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शुभम द्विवेदी के गांव में गम, गुस्सा और आंसू: आतंकी हमले में मारे गए कानपुर के कारोबारी के गांव में सन्नाटा, ग्रामीण बोले-पाकिस्तान से बदला ले सरकार – Narval News

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शुभम द्विवेदी के गांव में गम, गुस्सा और आंसू:  आतंकी हमले में मारे गए कानपुर के कारोबारी के गांव में सन्नाटा, ग्रामीण बोले-पाकिस्तान से बदला ले सरकार – Narval News

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शुभम द्विवेदी के गांव में गम, गुस्सा और आंसू: आतंकी हमले में मारे गए कानपुर के कारोबारी के गांव में सन्नाटा, ग्रामीण बोले-पाकिस्तान से बदला ले सरकार – Narval News

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लवकुश आर्य नरवल5 मिनट पहले

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स्थान कानपुर का हाथीपुर गांव सोमवार सुबह के दस बजे हैं। यह वही गांव है जहां के शुभम की आतंकियों ने जम्मू कश्मीर के पहलगाम में गोली मारकर हत्या कर दी थी।

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गांव में अभी भी पूरी तरह सन्नाटा पसरा है। अगर कहीं कोई बात हो रही है तो बस शुभम की। गांव का माहौल देखकर लग रह है जैसे शुभम द्विवेदी पूरे गांव की रौनक ले गए।

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करीब पांच हजार आबादी वाले हाथीपुर गांव के लोग दुख, करुणा और आतंकियों के खिलाफ गुस्से से भरे हुए हैं। सात दिन बाद दैनिक NEWS4SOCIALकी टीम गांव पहुंची। पैतृक गांव हाथीपुर में आतंकवाद के खिलाफ जमकर गुस्सा है। घटना के चार दिन बीत चुके हैं लेकिन गांव में कोई चहल पहल नहीं दिखती। लोग बस जरूरी काम ही निपटा रहे हैं।

सात दिन बाद दैनिक NEWS4SOCIALके साथ जानिए शुभम के गांव का क्या हाल है। लोग क्या मांग कर रहे हैं।

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सिलसिलेवार पढ़िए पूरी रिपोर्ट

शुभम द्विवेदी के गांव में गलियां सूनी हैं जैसे सारी रौनक चली गई।

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शुभम के गांव में 22 साल रही है प्रधानी, गांव में है सम्मान

जम्मू कश्मीर में 22 अप्रैल को आतंकियों ने कानपुर के शुभम द्विवेदी की गोली मार कर हत्या कर दी। इस दुखद घटना के बाद से परिवारजनों में गमों का पहाड़ टूट पड़ा। शुभम के बड़े बाबा चंदन द्विवेदी हाथीपुर गांव के तीन बार प्रधान रहे हैं। उनके छोटे बाबा सुभाष द्विवेदी भी 7 साल प्रधान रहे। इसीलिए पूरा गांव इनके परिवार को विशेष महत्व देता है। यही कारण है कि हर ओर गुस्सा और गम और आक्रोश व्याप्त है।

रानू शुक्ला कहते हैं कि जबतक पाकिस्तान से बदला नहीं लिया जाएगा तब तक मेरे दोस्त की शहादत का सम्मान पूरा नहीं होगा।

दोषियों को कड़ी सजा मिले, तभी हमारे शुभम को न्याय मिलेगा

गांव के फूल सिंह साहू कहते हैं कि, घटना के सात दिन बीत चुके हैं। लेकिन गांव के कई घरों में ठीक से खाना नहीं बना है। लोगों की भूख तो जैसे मर ही गई है। इस घटना के बाद से लोगों में आतंकवाद के खिलाफ जमकर आक्रोश है।

हम सभी की सरकार से मांग कि इस घटना में शामिल दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दी जाए, और आतंकवाद का पूरी तरह से सफाया किया जाए। जब दोषियों को सजा मिलेगी तभी पहलगाम में जान गंवाने वालों को न्याय मिल पाएगा। उन्होंने सभी शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की।

फूल सिंह साहू का कहना है कि शुभम की मौत के सात दिन बीत चुके पर गांव वाले अभी भी सामान्य नहीं हो पाए हैं।

हम सभी को परिवार का सदस्य मानते थे शुभम भइया

गांव के ही आशुतोष शुक्ला भावुक होकर बोले, शुभमभैया को घूमना बहुत पसंद था जब भी वे फ्री होकर दुकान में बैठते थे तो सभी को अपने सफर की बाते बताया करते थे, इस बीच आपस में काफी हंसी मजाक हुआ करता था, मैं उनके साथ ही काम करता था कभी भी ये नहीं लगा कि वे मालिक हैं। हमेशा हम सभी के बीच में एक परिवार की तरह रहते थे। उन्होंने कहा कि कभी भी किसी कर्मचारी या आस पड़ोस के लोगों को अपशब्द नहीं बोला।

शुभम के बचपन के दोस्त और सहपाठी रहे अंशु गुप्ता ने कहा मुझे तो विश्वास ही नहीं हो रहा कि अब वह नहीं है।

सरकार पर पूरा भरोसा पर पाकिस्तान को जल्दी सबक सिखाया जाए

गांव के रानू शुक्ला ने कहा कि हम पहलगाम में हुई आतंकी घटना की कड़ी निंदा करते है। और सरकार से मांग करते है। पाकिस्तान जो आतंकवाद को पनाह देता है इस पर भी कार्रवाई करें। सरकार इस घटना में शामिल आतंकवादियों को मार कर शुभम द्विवेदी को न्याय दिलाए।

इस घटना से गांव में शोक की लहर डूबी है हर तरफ शुभम द्विवेदी की हत्या की बात चल रही है। घटना के सात दिन का समय होने के बाद कोई कड़ी कार्रवाई न होने से नाराजगी भी जाहिर कर रहे है। उनका कहना है कि अभी तक सरकार ने आतंकवाद के खिलाफ ठोस कदम क्यों नहीं उठाए हैं।

सुंदरम ने बताया कि शुभम की मौत की घटना ने हम सबका दिल तोड़ दिया।

मेरा सहपाठी था शुभम, हमें तो विश्वास ही नहीं होता

हाथीपुर गांव निवासी अंशु गुप्ता का कहना है कि शुभम द्विवेदी बचपन का सहपाठी था उसका बचपन गांव बीता। जिस दिन शुभम की मौत की खबर मिली पूरे गांव में लोग अवाक रह गए। गांव के लोगों को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर ये सब कैसे क्या हो गया। कई घरों में के लोग ठीक से खा भी नहीं पा रहे हैं।

हाथीपुर निवासी सुंदरम द्विवेदी, रोहित आदि ग्रामीणों ने कहा कि पहलगाम में जो घटना हुई है वह बड़ी दुःखद है हम इस घटना की निंदा करते है। उन्होंने कहा कि जिस तरह शुभमकी हत्या की गई उसी तरह उनके हत्यारों को भी गोली मारी जाए। तभी शुभम द्विवेदी की सही मायने में श्रद्धांजलि होगी।

गुरुवार 24 को राजकीय सम्मान के साथ शुभम का अंतिम संस्कार किया गया।

अब जानिए 22 फरवरी को शुभम के साथ क्या हुआ था

कानपुर के महाराजपुर थाना क्षेत्र के हाथीपुर गांव निवासी शुभम द्विवेदी की शादी 12 फरवरी को हुई थी। वह पत्नी ऐशान्या समेत परिवार के 11 लोगों के साथ 17 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर घूमने गए थे। उनके माता-पिता, बहन, बहनोई और उनकी बहन भी साथ थीं। मंगलवार 22 फरवरी को शुभम अपनी पत्नी के साथ पहलगाम में थे तभी आतंकियों ने उनका नाम पूछकर गोली मार दी थी।

गुरुवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी पहुंचे थे और शुभम की पत्नी ऐशन्या को कार्रवाई का आश्वासन दिया था।

बुधवार-गुरुवार की मध्य रात्रि को शुभम द्विवेदी का पार्थिव शरीर उनके पैतृक गांव हाथीपुर पहुंचा था। गुरुवार को सीएम योगी और विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना समेत कई मंत्री-सांसद शुभम के घर पहुंचे थे। बाद में गुरुवार को ही ड्योढ़ी घाट में शुभम द्विवेदी का राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार कर किया गया था।

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जम्मू-कश्मीर के आतंकी हमले में कानपुर के कारोबारी की मौत:पत्नी बोली- नाम पूछा और सिर में गोली मार दी, 2 महीने पहले हुई थी शादी

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में कानपुर के शुभम द्विवेदी (31 साल) की गोली मारकर हत्या कर दी गई। शुभम की दो महीने पहले शादी हुई थी। वह पत्नी और परिवार के 11 सदस्यों के साथ कश्मीर घूमने गए थे।

पत्नी ने परिवार को फोन पर बताया कि आतंकियों ने पहले नाम पूछा और फिर सिर में गोली मार दी। एक वीडियो भी सामने आया है, जोकि कश्मीर का बताया जा रहा है। इसमें मैदान में लाश दिखती है। शुभम के चचेरे भाई सौरभ द्विवेदी ने कहा- वीडियो में दिख रही लाश हमारे भाई की है।

उन्होंने बताया- भैया और भाभी सोनमर्ग, गुलमर्ग घूमने के बाद आज पहलगाम में थे। फोन पर हमारी परिवार से बात हुई है। पता चला है कि शुभम और उनकी पत्नी एशान्या घुड़सवारी करते हुए ऊपर पहाड़ियों पर गए थे। परिवार के बाहर लोग नीचे ही थे। अचानक वहां भगदड़ मच गई, कुछ देर बाद जानकारी मिली कि वहां लोगों को आतंकियों ने गोली मार दी है। पूरी खबर पढ़िए

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