श्रीगंगानगर के बाद जैसलमेर में पाकिस्तान की हरकत का खतरा: बॉर्डर पर लैला-मजनू की मजार से लेकर बाड़मेर तक अब कैसी है जिंदगी – Rajasthan News h3>
Advertising
राजस्थान के बॉर्डर वाले जिलों में धीरे-धीरे जिंदगी सामान्य हो रही है। बाड़मेर-जैसलमेर अभी भी संवेदनशील बने हुए हैं। वजह है रह-रहकर पाकिस्तानी ड्रोन की गतिविधियां। 12 मई की रात अचानक 10-12 ड्रोन का एक झुंड बाड़मेर में दाखिल हुआ। सेना के डिफेंस सिस्टम
.
श्रीगंगानगर के बाद 13 मई को पाकिस्तान ने जैसलमेर में नई चाल चली। यहां पाकिस्तान ने अपने क्षेत्र में लगे मोबाइल टावरों की रेंज बढ़ा दी है। जासूसी की आशंकाओं को देखते हुए जिला प्रशासन ने वहां भी सख्त आदेश निकाले।
बॉर्डर से 50 किलोमीटर के दायरे में आने वाले गांवों में सुरक्षा के लिहाज से अभी सख्ती है। बाहरियों को प्रवेश नहीं दिया जा रहा। श्रीगंगानगर में बॉर्डर से महज 4 किलोमीटर दूर लैला मजनू की मजार पर NEWS4SOCIALटीम पहुंची तो वहां इक्का-दुक्का स्थानीय लोग नजर आए। आम दिनों में यहां का माहौल मेला जैसा रहता है।
सरहदी इलाकों में कैसा है तनाव के बाद लोगों का जीवन, क्या है दुश्मन की नई चाल..इन्हीं सब को जानने की कोशिश की ग्राउंड पर मौजूद 5 रिपोर्टर्स ने। पढ़िए- पिछले 24 घंटे के सबसे बड़े घटनाक्रम।
युद्ध की आशंका को देखते हुए महंगाई बढ़ी श्रीगंगानगर शहर सहित जिले भर में अब अधिकतर पाबंदियां हटा ली गई हैं। हालांकि बीएसएफ अधिकारियों ने बॉर्डर पर बसे गावों में लोगों से अधिक सतर्कता बरतने की अपील की है। स्पष्ट निर्देश हैं कि किसी भी बाहरी शख्स या बाहरी गाड़ी की मूवमेंट दिखे तो चौकी या पुलिस तक तुरंत सूचना दी जाए। शहरी इलाकों के बाजारों में रौनक पूरी तरह से लौट आई है। बीते दिनों युद्ध की आशंका से बाजार में महंगाई लौट आई है। सब्जियों, दालों सहित ड्राईफ्रूट्स के रेट बढ़े हैं।
इंटरनेशनल बॉर्डर से 4 किमी दूर है लैला-मजनू का मजार मंगलवार को NEWS4SOCIALटीम भारत-पाक बॉर्डर की तारबंदी पर लैला-मजनू की मजार पर पहुंची। मजार पर रहने वाले संतलाल से बातचीत हुई। उन्होंने बताया- यह जगह बॉर्डर से 4 किलोमीटर दूर है। लगभग 800 साल पहले बहावलपुर की रहने वाली लैला से मजनू को मोहब्बत हो गई थी। दोनों का प्यार परवान तो चढ़ा पर जल्द ही उन्हें वहां से भागना पड़ा था। भागते-भागते वे यहां बिंजौर गांव में पहुंच गए थे। यहीं रेगिस्तानी क्षेत्र में पानी न मिलने से दोनों की मौत हो गई थी। लोगों ने उन्हें एक साथ दफना दिया था।
लैला-मजनू की यह मजार अनूपगढ़ (श्रीगंगानगर) के 4 एमएसआर गांव में है। यह इंटरनेशनल बॉर्डर से महज 4 किलोमीटर दूर है।
सामान्य दिनों में 100 लोग तक आते है संतलाल ने बताया कि आम तौर पर यहां (लैला-मजनू की मजार) रोजाना 50 से 100 लोग आते हैं। हिन्दू हो या मुस्लिम सबकी यहां आस्था है। हाल-फिलहाल में भारत-पाक में तनाव होने से लोग अभी यहां नहीं आ रहे हैं। इधर, ब्लैकआउट के दौरान यहां भी लाइटें बंद की गई थीं।
संतलाल बताते हैं- इस बार सोचा था कि शायद पाकिस्तान का नाम-ओ-निशान ही मिट जाएगा। अब अगर पाकिस्तान कोई हिमाकत नहीं करे तो ठीक है। वर्ना भारतीय सेना उसका काम तमाम कर देगी। फिलहाल यहां बॉर्डर पर कोई भी दिक्कत नहीं है। पहले भी कोई दिक्कत नहीं थी। सब अपना-अपना काम कर रहे हैं।
पाकिस्तान फिर आमजन को निशाने पर ले रहा 12 मई को ऑपरेशन सिंदूर पर प्रधानमंत्री के संबोधन के बाद रात में बाड़मेर में ड्रोन एक्टिविटी नजर आई। सरेआम सीजफायर का उल्लंघन देखा गया। आबादी क्षेत्रों के ऊपर मंडराते ड्रोन के एक बड़े झुंड को एयर डिफेंस सिस्टम से नष्ट किया गया। क्षेत्र में धमाकों की आवाज भी सुनाई दी। हालांकि बाड़मेर में न तो ब्लैक आउट हुआ और न ही सायरन की आवाज आई।
बॉर्डर से सटे जिस गांव में ड्रोन देखे गए, वहां NEWS4SOCIALटीम पहुंची। ढाबा संचालक बाकाराम कहते हैं- रात में वह घर में खाना खा रहे थे। तभी धमाके की आवाज आई। बाहर आकर देखा तो तीन बार झुंड में ड्रोन आए थे। संख्या करीब 10-12 होगी। फिर उनको हमारी सेना ने मार गिराया।
बाड़मेर में 12 मई की रात ड्रोन एक्टिविटी देखी गई थी। इन ड्रोन को एयर डिफेंस सिस्टम ने मार गिराया था।
गांव के ही एक स्टूडेंट प्रकाश ने बताया कि वो रात में परीक्षा की तैयारी कर रहे थे। तभी 10.40 बजे लाल लाइट ब्लिंक होती दिखाई दी। बाहर जाकर देखा तो आसमान में ड्रोन थे। फिर उसमें धमाका हुआ। मैं छत पर गया। उस समय आसमान में धमाका देखा।
स्थानीय लोगों ने जिस गांव में यह एक्टिविटी देखी, वहां बसावट कम है। कुछ घर मौजूदा तनाव को देखते हुए खाली कर दिए थे। गांव के करीब हाईवे गुजरता है। वहां एक-दो ढाबे थे, जहां काम करने वाले वर्कर भी तनाव को देखते हुए घर चले गए थे।
क्षेत्र के लोगों में भी डर है। उनका कहना है कि सीजफायर की घोषणा के बाद भी यहां ड्रोन की गतिविधियां कम नहीं हुई हैं। यहां कंस्ट्रक्शन के लिए बाहरी राज्यों से लेबर आई हुई थी। ड्रोन गतिविधियों के बाद डर के मारे प्रोजेक्ट छोड़ कर निकल गए।
7 दिन बाद डिफ्यूज किया 70 किलो का बम 7 मई को देश के 244 शहरों में मॉकड्रिल हो रही थी। उसी रात पाकिस्तान के सबसे करीब बीकानेर के खाजूवाला के बरजू गांव में दो मिसाइलनुमा बम धोरों में गिरे थे। एक बम गिरते ही ब्लास्ट हो गया था। इसके टुकड़े करीब एक किलोमीटर से ज्यादा बड़े एरिया में फैले थे। दूसरा बम करीब दो किलोमीटर दूर धोरों में जिंदा मिला था।
जब ये बम गिरे, उस वक्त गांव में शादी का कार्यक्रम चल रहा था। गनीमत रही कि बम गांव से दूर धोरों में गिरा। ड्राइवर मदन ने बताया कि आसमान से जो भी चीज गिरी, वह दो-तीन जगह अलग-अलग विस्फोट हुई।
70 किलो के इस बम को मंगलवार को डिफ्यूज किया जा सका।
यह लड़ाकों का गांव, पाकिस्तान से तनाव से क्या घबराना करणीसर बस स्टैंड पर दुकान करने वाले लूण सिंह बड़गुर्जर बताते हैं- उस रात उन्हें जोरदार धमाके की आवाज सुनाई दी। पूरे गांव में हड़कंप मच गया। सुबह पता चला कि हमारे गांव और एक-दूसरे गांव के बीच कोई मिसाइलनुमा वस्तु गिरी है। लूण सिंह एवं युवा राम सिंह ने बताया कि हमारा गांव लड़ाकों का है। पाकिस्तान से भारत के तनाव से हमें कोई घबराहट नहीं होती।
500 मीटर के दायरे में मचा सकता है तबाही पूगल थाना पुलिस ने थानाधिकारी पवन सिंह तंवर के नेतृत्व में सर्च अभियान चलाकर दोनों बम ढूंढ़े गए थे। मंगलवार को इसी बम को एयर फोर्स स्टेशन, नाल (बीकानेर), दिल्ली से आई स्पेशल टीम और पुलिस टीम की निगरानी में डिफ्यूज किया गया। इस पूरी प्रक्रिया की टीम की ओर से वीडियोग्राफी भी की गई।
स्थानीय निवासी राम सिंह एवं लूण सिंह बड़गुर्जर।
बम का वजन करीब 70 किलोग्राम बताया जा रहा है। एक्सपर्ट के अनुसार यह बम इतना शक्तिशाली था कि 500 मीटर के दायरे में आने वालों को नुकसान पहुंचा सकता था। यहां तक कि डेढ़ से दो किलोमीटर के दायरे में बम के शॉक से गंभीर चोट लगने और अंदरूनी अंगों के डैमेज होने का खतरा था।
खतरे को लेकर हर समय अलर्ट मंगलवार को जिले में स्थिति सामान्य नजर आई। शहर में दुकानों और स्कूलों को खोल दिया गया। अभी भी जैसलमेर से जुड़े इंटरनेशनल बॉर्डर से 50 किलोमीटर पहले ही पूरे क्षेत्र में बाहरी लोगों की एंट्री बैन है।
संभावित खतरों को लेकर प्रशासन ने लोगों को अलर्ट करना शुरू कर दिया है। हमले के समय स्कूली बच्चों को खतरा हो सकता है। ऐसे में एसडीआरएफ की टीम जैसलमेर के सरकारी स्कूल में पहुची। बच्चों को हमले के समय घायल होने, आग लगने पर खुद को और अपने साथियों को कैसे संभालना है, इसकी ट्रेनिंग देना शुरू कर दिया है।
जैसलमेर में बच्चों को ट्रेनिंग देती सिविल डिफेंस टीम।
पाकिस्तान ने अपने मोबाइल टावर की रेंज को बढ़ा दिया है। इसके चलते पाकिस्तान से सटे जैसलमेर के गांवों में पाकिस्तान का नेटवर्क पकड़ रहा है। अगर जैसलमेर में कोई पाकिस्तान की सीमा उपयोग करता है तो उसकी कोई सूचना नहीं मिल पाएगी। यह सुरक्षा को सबसे बड़ा खतरा माना जा रहा है। इसी को लेकर मंगलवार को जैसलमेर कलेक्टर ने जिले में पाकिस्तानी सीमा के उपयोग पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने के आदेश जारी किए हैं।
हमारी सेना ताकतवर, बस आदेश का इंतजार वर्ष 1948 में भारत-पाक युद्ध में अपनी वीरता का प्रदर्शन करने वाले छोगसिंह राठौड़, जिन्होंने जम्मू-कश्मीर के नौशहरा राजौरी क्षेत्र में वीरतापूर्वक दुश्मन का सामना किया। उन्हें इसी साहस के लिए 26 जनवरी 1950 को तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने उन्हें वीर चक्र से सम्मानित किया। राजस्थान में यह सम्मान हासिल करने वाले वे पहले सैन्यकर्मी थे।
छोग सिंह राठौड़ की याद में बना स्मृति स्थल।
फलोदी के ढढू गांव के रहने वाले छोगसिंह के बेटे करन सिंह राठौड़ ने बताया कि उनका एक पोता भी सेना में राष्ट्र सेवा कर रहा है। आज के दौर में भी जरूरत पड़ने पर राष्ट्र के लिए सर्वस्व न्यौछावर करने के लिए तैयार हैं। खासकर पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए हर पूर्व सैनिक भी इस अवसर को पाने के लिए लालायित है। हालांकि मौजूदा सेना इतनी सक्षम है कि उन्हें दुश्मन को धूल चटाने के लिए सिर्फ एक आदेश का ही इंतजार भर रहता है।