श्रद्धा के टुकड़े करने वाले आफताब को कौन दिलाएगा सजा: पिता की मौत, भाई बोला- वक्त दीजिए, वकील ने कहा- केस बंद नहीं होगा h3>
18 मई, 2022 श्रद्धा वालकर और उसके लिव-इन पार्टनर आफताब के बीच देर रात तक बहस हुई। बात इतनी बढ़ी कि आफताब ने श्रद्धा का गला दबाकर मर्डर कर दिया। दोनों दिल्ली के महरौली में किराए पर रह रहे थे। दो दिन आफताब श्रद्धा की डेडबॉडी के साथ ही रहा। इस दौरान गूग
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आफताब 19 मई को मार्केट गया और 300 लीटर का फ्रिज लेकर लौटा। एक आरी भी खरीदी। श्रद्धा की डेडबॉडी के 35 टुकड़े करके फ्रिज में रख दिए। फिर 18 दिनों तक रोज रात में उन्हें छतरपुर के जंगलों में फेंकता रहा। मर्डर का खुलासा तब हुआ, जब श्रद्धा के पिता विकास वालकर का बेटी से कॉन्टैक्ट नहीं हुआ। उन्होंने गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई। तब श्रद्धा के मर्डर की बात सामने आई।
मामला ट्रायल कोर्ट में है। बीते दो साल से श्रद्धा के पिता विकास ही उसे इंसाफ दिलाने की लड़ाई लड़ रहे थे। 9 फरवरी को उनकी हार्ट अटैक से मौत हो गई। मां की मौत 4 साल पहले ही हो चुकी है। अब परिवार में बुजुर्ग दादी और श्रद्धा का छोटा भाई श्री जय ही हैं। ऐसे में ये केस आगे कैसे बढ़ेगा, ये सवाल खड़ा हो गया।
श्रद्धा के छोटे भाई श्री जय दैनिक NEWS4SOCIALसे बातचीत में कहते हैं, ‘थोड़ा वक्त दीजिए, हर सवाल का जवाब दूंगा। मेरी श्रद्धा के वकील से बात हो गई है। बस पिता का विधि विधान से अंतिम संस्कार कर लूं।’ श्रद्धा की वकील सीमा कुशवाहा भी पूरे कॉन्फिडेंस से कहती हैं, ‘केस बंद नहीं होगा। अंतिम संस्कार की प्रक्रिया पूरी होने के बाद हम श्रद्धा के भाई को केस में कम्प्लेनेंट बनाने की प्रक्रिया शुरू करेंगे।’
श्रद्धा मुंबई के मलाड की रहने वाली थी। वो एक कॉलसेंटर में जॉब करती थी। 2019 में काम करने के दौरान ही श्रद्धा की आफताब से मुलाकात हुई थी।
भाई बोला- वकील के कॉन्टैक्ट में हूं, केस पर बात करूंगा हमने श्रद्धा के भाई श्री जय विजय वालकर से बात की। वे कहते हैं, ‘पिता की मौत अभी-अभी हुई है। फिलहाल मैं बात करने की स्थिति में नहीं हूं। पिता का अंतिम संस्कार विधि-विधान से कर लूं। उसके बाद केस पर बात करूंगा। मैं वकील के संपर्क में हूं। उनसे मेरी बात हुई है।’
श्रद्धा के परिवार में अब सिर्फ उनकी 82 साल की बुजुर्ग दादी और छोटा भाई श्री जय ही हैं। श्री जय ने इसी साल बीटेक की पढ़ाई पूरी की है। पिता की मौत के बाद दादी की देखभाल करने और घर चलाने का जिम्मा अब उन पर ही है। श्रद्धा के परिवार के एक करीबी ने बताया पिता की तरह ही श्रद्धा की मां की मौत भी सदमे से ही हुई। वो श्रद्धा और आफताब के संबंध से बिल्कुल खुश नहीं थीं।
वकील ने कहा- केस बंद नहीं होगा, भाई से हमने बात की है श्रद्धा की वकील सीमा कुशवाहा कहती हैं, ‘परिवार में अब जिम्मेदारी उठाने वाला छोटा भाई श्री जय ही बचा है। उससे मेरी बात हो रही है। देखिए श्री जय की उम्र अभी कम है। अब उनके माता-पिता दोनों दुनिया में नहीं है। दादी हैं, जो उस पर निर्भर हैं। वो अचानक हुई पिता की मौत से उबर नहीं सका है, इसलिए उसे थोड़ा वक्त तो लगेगा। मैंने उन्हें हिम्मत दिलाई। तब उन्होंने मुझसे कहा कि वो ये केस लड़ेंगे।’
वे कहती हैं, ‘श्री जय इस केस को पूरी तरह से समझ भी रहे हैं। वो विक्टिम होने के साथ-साथ इस केस में गवाह भी हैं। दरअसल जब ये केस सामने आया था तो जिस फ्लैट में श्रद्धा रहती थी, वहां पुलिस के साथ श्रद्धा के पिता विकास वालकर और भाई श्री जय साथ गए थे। श्रद्धा के बॉडी पार्ट, फ्रिज और भी कई केस प्रॉपर्टी देखने वाले ये शुरुआती लोग थे।’
‘ऐसा नहीं है कि श्री जय इस केस से पूरी तरह से अलग रहे हैं। हां, ये जरूर है कि अब तक इस केस को पूरी तरह से उनके पिता फॉलो कर रहे थे, क्योंकि श्री जय बीटेक की पढ़ाई कर रहे थे।’
श्रद्धा मर्डर केस का स्टेटस मार्च से रोज होगी सुनवाई, मई तक खत्म हो जाएगा ट्रायल एडवोकेट सीमा कुशवाहा बताती हैं, ‘इस केस में 212 विटनेस हैं। इनमें से करीब 170 की गवाही हो चुकी है। बचे हुए गवाहों में ज्यादातर ऐसे हैं, जिन्हें कोर्ट रूम में नहीं आना है। उनसे बस एफिडेविट लिए जाएंगे। अब मार्च से इस केस में हर रोज हियरिंग होनी है, तो मेरा अनुमान है ट्रायल मई तक खत्म हो जाएगा।’
फैसला आने में देरी क्यों हो रही? इसके जवाब में एडवोकेट सीमा ने इस केस के उन पॉइंट्स के बारे में बताया, जो देरी की वजह बन रहे।
1. केस में कोई आई विटनेस नहीं: सीमा के मुताबिक, इस केस में कोई आई विटनेस नहीं है। सिर्फ परिस्थितिजन्य (Circumstances) एविडेंस हैं। 212 विटनेस हैं। निर्भया केस में 100 विटनेस थे, लेकिन उसका स्ट्रॉन्ग पॉइंट था कि उसके दोस्त ने आंखों के सामने सबकुछ होते देखा था। मतलब उस केस में हमारे पास एक स्ट्रॉन्ग आई विटनेस था। इसलिए 9 महीने में केस ट्रायल खत्म हो गया था।
जबकि ये केस परिस्थितिजन्य सबूतों के आधार पर खड़ा है। सबकुछ कनेक्ट किया गया है। किसी ने आफताब को श्रद्धा का मर्डर करते नहीं देखा। हां, ये श्रद्धा के साथ रहता था, इसके कई गवाह हैं। लोगों ने श्रद्धा को मौत से पहले आखिरी बार आफताब के साथ देखा था। इसके भी गवाह हैं, लेकिन मर्डर के वक्त तीसरा कोई नहीं था।
2. डे टु डे सुनवाई ना होना: एडवोकेट सीमा बताती हैं, ‘अगर केस की सुनवाई डे टु डे हो रही होती तो अब तक ट्रायल खत्म हो चुका होता है। कोर्ट इतना ओवर बर्डन है कि रोज तारीख लेना मुमकिन नहीं है। अगर इस केस को टाइम बाउंड किया जाता, तो ट्रायल खत्म हो जाता।‘
‘टाइम बाउंड करवाने के साथ-साथ इन्फ्रास्ट्रक्चर पर भी काम जरूरी है। जैसे अगर किसी केस में फोरेंसिक जांच रिपोर्ट और DNA रिपोर्ट लगनी है, तो वो टाइम पर आए। रेप की फोरेंसिक रिपोर्ट आने में 6 महीने से लेकर 1 साल तक का वक्त लग जाता है। इसलिए कोर्ट और पुलिस की संख्या बढ़े। फिर इन्फ्रास्ट्रक्चर मजबूत किया जाए, तब जाकर केस जल्द खत्म होंगे।‘
3. आफताब के लॉयर ने भी डाला अड़ंगा: आफताब के वकील कई तारीखों पर आते नहीं थे। उन्हें इसके लिए फटकार भी लगी। हाईकोर्ट में उन्होंने अर्जी भी लगाई कि इस केस में दो से ज्यादा तारीखें न लगाई जाएं। इसके पीछे दूसरे केसेज में जाने का हवाला दिया। हालांकि कोर्ट ने ये अर्जी खारिज कर दी। ये सब कारण मिलकर देरी की वजह बने।
ट्रायल में फैसला आने के बाद भी लड़ाई लंबी एडवोकेट सीमा कहती हैं, ‘ये आरोपी का हक है कि वो ट्रायल कोर्ट के फैसले को हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक लेकर जाए। आखिरी रास्ता मर्सी पिटीशन का भी होता है। हालांकि सबसे लंबा वक्त ट्रायल में ही लगता है। यहां हर गवाह को आना पड़ता है। उसकी गवाही होती है, फिर डिफेंस लॉयर क्रॉस चेक करता है।‘
‘इस केस में 10-15 गवाह तो ऐसे थे, जिनके सामने कोर्ट रूम में सारी केस प्रॉपर्टी खोलकर दिखाई गई। यानी श्रद्धा की बोन्स, फ्रिज, मर्डर में इस्तेमाल हथियार और फ्लैट से बरामद बाकी सामान भी। हाईकोर्ट में ये सब नहीं होगा। वहां सिर्फ फाइल जाएगी। फाइल पर ही डिस्कशन होगा।‘ वे आगे कहती हैं, ‘निर्भया केस में 3-4 महीने में ही ट्रायल हो गया था।‘
ये CCTV फुटेज 18 अक्टूबर 2022 की रात का है। इसमें आफताब रात में बैग ले जाते दिख रहा है। पुलिस ने शक जताया था कि रात में आफताब श्रद्धा की बॉडी के टुकड़े फेंकने निकलता था।
विकास वालकर के दोस्त बोले- बेटी का अंतिम संस्कार न कर पाने से दुखी थे श्रद्धा के पिता विकास वालकर के दोस्त जेम्स गोंजाल्विज कहते हैं, ’14 से 18 जनवरी तक विकास दिल्ली में ही थे। केस की तारीख पड़ी थी। वे परेशान थे। जब भी मुझसे बात करते तो कहते थे कि जल्दी केस खत्म हो तो मैं अपनी बेटी का अंतिम संस्कार कर सकूं, ताकि उसकी आत्मा को शांति मिल सके।’
जेम्स कहते हैं, ‘उन्हें अब लगने लगा था कि केस में वक्त लगेगा। श्रद्धा की आत्मा की शांति के लिए उन्हें अभी और इंतजार करना पड़ेगा। बिना श्रद्धा की अस्थियों के ये संस्कार नहीं हो सकता था। वे कहते थे कि केस भले चलता रहे, लेकिन श्रद्धा की अस्थियों का एक टुकड़ा भी मिल जाए तो वो धार्मिक क्रिया-कर्म पूरा कर सकेंगे। हालांकि ये मुमकिन नहीं था। यही सदमा उन्हें ले गया।’
श्रद्धा के मर्डर के 6 महीने बाद खुला राज श्रद्धा के मर्डर का पता 12 नवंबर 2022 को चला। पुलिस ने जब उसके लिव इन पार्टनर आफताब को पकड़ा, तब पता चला कि 18 मई 2022 को ही उसने गला घोंटकर श्रद्धा की हत्या कर दी थी। आफताब ने पूछताछ में कबूल किया कि उसने पहले श्रद्धा की लाश के 36 टुकड़े किए थे। फिर उन्हें रखने के लिए 300 लीटर का नया फ्रिज खरीदा।
उसने श्रद्धा का चेहरा जला दिया था, ताकि कोई पहचान न सके। उसने डेडबॉडी के टुकड़े महरौली में अपने किराए के मकान में फ्रिज में छिपाए थे। लाश को काटने के दौरान बीयर पीता रहा, घर पर खाना मंगाकर खाता रहा।
अगले 18 दिन वो रोज रात में डेडबॉडी के टुकड़े बैग में भरकर निकलता और छतरपुर के जंगलों में फेंक आता था। कुछ हड्डियां बड़ी थीं, तो उन्हें ग्राइंड करके फेंका। मुंबई में श्रद्धा की गुमशुदगी का केस दर्ज होने के बाद मर्डर का खुलासा हुआ।
श्रद्धा मर्डर केस को फास्ट ट्रैक कोर्ट में भेज दिया गया था। FIR दर्ज होने के 75 दिन बाद यानी 24 जनवरी 2023 को दिल्ली पुलिस ने मामले में चार्जशीट दाखिल की थी। इसके बाद करीब 3 महीने फास्ट ट्रैक कोर्ट ने चार्ज फ्रेम करने में ही लगा दिए। 9 मई 2023 को चार्ज फ्रेम हुआ।
हालांकि चार्ज फ्रेम होने के बाद भी ट्रायल शुरू करने में कोर्ट ने करीब 1 महीना और लगा दिया। अभी केस चल रहा है। कोर्ट ने अब खुद ऑर्डर पास किया है कि 1 मार्च से इस केस में रोजाना सुनवाई होगी। …………………………………..
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तीन साल पुराने श्रद्धा वालकर हत्याकांड का फैसला अभी तक नहीं आया, लेकिन श्रद्धा के पिता विकास वालकर का रविवार को हार्ट अटैक से निधन हो गया। विकास अपनी बेटी का केस लड़ रहे थे। उन्हें बेटी की अस्थियों का इंतजार था ताकि उसका अंतिम संस्कार कर पाते। मगर श्रद्धा की हड्डियां केस प्रॉपर्टी (सबूत के तौर पर रखी गईं) बन चुकी थी। पढ़िए पूरी खबर…