदा हुई। उसकी बेटी की शादी भी हो गई और अब उसे भी एक बेटा है जो यहीं वाराणसी में पैदा हुआ। जुबैर की बेटी और पौत्र भारत की भूमि पर पैदा हुए तो उन्हें यहीं का नागरिक माना जाएगा।