शरद पवार का वो बारिश का भाषण, वो ED को चैलेंज… यूं ही नहीं कोई ‘साहेब’ बन जाता है! पढ़िए 5 किस्से

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शरद पवार का वो बारिश का भाषण, वो ED को चैलेंज… यूं ही नहीं कोई ‘साहेब’ बन जाता है! पढ़िए 5 किस्से

शरद पवार का वो बारिश का भाषण, वो ED को चैलेंज… यूं ही नहीं कोई ‘साहेब’ बन जाता है! पढ़िए 5 किस्से

मुंबई: शरद पवार यानी महाराष्ट्र की सियासत के महाचाणक्य। शरद पवार मतलब एक ऐसा मराठा क्षत्रप जो बड़ी-बड़ी चुनौतियों का सामना करने से कभी पीछे नहीं हटा। शरद पवार का छह दशकों का सियासी जीवन जीवटता और जुझारूपन के किस्से-कहानियों से भरा पड़ा है। बारामती के महारथी की सियासत में ऐसे कई मौके हैं, जब उन्होंने अपने जुझारू तेवरों से नई लकीर खींच दी। वो बारिश का भाषण तो हर किसी के जेहन में है। इस एक भाषण ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के क्लाइमेक्स को नया मोड़ दे दिया। पवार ने जब ऐलान किया कि मैं ईडी दफ्तर आ रहा हूं तो मुंबई पुलिस कमिश्नर को अपील करनी पड़ी।

1. जब चुनावी रैली के बाद सीधे सर्जरी के लिए गए

2004 का लोकसभा चुनाव था और शरद पवार पुणे में एक रैली को संबोधित कर रहे थे। इसी भाषण के दौरान पवार ने ऐलान किया कि रैली खत्म होने के बाद वह सीधे हॉस्पिटल जाएंगे। अस्पताल में उनका एक इमरजेंसी ऑपरेशन होना है। उनकी तत्काल सर्जरी होनी थी, इसके बावजूद पवार ने रैली की और फिर मुंबई के लिए रवाना हुए। चुनाव नतीजों के बाद यूपीए सरकार बनी और शरद पवार को कृषि मंत्री की जिम्मेदारी मिली। पवार कैंसर का शिकार हो गए थे। उस वक्त डॉक्टरों ने उनसे कहा कि आपके पास छह महीने का वक्त है। उन्हें 36 बार रेडिएशन ट्रीटमेंट की सलाह दी गई थी। सुबह 9 बजे से दोपहर दो बजे तक पवार मंत्रालय का काम संभालते थे और फिर अपोलो हॉस्पिटल में कीमोथेरेपी के लिए पहुंचते थे। जब एक डॉक्टर ने पवार से कहा कि आप सिर्फ छह महीने के मेहमान हैं तो पवार ने कहा कि मैं बीमारी की चिंता नहीं करता, आपको भी नहीं करनी चाहिए। नतीजा शरद पवार कैंसर से जंग में जीते और उसके 19 साल बाद भी सियासत में ऐक्टिव हैं। 2019 में जब सरकार बनाने पर महाराष्ट्र में तस्वीर धुंधली थी, उस वक्त महाविकास अघाड़ी बनाने के पीछे पवार की ही सक्रियता थी।

2. जब पवार ने ED को दिया चैलेंज और बदल गई ‘चुनावी धारा’

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महाराष्ट्र में 2019 के विधानसभा चुनाव करीब आ रहे थे। इसी दौरान 24 सितंबर 2019 को महाराष्ट्र स्टेट कोऑपरेटिव बैंक घोटाले में शरद पवार और अजित पवार के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की मुंबई ब्रांच ने एफआईआर दर्ज किया। 21 अक्टूबर को विधानसभा का मतदान होना था। उससे ठीक एक महीने पहले हुई इस कार्रवाई से महाराष्ट्र की सियासत गरमा गई। इसके बाद शरद पवार ने जो रुख अपनाया उससे तमाम सियासी एक्सपर्ट हैरान रह गए। पवार ने ऐलान किया कि मुंबई ईडी आफिस में वह खुद जाएंगे। इसके बाद मुंबई के तत्कालीन पुलिस कमिश्नर संजय बार्वे सीधे पवार के घर सिल्वर ओक पहुंचे। पुलिस कमिश्नर ने शरद पवार से ईडी ऑफिस न जाने की अपील की। पवार को ईडी ने भी ई-मेल भेजकर कहा कि उन्हें दफ्तर आने की जरूरत नहीं है। इसके बाद पवार ने ऐलान किया कि मैं नहीं चाहता राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति खराब हो, इसलिए ईडी दफ्तर नहीं जा रहा हूं। महाराष्ट्र की राजनीति के एक्सपर्ट भी मानते हैं कि ईडी और शरद पवार के इस एपिसोड ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की धारा पलट दी।

3. सातारा का वो बारिश में भीगता भाषण और बदल गई चुनावी तस्वीर

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ईडी को चुनौती देने के बाद शरद पवार ने पूरे महाराष्ट्र को मथ दिया। चुनाव प्रचार चरम पर आने से पहले पूरे राज्य में वह ताबड़तोड़ दौरे करते रहे। मोहित पाटिल, पद्मसिंह पाटिल, गणेश नाइक और उदयन राज भोंसले जैसे नेताओं ने उनका साथ छोड़कर बीजेपी या शिवसेना में ठिकाना ढूंढ लिया। इसके बावजूद मराठा क्षत्रप ने हार नहीं मानी। पवार ने चुनाव प्रचार में पूरी ताकत झोंक दी। विधानसभा चुनाव के प्रचार का आखिरी दिन था। सातारा में शरद पवार प्रचार के लिए पहुंचे थे। मूसलाधार बारिश हो रही थी लेकिन पवार बारिश के पानी में भीगते हुए बिना रुके अपना भाषण देते रहे। सोशल मीडिया पर यह तस्वीर खूब वायरल हुई। तमाम एक्सपर्ट पवार के जुझारूपन और जीवट को इससे जोड़कर देख रहे थे। चुनाव नतीजों ने यह बात साबित भी कर दी। जहां 2014 के चुनाव में एनसीपी को 41 सीटें मिली थीं, वहीं 2019 में पार्टी का आंकड़ा 53 सीटों पर पहुंच गया। कहा गया कि इस तस्वीर ने चुनाव में एक गेमचेंजर का काम किया।

4. पवार ने संजय गांधी के साथ काम करने का इंदिरा का ऑफर ठुकराया

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पवार को सियासी चाणक्य कहा जाता है। 1980 में वह महाराष्ट्र के सीएम थे। दिल्ली में इंदिरा गांधी से उनकी मुलाकात हुई। इसी दौरान तत्कालीन पीएम इंदिरा ने सलाह दी कि वह अपने राजनैतिक गुरु यशवंतराव चव्हाण की बजाए संजय गांधी के नेतृत्व में काम करें। पवार ने इस ऑफर को ठुकरा दिया। इंदिरा गांधी से ऐसा कहने का साहस उस जमाने में कम लोगों के पास था। नतीजा पवार को पता था। जब वह महाराष्ट्र लौटे तो उनकी सरकार को हटाने का फैसला लिया जा चुका था। इसी तरह से 1980 के विधानसभा चुनाव में पवार की सोशलिस्ट कांग्रेस को 54 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। इसी दौरान यशवंतराव चव्हाण ने सोशलिस्ट कांग्रेस के ज्यादातर विधायकों को अपने पाले में कर लिया। पवार के पास सिर्फ पांच विधायक रह गए थे। पवार के लिए परिस्थितियां विपरीत थीं। लेकिन हालात से लड़ते हुए पवार ने पूरे राज्य का दौरा किया। किसान रैली के जरिए फिर से हुंकार भरी और इसका नतीजा रहा कि एक बार फिर उन्हें भारी जनसमर्थन हासिल हुआ।

5. पवार को मां शारदाताई से मिली है जीवटता और जुझारूपन

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शरद पवार को आखिर यह फाइटर स्पिरिट कहां से मिली है? इसके बारे में वह खुद कहते हैं कि मां शारदाताई पवार से उनको यह जीवटता मिली है। शरद पवार ने इसका जिक्र अपनी एक आत्मकथा में किया है। पवार ने लिखा- हमारे गांव में एक आवारा सांड था। उसकी वजह से गांववाले काफी परेशान थे। एक दिन किसी ने उसको आग के हवाले कर दिया। बुरी तरह झुलसकर वह सड़क के किनारे पड़ा हुआ था। अगले दिन मेरी मां जब सोकर उठीं तो उन्होंने घायल सांड को देखा। मां ने संवेदना के तौर पर उसकी पीठ पर हाथ फेरा। इतने में सांड उठ गया और पूरी ताकत से मां को उठाकर पटक दिया। पंद्रह मिनट तक वो सांड अपना पूरा वजन डालकर उन्हें दबाता रहा। इससे मां की जांघों की सारी हड्डियां टूट गईं। अस्पताल में भर्ती कराए जाने के बाद डॉक्टरों ने एक पैर से करीब छह इंच की एक हड्डी निकाली। ऑपरेशन तो सफल रहा लेकिन उस हादसे के बाद मां को हमेशा सहारा लेकर चलना पड़ा। पवार ने इस घटना का जिक्र करते हुए कहा था कि इतना कुछ होने के बाद भी मां ने कभी दुख नहीं जताया। इसी से मुझे भी अपने जीवन में प्रेरणा मिलती रहती है।

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