शिवराज सिंह चौहान का कॉलम: देश आने वाले कल की नई कृषि-व्यवस्था की ओर बढ़ रहा है h3>
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शिवराज सिंह चौहान केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री
कृषि क्षेत्र करोड़ों लोगों को आजीविका देता है। साथ ही, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा और ग्रामीण विकास का प्रमुख आधार भी है। ऐसे में राष्ट्र की प्रगति के लिए हमारे किसान भाइयों-बहनों की उन्नति आवश्यक है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने कृषि और किसान कल्याण को नीति-निर्माण की सर्वोच्च प्राथमिकता में स्थान दिया है।
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किसानों की मेहनत को उचित सम्मान मिले, उनकी फसल को सही दाम मिले और उनका जीवन खुशहाली से भरा हो, इसके लिए केंद्र सरकार संकल्पित है। बीते दशक में केंद्र सरकार ने किसान कल्याण के लिए ऐतिहासिक कदम उठाए हैं, जिनसे न केवल किसानों की आय बढ़ी, बल्कि उनका आत्मविश्वास भी सुदृढ़ हुआ है।
चाहे न्यूनतम समर्थन मूल्य में अभूतपूर्व वृद्धि हो, फसलों की खरीद में रिकॉर्ड बढ़ोतरी हो या तकनीकी नवाचारों के माध्यम से खेती को आधुनिक बनाने का प्रयास; सरकार ने हर क्षेत्र में किसानों के लिए दिन-रात काम किया है। किसान हितैषी नीतियों, तकनीकी के उपयोग, नवाचार और बाजार तक सुगम पहुंच के माध्यम से भारत टिकाऊ, समावेशी और भविष्य-उन्मुख कृषि-व्यवस्था की ओर बढ़ रहा है।
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पहले के समय में हमारे किसान फसल लागत से नाममात्र का लाभ कमा पाते थे, पर प्रधानमंत्री ने स्पष्ट नीति बनाई कि हर फसल पर उसकी लागत से ऊपर, कम से कम 50% मुनाफा सुनिश्चित होगा। आज खरीफ व रबी की प्रमुख फसलों के एमएसपी में 1.8 से 3.3 गुना तक की वृद्धि की गई है। इससे किसानों को उनकी मेहनत का पूरा दाम मिलना सुनिश्चित हुआ है।
2004-14 के मुकाबले 2014-2025 के दौरान एमएसपी पर खरीदी गई फसलों की मात्रा और भुगतान में भी रिकॉर्ड वृद्धि हुई है। सरकार ने केवल एमएसपी बढ़ाने तक ही खुद को सीमित नहीं रखा, बल्कि यह भी सुनिश्चित किया है कि यह लाभ सीधे किसानों के खाते में पहुंचे।
प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) के माध्यम से हमने पारदर्शिता और गति के साथ किसानों को उनकी मेहनत का पूरा दाम दिलाया है। यह एक ऐसी कृषि क्रांति है, जो हमारे किसान भाइयों-बहनों का जीवन व खेती की दशा-दिशा बदल रही है। अब किसान निश्चिंत होकर खेती करता है, क्योंकि उसे पता है कि उसकी फसल का उचित मूल्य व समय पर भुगतान सुनिश्चित मिलना है।
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आज केंद्र सरकार बीज से बाजार तक, हर कदम पर किसानों के साथ खड़ी है। मृदा स्वास्थ्य कार्ड से किसानों को अपनी मिट्टी की सेहत जानने और सही फसल चुनने में मदद मिल रही है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना प्राकृतिक आपदाओं से आर्थिक सुरक्षा दे रही है। ई-नाम के जरिए डिजिटल बाजार से जुड़कर किसानों को बेहतर दाम मिल रहा है।
ड्रोन और स्मार्ट सिंचाई तकनीक खेती को आसान और आधुनिक बना रहे हैं। इसके साथ ही, प्राकृतिक खेती, फसल विविधीकरण और कृषि यंत्रों पर अनुदान के माध्यम से हमने किसानों को आत्मनिर्भर बनाने का हरसंभव प्रयास किया है।
सरकार ने किसानों को ब्याज सहायता के तहत किसान क्रेडिट कार्ड के माध्यम से 3 लाख रुपए तक का अल्पकालिक ऋण 7% ब्याज पर उपलब्ध कराया है। यह समय से चुकाने पर 3% अतिरिक्त छूट मिलती है, जिससे प्रभावी ब्याज दर 4% रह जाती है।
देश में 7.75 करोड़ से अधिक KCC खाते हैं, जिससे किसानों को सस्ता व सुलभ ऋण मिल रहा है। मृदा स्वास्थ्य कार्ड, ई-नाम, ड्रोन, स्मार्ट सिंचाई, प्राकृतिक खेती, कृषि यंत्रों पर अनुदान आदि के माध्यम से खेती को आधुनिक-टिकाऊ बनाया जा रहा है।
प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान के तहत मूल्य समर्थन योजना, मूल्य न्यूनता भुगतान योजना, बाजार हस्तक्षेप योजना और मूल्य स्थिरीकरण निधि को लागू किया गया है। मूल्य स्थिरीकरण निधि के तहत दलहन, तिलहन व कोपरा की एमएसपी पर खरीद सीधे किसानों से की जाती है।
2024-25 में सोयाबीन की 19.97 लाख मीट्रिक टन व मूंगफली की 17.73 लाख मीट्रिक टन खरीद की गई, जो अब तक की सबसे अधिक है। तकनीकी नवाचारों के साथ ये पहलें किसानों को आत्मनिर्भर, समृद्ध व खुशहाल बनाने की दिशा में मील का पत्थर हैं। (ये लेखक के अपने विचार हैं)
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कृषि क्षेत्र करोड़ों लोगों को आजीविका देता है। साथ ही, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा और ग्रामीण विकास का प्रमुख आधार भी है। ऐसे में राष्ट्र की प्रगति के लिए हमारे किसान भाइयों-बहनों की उन्नति आवश्यक है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने कृषि और किसान कल्याण को नीति-निर्माण की सर्वोच्च प्राथमिकता में स्थान दिया है।
किसानों की मेहनत को उचित सम्मान मिले, उनकी फसल को सही दाम मिले और उनका जीवन खुशहाली से भरा हो, इसके लिए केंद्र सरकार संकल्पित है। बीते दशक में केंद्र सरकार ने किसान कल्याण के लिए ऐतिहासिक कदम उठाए हैं, जिनसे न केवल किसानों की आय बढ़ी, बल्कि उनका आत्मविश्वास भी सुदृढ़ हुआ है।
चाहे न्यूनतम समर्थन मूल्य में अभूतपूर्व वृद्धि हो, फसलों की खरीद में रिकॉर्ड बढ़ोतरी हो या तकनीकी नवाचारों के माध्यम से खेती को आधुनिक बनाने का प्रयास; सरकार ने हर क्षेत्र में किसानों के लिए दिन-रात काम किया है। किसान हितैषी नीतियों, तकनीकी के उपयोग, नवाचार और बाजार तक सुगम पहुंच के माध्यम से भारत टिकाऊ, समावेशी और भविष्य-उन्मुख कृषि-व्यवस्था की ओर बढ़ रहा है।
पहले के समय में हमारे किसान फसल लागत से नाममात्र का लाभ कमा पाते थे, पर प्रधानमंत्री ने स्पष्ट नीति बनाई कि हर फसल पर उसकी लागत से ऊपर, कम से कम 50% मुनाफा सुनिश्चित होगा। आज खरीफ व रबी की प्रमुख फसलों के एमएसपी में 1.8 से 3.3 गुना तक की वृद्धि की गई है। इससे किसानों को उनकी मेहनत का पूरा दाम मिलना सुनिश्चित हुआ है।
2004-14 के मुकाबले 2014-2025 के दौरान एमएसपी पर खरीदी गई फसलों की मात्रा और भुगतान में भी रिकॉर्ड वृद्धि हुई है। सरकार ने केवल एमएसपी बढ़ाने तक ही खुद को सीमित नहीं रखा, बल्कि यह भी सुनिश्चित किया है कि यह लाभ सीधे किसानों के खाते में पहुंचे।
प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) के माध्यम से हमने पारदर्शिता और गति के साथ किसानों को उनकी मेहनत का पूरा दाम दिलाया है। यह एक ऐसी कृषि क्रांति है, जो हमारे किसान भाइयों-बहनों का जीवन व खेती की दशा-दिशा बदल रही है। अब किसान निश्चिंत होकर खेती करता है, क्योंकि उसे पता है कि उसकी फसल का उचित मूल्य व समय पर भुगतान सुनिश्चित मिलना है।
आज केंद्र सरकार बीज से बाजार तक, हर कदम पर किसानों के साथ खड़ी है। मृदा स्वास्थ्य कार्ड से किसानों को अपनी मिट्टी की सेहत जानने और सही फसल चुनने में मदद मिल रही है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना प्राकृतिक आपदाओं से आर्थिक सुरक्षा दे रही है। ई-नाम के जरिए डिजिटल बाजार से जुड़कर किसानों को बेहतर दाम मिल रहा है।
ड्रोन और स्मार्ट सिंचाई तकनीक खेती को आसान और आधुनिक बना रहे हैं। इसके साथ ही, प्राकृतिक खेती, फसल विविधीकरण और कृषि यंत्रों पर अनुदान के माध्यम से हमने किसानों को आत्मनिर्भर बनाने का हरसंभव प्रयास किया है।
सरकार ने किसानों को ब्याज सहायता के तहत किसान क्रेडिट कार्ड के माध्यम से 3 लाख रुपए तक का अल्पकालिक ऋण 7% ब्याज पर उपलब्ध कराया है। यह समय से चुकाने पर 3% अतिरिक्त छूट मिलती है, जिससे प्रभावी ब्याज दर 4% रह जाती है।
देश में 7.75 करोड़ से अधिक KCC खाते हैं, जिससे किसानों को सस्ता व सुलभ ऋण मिल रहा है। मृदा स्वास्थ्य कार्ड, ई-नाम, ड्रोन, स्मार्ट सिंचाई, प्राकृतिक खेती, कृषि यंत्रों पर अनुदान आदि के माध्यम से खेती को आधुनिक-टिकाऊ बनाया जा रहा है।
प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान के तहत मूल्य समर्थन योजना, मूल्य न्यूनता भुगतान योजना, बाजार हस्तक्षेप योजना और मूल्य स्थिरीकरण निधि को लागू किया गया है। मूल्य स्थिरीकरण निधि के तहत दलहन, तिलहन व कोपरा की एमएसपी पर खरीद सीधे किसानों से की जाती है।
2024-25 में सोयाबीन की 19.97 लाख मीट्रिक टन व मूंगफली की 17.73 लाख मीट्रिक टन खरीद की गई, जो अब तक की सबसे अधिक है। तकनीकी नवाचारों के साथ ये पहलें किसानों को आत्मनिर्भर, समृद्ध व खुशहाल बनाने की दिशा में मील का पत्थर हैं। (ये लेखक के अपने विचार हैं)
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