शेखर अय्यर का कॉलम: दुनिया ने पाकिस्तानी फौज की बदहाली देख ली है h3>
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8 घंटे पहले
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शेखर अय्यर राजनीतिक विश्लेषक
भारत और पाकिस्तान के मौजूदा टकराव में संघर्ष-विराम के लिए बातचीत की पहल पाकिस्तान ने की थी। हालांकि, गोलीबारी और सैन्य-कार्रवाई रोकने का फैसला सीधे दोनों देशों के बीच हुआ, लेकिन बातचीत की पहल पाक डीजीएमओ ने की, जिसके बाद चर्चा हुई और सहमति बनी।
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किसी अन्य मुद्दे पर बातचीत करने का कोई फैसला नहीं हुआ। डोनाल्ड ट्रम्प ने दावा किया कि संघर्ष-विराम के पीछे अमेरिका है। उन्होंने संकेत किया कि एक हैरान कर देने वाली खुफिया जानकारी मिली थी, जिसके चलते चीन इस संघर्ष में शामिल हो सकता था। चीन हथियार- आपूर्तिकर्ता के रूप में अपनी प्रतिष्ठा बचाने के लिए ऐसा करता। कारण, पाकिस्तानी सेना द्वारा उपयोग किए गए चीन-निर्मित हथियार कारगर साबित नहीं हुए थे।
बड़ा सवाल यह है कि क्या पाकिस्तानी सेना में लड़ने की क्षमता नहीं है? भारत ने चार दिनों के संघर्ष में दुनिया को दिखा दिया कि उसके पास पाकिस्तान की मिसाइलरोधी प्रणालियों और हवाई ठिकानों को नष्ट करने कीक्षमता है।
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पाकिस्तान भी ड्रोन और मिसाइलें भेज रहा था, लेकिन वे लक्ष्य से चूकते रहे। एक चौंकाने वाली घटना में पाकिस्तानी सेना ने एक मिसाइल को गलत तरीके से दागा, जो अपने लक्ष्य से पूरी तरह चूक गई और नागरिक आबादी वाले इलाके में एक गुरुद्वारे के पास जा गिरी।
विस्फोट से खिड़कियां टूट गईं और सिखों में दहशत फैल गई। अगर यह प्रार्थना के समय हुआ होता तो बड़े पैमाने पर लोग हताहत हो सकते थे। यह कोई अलग-थलग मामला नहीं है। पाकिस्तान की मिसाइल प्रणाली की खराब टारगेटिंग का एक लंबा रिकॉर्ड है। 2022 में भी एक छोटी दूरी की मिसाइल के परीक्षण के दौरान प्रोजेक्टाइल पाकिस्तान में ही दुर्घटनाग्रस्त हो गया था।
2024 की शुरुआत में भी इसी तरह के एक परीक्षण अभ्यास के दौरान मिसाइल अपनी ट्रैजेक्टरी से भटककर हवा में ही फट गई थी। इससे भी पाकिस्तान की क्षमताओं पर सवाल उठे थे। इस बार गुरुद्वारे की घटना इसलिए ज्यादा चौंकाने वाली है, क्योंकि यह न केवल तकनीकी विफलता थी, बल्कि कूटनीतिक और सामुदायिक हादसा भी था।
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इसमें निशाने पर एक धार्मिक अल्पसंख्यक वर्ग था, जो पहले ही पाकिस्तान में भेदभाव का सामना कर रहा है। बात केवल खराब टारगेटिंग की ही नहीं है। पाकिस्तानी हथियारों की गुणवत्ता भी बदतर है। दोषपूर्ण गाइडेंस-सिस्टम से लेकर नाकाम प्रोपल्शन तक- समस्याएं हर तरफ हैं।
भारतीय वायु रक्षा ने हरियाणा के सिरसा में एक पाकिस्तानी फतेह-1 मिसाइल को रोका और नष्ट कर दिया। इस मिसाइल को पाकिस्तान के गौरव के रूप में प्रचारित किया गया था, जबकि यह कई बार दुर्घटनाग्रस्त हुई है, रास्ते से भटकी है या लॉन्च होने में ही नाकाम रही है।
पाकिस्तान के अधिकांश हथियार पुराने, क्षतिग्रस्त या पूरी तरह से अनुपयोगी हैं। टैंक खराब हो जाते हैं, प्रशिक्षण के दौरान जेट दुर्घटनाग्रस्त हो जाते हैं और चीन से खरीदे गए ड्रोन उड़ान भरने में नाकाम हैं। दरअसल, यह युद्ध के लिए तैयार सेना नहीं, जर्जर मशीनरी का संग्रहालय है!
जहां वजीरिस्तान में आतंकवादी, बलूचिस्तान में विद्रोही और सिंध में अलगाववादी अपनी जमीन मजबूत कर रहे हैं, वहीं सेना धरती गंवा रही है। अप्रैल में बलूच-विद्रोहियों के द्वारा लगाई घात के दौरान पाकिस्तानी जवानों ने अपनी चौकियां छोड़ दी थीं।
ईंधन की कमी और उपकरणों की विफलता के कारण अज़्म-ए-नौ जैसे सैन्य अभ्यासों में देरी हुई। आज हम जो पाकिस्तानी सेना देख रहे हैं, वह चीन के कबाड़ हथियारों, अधिग्रहण में भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया मैनिपुलेशन पर जीवित है। अब वह एक पेशेवर लड़ाकू बल नहीं रह गई है।
दुनिया को यह हकीकत देखनी चाहिए कि आज पाकिस्तान के लिए सबसे बड़ा खतरा बाहरी नहीं, उसकी अपनी खोखली सेना है।
आज हम जो पाकिस्तानी सेना देख रहे हैं, वह चीन के कबाड़ हथियारों, अधिग्रहण में भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया मैनिपुलेशन पर जीवित है। पाकिस्तान के लिए बड़ा खतरा बाहरी नहीं, उसकी अपनी खोखली सेना है। (ये लेखक के अपने विचार हैं)
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किसी अन्य मुद्दे पर बातचीत करने का कोई फैसला नहीं हुआ। डोनाल्ड ट्रम्प ने दावा किया कि संघर्ष-विराम के पीछे अमेरिका है। उन्होंने संकेत किया कि एक हैरान कर देने वाली खुफिया जानकारी मिली थी, जिसके चलते चीन इस संघर्ष में शामिल हो सकता था। चीन हथियार- आपूर्तिकर्ता के रूप में अपनी प्रतिष्ठा बचाने के लिए ऐसा करता। कारण, पाकिस्तानी सेना द्वारा उपयोग किए गए चीन-निर्मित हथियार कारगर साबित नहीं हुए थे।
बड़ा सवाल यह है कि क्या पाकिस्तानी सेना में लड़ने की क्षमता नहीं है? भारत ने चार दिनों के संघर्ष में दुनिया को दिखा दिया कि उसके पास पाकिस्तान की मिसाइलरोधी प्रणालियों और हवाई ठिकानों को नष्ट करने कीक्षमता है।
पाकिस्तान भी ड्रोन और मिसाइलें भेज रहा था, लेकिन वे लक्ष्य से चूकते रहे। एक चौंकाने वाली घटना में पाकिस्तानी सेना ने एक मिसाइल को गलत तरीके से दागा, जो अपने लक्ष्य से पूरी तरह चूक गई और नागरिक आबादी वाले इलाके में एक गुरुद्वारे के पास जा गिरी।
विस्फोट से खिड़कियां टूट गईं और सिखों में दहशत फैल गई। अगर यह प्रार्थना के समय हुआ होता तो बड़े पैमाने पर लोग हताहत हो सकते थे। यह कोई अलग-थलग मामला नहीं है। पाकिस्तान की मिसाइल प्रणाली की खराब टारगेटिंग का एक लंबा रिकॉर्ड है। 2022 में भी एक छोटी दूरी की मिसाइल के परीक्षण के दौरान प्रोजेक्टाइल पाकिस्तान में ही दुर्घटनाग्रस्त हो गया था।
2024 की शुरुआत में भी इसी तरह के एक परीक्षण अभ्यास के दौरान मिसाइल अपनी ट्रैजेक्टरी से भटककर हवा में ही फट गई थी। इससे भी पाकिस्तान की क्षमताओं पर सवाल उठे थे। इस बार गुरुद्वारे की घटना इसलिए ज्यादा चौंकाने वाली है, क्योंकि यह न केवल तकनीकी विफलता थी, बल्कि कूटनीतिक और सामुदायिक हादसा भी था।
इसमें निशाने पर एक धार्मिक अल्पसंख्यक वर्ग था, जो पहले ही पाकिस्तान में भेदभाव का सामना कर रहा है। बात केवल खराब टारगेटिंग की ही नहीं है। पाकिस्तानी हथियारों की गुणवत्ता भी बदतर है। दोषपूर्ण गाइडेंस-सिस्टम से लेकर नाकाम प्रोपल्शन तक- समस्याएं हर तरफ हैं।
भारतीय वायु रक्षा ने हरियाणा के सिरसा में एक पाकिस्तानी फतेह-1 मिसाइल को रोका और नष्ट कर दिया। इस मिसाइल को पाकिस्तान के गौरव के रूप में प्रचारित किया गया था, जबकि यह कई बार दुर्घटनाग्रस्त हुई है, रास्ते से भटकी है या लॉन्च होने में ही नाकाम रही है।
पाकिस्तान के अधिकांश हथियार पुराने, क्षतिग्रस्त या पूरी तरह से अनुपयोगी हैं। टैंक खराब हो जाते हैं, प्रशिक्षण के दौरान जेट दुर्घटनाग्रस्त हो जाते हैं और चीन से खरीदे गए ड्रोन उड़ान भरने में नाकाम हैं। दरअसल, यह युद्ध के लिए तैयार सेना नहीं, जर्जर मशीनरी का संग्रहालय है!
जहां वजीरिस्तान में आतंकवादी, बलूचिस्तान में विद्रोही और सिंध में अलगाववादी अपनी जमीन मजबूत कर रहे हैं, वहीं सेना धरती गंवा रही है। अप्रैल में बलूच-विद्रोहियों के द्वारा लगाई घात के दौरान पाकिस्तानी जवानों ने अपनी चौकियां छोड़ दी थीं।
ईंधन की कमी और उपकरणों की विफलता के कारण अज़्म-ए-नौ जैसे सैन्य अभ्यासों में देरी हुई। आज हम जो पाकिस्तानी सेना देख रहे हैं, वह चीन के कबाड़ हथियारों, अधिग्रहण में भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया मैनिपुलेशन पर जीवित है। अब वह एक पेशेवर लड़ाकू बल नहीं रह गई है।
दुनिया को यह हकीकत देखनी चाहिए कि आज पाकिस्तान के लिए सबसे बड़ा खतरा बाहरी नहीं, उसकी अपनी खोखली सेना है।
आज हम जो पाकिस्तानी सेना देख रहे हैं, वह चीन के कबाड़ हथियारों, अधिग्रहण में भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया मैनिपुलेशन पर जीवित है। पाकिस्तान के लिए बड़ा खतरा बाहरी नहीं, उसकी अपनी खोखली सेना है। (ये लेखक के अपने विचार हैं)
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