शीला भट्ट का कॉलम: पाकिस्तान समझे कि ये नए भारत का ‘न्यू-नॉर्मल’ है h3>
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35 मिनट पहले
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शीला भट्ट वरिष्ठ पत्रकार
ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान और पीओके के आतंकी ढांचों पर भारत का हमला इन दोनों देशों के संबंधों को नई जमीन पर ले जा रहा है! 6-7 मई की दरमियानी रात पाकिस्तान और पीओके में 9 आतंकी ठिकानों पर हमले के बाद भारत लड़ाई को आगे बढ़ाने में दिलचस्पी नहीं दिखा रहा था। ऑपरेशन पूरा होने के बाद भारत ने जोर देकर कहा कि उसकी प्रतिक्रिया केंद्रित, नपी-तुली और नॉन-एस्केलेटरी थी।
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लेकिन 8 मई को रक्षा मंत्रालय के अधिकृत बयान के अनुसार, 7-8 मई की रात पाकिस्तान ने ड्रोन और मिसाइलों का इस्तेमाल करते हुए अमृतसर, श्रीनगर, चंडीगढ़ और भुज सहित भारत के 16 शहरों में सैन्य प्रतिष्ठानों को निशाना बनाने की कोशिश की। 8 मई को भारत ने लाहौर सहित पाकिस्तान के कई शहरों में एयर डिफेंस वायु रक्षा रडारों और प्रणालियों को निशाना बनाकर जवाबी कार्रवाई की। यह एक बार फिर ईंट का जवाब पत्थर से था!
कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि भारत इसलिए गुस्से में है, क्योंकि पिछले दो दिनों से पाकिस्तान पुंछ में नियंत्रण रेखा पर निर्दोष भारतीय नागरिकों को अपना निशाना बना रहा है। लेकिन इस समय, न केवल भारतीय जनता बल्कि सभी संबंधित लोग केवल एक ही सवाल पूछ रहे हैं : क्या भारत और पाकिस्तान के बीच एक फुल-स्केल युद्ध होगा?
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इसके जवाब में भारत दो बातें स्पष्ट कर रहा है। एक, भारत पाकिस्तान के साथ युद्ध नहीं चाहता है। पहलगाम आतंकी हमले के कारण भारत का जवाबी-प्रहार स्वाभाविक था, लेकिन ऑपरेशन सिंदूर के बाद वह बात को वहीं खत्म कर देना चाहता था।
दूसरे, लेकिन अगर पाकिस्तान पीछे नहीं हटता है तो भारत भी मुंहतोड़ जवाब देने के मूड में है। दूसरे शब्दों में, अगर पाकिस्तान यही चाहता है तो भारत भी पूरी ताकत से युद्ध करने के लिए तैयार है। ऑपरेशन सिंदूर के जरिए मोदी पाकिस्तान के सामने नई शर्तें रख रहे हैं।
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भारत की कार्रवाई पहले से कहीं ज्यादा आक्रामक है। पाकिस्तान से निपटने के लिए मोदी का 2025 का सिद्धांत यह है कि अगर पाकिस्तान भारतीय धरती पर आतंकवाद फैलाता है तो उसे इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी। भारत सीमा लांघने से भी नहीं हिचकिचाएगा।
ऑपरेशन सिंदूर का मुख्य संदेश कठोर और सीधा था। जब भी पाकिस्तान अपने छद्म और प्रशिक्षित आतंकवादियों के जरिए भारत पर प्रहार करेगा, भारत उस मुद्दे को उसकी तार्किक परिणति तक ले जाएगा। हालांकि यह आसान नहीं है। कोई भी सैन्य कार्रवाई आसान नहीं होती।
यह एकतरफा भी नहीं होती। रूस और यूक्रेन युद्ध इसका जीता-जागता उदाहरण है। पाकिस्तान की सेना पेशेवर है। भारत की तुलना में वह भले कमजोर हो, लेकिन उसे चीन का समर्थन प्राप्त है। अगर युद्ध छिड़ता है तो ये तमाम बिंदु मायने रखेंगे।
हो सकता है पाकिस्तान के खिलाफ हमारे सख्त रुख के बावजूद भारतीय क्षेत्र में आतंकवाद नहीं रुकेगा, लेकिन इससे भारत के दुश्मनों में डर का माहौल जरूर पैदा होगा। यह भी सम्भव है कि इससे आतंकवादियों पर लगाम न लगे, लेकिन भारत के कड़े रुख के चलते उन्हें इसकी बड़ी कीमत जरूर चुकानी पड़ेगी। भारत को महसूस हुआ है कि पहलगाम जैसी घटना ने उसे ऐसी स्थिति में ला दिया है, जहां उसके पास आक्रामकता के सिवा कोई और चारा नहीं रह गया है।
पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के प्रति यह रवैया कांग्रेस सरकारों से बिल्कुल अलग है। मोदी जानते हैं कि उनकी सरकार हिंदू-पहचान के मुद्दे पर सत्ता में आई है। पहलगाम जैसी घटना- जिसमें हिंदुओं को उनका धर्म पूछकर मारा गया था- पर अगर कड़ा जवाब नहीं दिया जाता तो उनकी राजनीतिक विश्वसनीयता कमजोर हो सकती थी। यही कारण है कि मोदी सरकार ने इस बार अपनी कमर कस ली है। उधर पाकिस्तान को भी समझना होगा कि ये नए भारत का ‘न्यू-नॉर्मल’ है।
ऑपरेशन सिंदूर से पता चलता है कि पाकिस्तान युद्ध जीतने के लिए दुष्प्रचार से बाज नहीं आता। भारतीय वायुसेना द्वारा अपनी कुछ संपत्तियों और हाई-वैल्यू वाले विमानों को खोने का मुद्दा ऐसा है, जो पाकिस्तान के सोशल मीडिया में बहुत प्रचारित किया गया। युद्ध के दौरान तथ्यों और सच्चाई को जानना मुश्किल होता है।
भारतीय वायुसेना के इतने बड़े ऑपरेशन के दौरान हुए नफे-नुकसान की अधिकृत जानकारी अभी तक नहीं मिली है। ऐसी परिस्थितियों में वस्तुस्थिति का सत्यापन युद्ध के बाद ही सम्भव है। लेकिन इस बार, भारत दुष्प्रचार का जवाब देने के लिए भी बखूबी तैयार है।
आतंकवाद के प्रति मोदी सरकार का यह रवैया कांग्रेस सरकारों से बिल्कुल अलग है। मोदी जानते हैं कि उनकी सरकार हिंदू-पहचान के मुद्दे पर सत्ता में आई है। यही कारण है कि मोदी सरकार ने इस बार अपनी कमर कस ली है।
(ये लेखिका के अपने विचार हैं।)
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शीला भट्ट वरिष्ठ पत्रकार
ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान और पीओके के आतंकी ढांचों पर भारत का हमला इन दोनों देशों के संबंधों को नई जमीन पर ले जा रहा है! 6-7 मई की दरमियानी रात पाकिस्तान और पीओके में 9 आतंकी ठिकानों पर हमले के बाद भारत लड़ाई को आगे बढ़ाने में दिलचस्पी नहीं दिखा रहा था। ऑपरेशन पूरा होने के बाद भारत ने जोर देकर कहा कि उसकी प्रतिक्रिया केंद्रित, नपी-तुली और नॉन-एस्केलेटरी थी।
लेकिन 8 मई को रक्षा मंत्रालय के अधिकृत बयान के अनुसार, 7-8 मई की रात पाकिस्तान ने ड्रोन और मिसाइलों का इस्तेमाल करते हुए अमृतसर, श्रीनगर, चंडीगढ़ और भुज सहित भारत के 16 शहरों में सैन्य प्रतिष्ठानों को निशाना बनाने की कोशिश की। 8 मई को भारत ने लाहौर सहित पाकिस्तान के कई शहरों में एयर डिफेंस वायु रक्षा रडारों और प्रणालियों को निशाना बनाकर जवाबी कार्रवाई की। यह एक बार फिर ईंट का जवाब पत्थर से था!
कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि भारत इसलिए गुस्से में है, क्योंकि पिछले दो दिनों से पाकिस्तान पुंछ में नियंत्रण रेखा पर निर्दोष भारतीय नागरिकों को अपना निशाना बना रहा है। लेकिन इस समय, न केवल भारतीय जनता बल्कि सभी संबंधित लोग केवल एक ही सवाल पूछ रहे हैं : क्या भारत और पाकिस्तान के बीच एक फुल-स्केल युद्ध होगा?
इसके जवाब में भारत दो बातें स्पष्ट कर रहा है। एक, भारत पाकिस्तान के साथ युद्ध नहीं चाहता है। पहलगाम आतंकी हमले के कारण भारत का जवाबी-प्रहार स्वाभाविक था, लेकिन ऑपरेशन सिंदूर के बाद वह बात को वहीं खत्म कर देना चाहता था।
दूसरे, लेकिन अगर पाकिस्तान पीछे नहीं हटता है तो भारत भी मुंहतोड़ जवाब देने के मूड में है। दूसरे शब्दों में, अगर पाकिस्तान यही चाहता है तो भारत भी पूरी ताकत से युद्ध करने के लिए तैयार है। ऑपरेशन सिंदूर के जरिए मोदी पाकिस्तान के सामने नई शर्तें रख रहे हैं।
भारत की कार्रवाई पहले से कहीं ज्यादा आक्रामक है। पाकिस्तान से निपटने के लिए मोदी का 2025 का सिद्धांत यह है कि अगर पाकिस्तान भारतीय धरती पर आतंकवाद फैलाता है तो उसे इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी। भारत सीमा लांघने से भी नहीं हिचकिचाएगा।
ऑपरेशन सिंदूर का मुख्य संदेश कठोर और सीधा था। जब भी पाकिस्तान अपने छद्म और प्रशिक्षित आतंकवादियों के जरिए भारत पर प्रहार करेगा, भारत उस मुद्दे को उसकी तार्किक परिणति तक ले जाएगा। हालांकि यह आसान नहीं है। कोई भी सैन्य कार्रवाई आसान नहीं होती।
यह एकतरफा भी नहीं होती। रूस और यूक्रेन युद्ध इसका जीता-जागता उदाहरण है। पाकिस्तान की सेना पेशेवर है। भारत की तुलना में वह भले कमजोर हो, लेकिन उसे चीन का समर्थन प्राप्त है। अगर युद्ध छिड़ता है तो ये तमाम बिंदु मायने रखेंगे।
हो सकता है पाकिस्तान के खिलाफ हमारे सख्त रुख के बावजूद भारतीय क्षेत्र में आतंकवाद नहीं रुकेगा, लेकिन इससे भारत के दुश्मनों में डर का माहौल जरूर पैदा होगा। यह भी सम्भव है कि इससे आतंकवादियों पर लगाम न लगे, लेकिन भारत के कड़े रुख के चलते उन्हें इसकी बड़ी कीमत जरूर चुकानी पड़ेगी। भारत को महसूस हुआ है कि पहलगाम जैसी घटना ने उसे ऐसी स्थिति में ला दिया है, जहां उसके पास आक्रामकता के सिवा कोई और चारा नहीं रह गया है।
पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के प्रति यह रवैया कांग्रेस सरकारों से बिल्कुल अलग है। मोदी जानते हैं कि उनकी सरकार हिंदू-पहचान के मुद्दे पर सत्ता में आई है। पहलगाम जैसी घटना- जिसमें हिंदुओं को उनका धर्म पूछकर मारा गया था- पर अगर कड़ा जवाब नहीं दिया जाता तो उनकी राजनीतिक विश्वसनीयता कमजोर हो सकती थी। यही कारण है कि मोदी सरकार ने इस बार अपनी कमर कस ली है। उधर पाकिस्तान को भी समझना होगा कि ये नए भारत का ‘न्यू-नॉर्मल’ है।
ऑपरेशन सिंदूर से पता चलता है कि पाकिस्तान युद्ध जीतने के लिए दुष्प्रचार से बाज नहीं आता। भारतीय वायुसेना द्वारा अपनी कुछ संपत्तियों और हाई-वैल्यू वाले विमानों को खोने का मुद्दा ऐसा है, जो पाकिस्तान के सोशल मीडिया में बहुत प्रचारित किया गया। युद्ध के दौरान तथ्यों और सच्चाई को जानना मुश्किल होता है।
भारतीय वायुसेना के इतने बड़े ऑपरेशन के दौरान हुए नफे-नुकसान की अधिकृत जानकारी अभी तक नहीं मिली है। ऐसी परिस्थितियों में वस्तुस्थिति का सत्यापन युद्ध के बाद ही सम्भव है। लेकिन इस बार, भारत दुष्प्रचार का जवाब देने के लिए भी बखूबी तैयार है।
आतंकवाद के प्रति मोदी सरकार का यह रवैया कांग्रेस सरकारों से बिल्कुल अलग है। मोदी जानते हैं कि उनकी सरकार हिंदू-पहचान के मुद्दे पर सत्ता में आई है। यही कारण है कि मोदी सरकार ने इस बार अपनी कमर कस ली है।
(ये लेखिका के अपने विचार हैं।)
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