संक्रमण, लीवर सिरोसिस व खराब खानपान से होती है तिल्ली बढ़ने की तकलीफ | bad eating habits are the problem of growing spleen | News 4 Social

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संक्रमण, लीवर सिरोसिस व खराब खानपान से होती है तिल्ली बढ़ने की तकलीफ | bad eating habits are the problem of growing spleen | News 4 Social

संक्रमण, लीवर सिरोसिस व खराब खानपान से होती है तिल्ली बढ़ने की तकलीफ | bad eating habits are the problem of growing spleen | News 4 Social

तिल्ली यानी स्प्लीन पेट से जुड़ा एक अंग है जो पेट के बाईं ओर स्थित है। इसके तीन मुख्य काम हैं। लाल रक्त कोशिकाओं की गुणवत्ता बनाए रखना, खराब रक्त कोशिकाएं नष्ट करना व बैक्टीरिया आदि से लडऩे के लिए एंटीबॉडी बनाना। रोग से ग्रस्त होने पर तिल्ली इम्यूनिटी भी बढ़ाती है।

मेडिकली तिल्ली बढऩा एक रोग नहीं बल्कि कई रोगों के लक्षणों में से एक हैं। जानें इलाज-
तिल्ली यानी स्प्लीन पेट से जुड़ा एक अंग है जो पेट के बाईं ओर स्थित है। इसके तीन मुख्य काम हैं। लाल रक्त कोशिकाओं की गुणवत्ता बनाए रखना, खराब रक्त कोशिकाएं नष्ट करना व बैक्टीरिया आदि से लडऩे के लिए एंटीबॉडी बनाना। रोग से ग्रस्त होने पर तिल्ली इम्यूनिटी भी बढ़ाती है। सामान्य से ज्यादा आकार होना स्प्लीनोमेगेली कहलाता है। वहीं आकार 20 सेंटीमीटर से ज्यादा होने की स्थिति जानलेवा हो सकती है। मेडिकली तिल्ली बढऩा एक रोग नहीं बल्कि कई रोगों के लक्षणों में से एक हैं। जानें इलाज-

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प्रमुख कारण
स्प्लीन का कार्य बढऩे पर यानी किसी रोग के कारण जब शरीर की जरूरत बढ़ती है तो इसका आकार भी बढ़ जाता है। जैसे थैलेसीमिया सिंड्रोम, ब्लड कैंसर, ल्यूकीमिया जैसे रोगों में श्वेत रुधिर कणिकाओं की संख्या ज्यादा हो जाती है व इन्हें नष्ट करने के लिए तिल्ली को क्षमता से ज्यादा रक्त बनाना पड़ता है। मलेरिया, काला ज्वर, वायरल हेपेटाइटिस, ट्यूबरक्यूलोसिस जैसे संक्रमण में तिल्ली प्रभावित होने लगती है जिससे भी आकार बढ़ जाता है।
शरीर में ब्लड सप्लाई का काम स्प्लीन करता है। ऐसे में इस अंग से जब ब्लड जाने और आने वाली नलिकाओं में बाधा आती है जैसे किसी कारण से खून के थक्के जमने लग जाते हैं तो यह दिक्कत होती है। इस स्थिति में आकार बढऩे से कई बार तिल्ली फट जाती है।

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लक्षण और जांचें
पेट के बाएं हिस्से में ऊपरी तरफ हल्का दर्द होना। अंग का अपनी जगह से खिसकने जैसा अहसास होना।
अत्यधिक आकार बढऩे पर हाइपरस्प्लीनिज्म हो जाता है। इसमें रक्त की कोशिकाएं (आरबीसी, डब्ल्यूबीसी व प्लेटलेट) नष्ट होने लगती हैं और शरीर में इनकी संख्या घट जाती है। ऐसे में आरबीसी कम होने पर एनीमिया, डब्ल्यूबीसी कम होने पर कई तरह के इंफेक्शन का खतरा और प्लेटलेट्स घटने पर रक्त का थक्का नहीं जम पाता। अल्ट्रासाउंड और सीटीस्कैन करते हैं।

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