वेब सीरीज रिव्यू: दमदार और दिलचस्प है बरुण सोबती-सुविंदर विक्की की ‘कोहरा’
‘कोहरा’ वेब सीरीज की कहानी
‘कोहरा’, पंजाब पुलिस के दो अधिकारियों बलबीर सिंह और अमरपाल गरुंडी की कहानी है। दोनों एक एनआरआई की मौत की जांच करते हैं। यह एनआरआई शादी करने के लिए ग्रामीण इलाकों में गया था, लेकिन शादी से एक दिन पहले ही शाम को उसकी लाश बरामद होती है। जैसे-जैसे कहानी आगे बढ़ती है, यह धोखे, गहरे अंधेरे रहस्य और बिखरते परिवार के इर्द-गिर्द एक मिस्ट्री ड्रामा का रूप ले लेती है।
यहां देखें, ‘कोहरा’ का ट्रेलर
‘कोहरा’ वेब सीरीज रिव्यू
‘पाताल लोक’ और ‘एनएच 10’ फेम सुदीप शर्मा इस शो के को-क्रिएटर हैं। 6 एपिसोड वाले ‘कोहरा’ को ‘हलाहल’ फेम रणदीप झा ने भी डायरेक्ट किया है। यह एक ऐसी थ्रिलर कहानी है, जो पंजाब में ग्रामीण इलाकों के अंधेरे में रहस्यों की खोज करती है। हालांकि, गुंजित चोपड़ा और डिग्गी सिसोदिया के स्क्रीनप्ले की रफ्तार थोड़ी धीमी जरूर है, लेकिन यह पूरी सीरीज में दर्शकों की दिलचस्पी बनाए रखती है। सीरीज में हमें पंजाब के ग्रामीण समाज के विभिन्न पहलुओं को करीब से देखने का मौका मिलता है। प्रवास वहां सामान्य बात है। सामंती झड़प, ड्रग्स, और विरासत में मिली जमीन के मालिकों की जिंदगी पर भी यह सीरीज रोशनी डालती है। यह शो अंधेरे से मुक्ती, एक ऐसे समाज और समुदाय बनाने की बात करती है, जहां ईमानदारी, सहानुभूति की जरूरत है।
सीरीज की शुरुआत पंजाब के जगराना गांव में मिली एक लाश से शुरू होती है। पंजाब के दो समर्पित पुलिस अधिकारी, बलबीर सिंह (सुविंदर विक्की) और अमरपाल गरुंडी (बरुण सोबती) जांच की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। जैसे ही वे मामले की गहराई में जाते हैं, उन्हें पता चला कि पीड़ित एक एनआरआई है जो शादी करने के लिए अपने गांव लौटी है। हत्या की खबर तेजी से फैलती है, जिससे पुलिस पर मामले को सुलझाने का दबाव बढ़ता है। परिवार से पूछताछ शुरू होती है, तो रहस्यों और झूठ का पुलिंदा सामने आता है। हर सुराग के साथ बलबीर और गरुंडी जितना आगे बढ़ते हैं, रहस्य उतना गहराता जाता है।
यह छह एपिसोड की सीरीज कहानी कहने की कला के मामले में बेहतरीन साबित होती है। पूछताछ और जांच के अलावा सीरीज में समाज के अलग-अलग हिस्सों के जीवन की झलक भी है। इसमें प्रभावशाली, लेकिन दुखी पुरुषों, असहाय माताओं और युवा पीढ़ी की हताशा के संघर्ष को भी दिखाया गया है। यह उन दबी हुई काली सच्चाइयों पर रोशनी डालती है, जिन्हें सामाजिक बाधाओं और उन तमाम झूठ के कारण छुपाया जाता है, जो परिवार को एकसाथ रखते हैं।
हर एक्टर की परफॉर्मेंस तारीफ के काबिल है। इसमें सुविंदर विक्की ने पुलिसकर्मी बलबीर सिंह का किरदार पूरी प्रामाणिकता के साथ निभाया है। उनका किरदार निजी जीवन में परेशान है। उसकी बेटी निम्रत (हरलीन सेठी) भी है। बलबीर के साथी गरुंडी की भूमिका निभाने वाले बरुण सोबती को हालांकि, पंजाबी बोली में थोड़ी मुश्किल होती है, लेकिन एक बार जब वह रौ में आते हैं तो जबरदस्त दिखते हैं। वरुण बडोला, मनीष चौधरी और रशेल शैले, मनीष चौधरी सहित सभी एक्टर्स ने बड़ी ईमानदार से अपना काम किया है।
‘कोहरा’ की अधिकतर शूटिंग लुधियाना और उसके आसपास के इलाकों में हुई है। सौरभ मोंगा की सिनेमेटोग्राफी सीरीज में एक वास्तविक एहसास से जोड़ती है। बेनेडिक्ट टेलर और नरेन चंद्रावरकर का बैकग्राउंड स्कोर माहौल में तनाव बढ़ाने में मदद करता है।
‘कोहरा’ का क्लाइमेक्स बिना किसी शक के दूसरे सीजन का वादा करती है। लेकिन अच्छी बात यह है कि कहानी को एक ऐसे मोड़ पर खत्म किया गया है, जहां आपको संतोष की प्राप्ति होती है। सीरीज के अंत में जब सच सामने आता है, तो एक दर्शक के तौर पर आप राहत महसूस करते हैं।
क्यों देखें- कुल मिलाकर, ‘कोहरा’ एक देखने लायक और बड़े ही अच्छे ढंग से तैयार की गई क्राइम थ्रिलर है। यह एक दर्शक के तौर पर आपको अपनी ओर खींचती है। कहानी कहने का अंदाज आपको बांधकर रखता है। पंजाब के ग्रामीण इलाकों में यह सिर्फ काले रहस्यों पर नहीं, बल्कि समस्याओं से भी रूबरू करवाती है।
‘कोहरा’ वेब सीरीज की कहानी
‘कोहरा’, पंजाब पुलिस के दो अधिकारियों बलबीर सिंह और अमरपाल गरुंडी की कहानी है। दोनों एक एनआरआई की मौत की जांच करते हैं। यह एनआरआई शादी करने के लिए ग्रामीण इलाकों में गया था, लेकिन शादी से एक दिन पहले ही शाम को उसकी लाश बरामद होती है। जैसे-जैसे कहानी आगे बढ़ती है, यह धोखे, गहरे अंधेरे रहस्य और बिखरते परिवार के इर्द-गिर्द एक मिस्ट्री ड्रामा का रूप ले लेती है।
यहां देखें, ‘कोहरा’ का ट्रेलर
‘कोहरा’ वेब सीरीज रिव्यू
‘पाताल लोक’ और ‘एनएच 10’ फेम सुदीप शर्मा इस शो के को-क्रिएटर हैं। 6 एपिसोड वाले ‘कोहरा’ को ‘हलाहल’ फेम रणदीप झा ने भी डायरेक्ट किया है। यह एक ऐसी थ्रिलर कहानी है, जो पंजाब में ग्रामीण इलाकों के अंधेरे में रहस्यों की खोज करती है। हालांकि, गुंजित चोपड़ा और डिग्गी सिसोदिया के स्क्रीनप्ले की रफ्तार थोड़ी धीमी जरूर है, लेकिन यह पूरी सीरीज में दर्शकों की दिलचस्पी बनाए रखती है। सीरीज में हमें पंजाब के ग्रामीण समाज के विभिन्न पहलुओं को करीब से देखने का मौका मिलता है। प्रवास वहां सामान्य बात है। सामंती झड़प, ड्रग्स, और विरासत में मिली जमीन के मालिकों की जिंदगी पर भी यह सीरीज रोशनी डालती है। यह शो अंधेरे से मुक्ती, एक ऐसे समाज और समुदाय बनाने की बात करती है, जहां ईमानदारी, सहानुभूति की जरूरत है।
सीरीज की शुरुआत पंजाब के जगराना गांव में मिली एक लाश से शुरू होती है। पंजाब के दो समर्पित पुलिस अधिकारी, बलबीर सिंह (सुविंदर विक्की) और अमरपाल गरुंडी (बरुण सोबती) जांच की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। जैसे ही वे मामले की गहराई में जाते हैं, उन्हें पता चला कि पीड़ित एक एनआरआई है जो शादी करने के लिए अपने गांव लौटी है। हत्या की खबर तेजी से फैलती है, जिससे पुलिस पर मामले को सुलझाने का दबाव बढ़ता है। परिवार से पूछताछ शुरू होती है, तो रहस्यों और झूठ का पुलिंदा सामने आता है। हर सुराग के साथ बलबीर और गरुंडी जितना आगे बढ़ते हैं, रहस्य उतना गहराता जाता है।
यह छह एपिसोड की सीरीज कहानी कहने की कला के मामले में बेहतरीन साबित होती है। पूछताछ और जांच के अलावा सीरीज में समाज के अलग-अलग हिस्सों के जीवन की झलक भी है। इसमें प्रभावशाली, लेकिन दुखी पुरुषों, असहाय माताओं और युवा पीढ़ी की हताशा के संघर्ष को भी दिखाया गया है। यह उन दबी हुई काली सच्चाइयों पर रोशनी डालती है, जिन्हें सामाजिक बाधाओं और उन तमाम झूठ के कारण छुपाया जाता है, जो परिवार को एकसाथ रखते हैं।
हर एक्टर की परफॉर्मेंस तारीफ के काबिल है। इसमें सुविंदर विक्की ने पुलिसकर्मी बलबीर सिंह का किरदार पूरी प्रामाणिकता के साथ निभाया है। उनका किरदार निजी जीवन में परेशान है। उसकी बेटी निम्रत (हरलीन सेठी) भी है। बलबीर के साथी गरुंडी की भूमिका निभाने वाले बरुण सोबती को हालांकि, पंजाबी बोली में थोड़ी मुश्किल होती है, लेकिन एक बार जब वह रौ में आते हैं तो जबरदस्त दिखते हैं। वरुण बडोला, मनीष चौधरी और रशेल शैले, मनीष चौधरी सहित सभी एक्टर्स ने बड़ी ईमानदार से अपना काम किया है।
‘कोहरा’ की अधिकतर शूटिंग लुधियाना और उसके आसपास के इलाकों में हुई है। सौरभ मोंगा की सिनेमेटोग्राफी सीरीज में एक वास्तविक एहसास से जोड़ती है। बेनेडिक्ट टेलर और नरेन चंद्रावरकर का बैकग्राउंड स्कोर माहौल में तनाव बढ़ाने में मदद करता है।
‘कोहरा’ का क्लाइमेक्स बिना किसी शक के दूसरे सीजन का वादा करती है। लेकिन अच्छी बात यह है कि कहानी को एक ऐसे मोड़ पर खत्म किया गया है, जहां आपको संतोष की प्राप्ति होती है। सीरीज के अंत में जब सच सामने आता है, तो एक दर्शक के तौर पर आप राहत महसूस करते हैं।
क्यों देखें- कुल मिलाकर, ‘कोहरा’ एक देखने लायक और बड़े ही अच्छे ढंग से तैयार की गई क्राइम थ्रिलर है। यह एक दर्शक के तौर पर आपको अपनी ओर खींचती है। कहानी कहने का अंदाज आपको बांधकर रखता है। पंजाब के ग्रामीण इलाकों में यह सिर्फ काले रहस्यों पर नहीं, बल्कि समस्याओं से भी रूबरू करवाती है।