विश्व में मध्यप्रदेश के पुरातात्विक सर्वेक्षण को मिला 10वां स्थान | Archaeological survey of Madhya Pradesh got 10th place in the world | Patrika News

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विश्व में मध्यप्रदेश के पुरातात्विक सर्वेक्षण को मिला 10वां स्थान | Archaeological survey of Madhya Pradesh got 10th place in the world | Patrika News

विश्व में मध्यप्रदेश के पुरातात्विक सर्वेक्षण को मिला 10वां स्थान | Archaeological survey of Madhya Pradesh got 10th place in the world | Patrika News


हेरिटेज पाठशाला नए साल में शुरू होगी
ब्रिटेन की मानी हुई हेरिटेज डेली वेबसाइट ने दुनिया भर में हुई महत्वपूर्ण पुरातात्विक खोजों पर प्रकाशित सर्वेक्षण रिपोट्र्स और अभिलेखागार में एकत्रित सूचनाओं के विश्लेषण के आधार पर वर्ष 2022 की दस सर्वाधिक महत्वपूर्ण पुरातत्विक खोजों की सूची जारी की है। इसमें बांधवगढ़ को भी प्रमुखता से शामिल किया गया है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के जबलपुर मंडल के अधीक्षण पुराविद डॉ. शिवाकांत वाजपेयी ने बताया कि विद्यार्थियों और आम लोगों को जागरूक करने के लिए 2023 में हेरिटेज पाठशाला शुरू की जा रही है। यह महीने में दो बार यानी प्रथम और चौथे शुक्रवार को आयोजित की जाएगी।

वराह की सबसे विशाल प्रतिमा मिली
बांधवगढ़ में सर्वेक्षण के दौरान 26 प्राचीन मंदिर व अवशेष, 26 गुफाएं, दो मठ, दो स्तूप, 24 अभिलेख, 46 प्रतिमाएं, 20 बिखरे हुए अवशेष एवं 19 जल संरचनाएं मिली हैं। नए पुरावशेषों में पहली बार वहां से प्राप्त मनौती स्तूप एवं बौद्ध स्तूप युक्त स्तम्भ महत्वपूर्ण हैं। इस खोज से बांधवगढ़ के इतिहास में एक नवीन अध्याय जुड़ गया। इसके अतिरिक्त अब तक की सबसे विशाल वराह प्रतिमा भी मिली है। जिसकी लंबाई 6.4 मीटर, ऊंचाई 5.03 मीटर एवं चौड़ाई 2.77 मीटर है। अभी तक के सबसे विशाल वराह जो कि एरण में स्थित है (4.26 3.35 1.52 मीटर) से भी बड़ी है। दो नए मंदिर समूह भी मिले हैं, जो वास्तुकला के अध्ययन के दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।

मिट्टी में अपनी जड़ें
इस मिट्टी से तिलक करो ये धरती है बलिदान की… अभियान के तहत पूरे वर्ष इंदौर, उज्जैन, भोपाल, सांची सहित लगभग तीस स्थानों से पवित्र मिट्टी या चरण रज जमा की गई और इसे स्वतंत्रता सेनानियों के शहीद स्थल, उनके जन्म स्थान, उससे संबंधित यादगार जगहों में दर्शन के लिए रखा गया। आजादी के संघर्ष काल में सबसे अधिक फांसी इंदौर में दी गई। अमझेरा के राणा बख्तावर सिंह एवं उनके साथियों को इंदौर के एमवाय हॉस्पिटल के निकट नीम के पेड़ पर लटका दिया गया। वह वृक्ष आज भी है। वहां समाधि भी है। वरिष्ठ पुरावैज्ञानिक डॉ. नारायण व्यास ने बताया कि रानी लक्ष्मीबाई के जन्मस्थान शहीद स्थल, तात्याटोपे के शहीद स्थल शिवपुरी, नेताजी सुभाषचंद्र बोस के जन्मस्थान कटक, बाबा साहेब अंबेडकर के जन्मस्थान महू आदि 75 स्वतंत्रता सेनानियों से जुड़ी मिट्टी को स्पर्श करने का अवसर मिला। डॉ. व्यास को इसी वर्ष प्रदेश का प्रतिष्ठित विष्णु श्रीधर वाकणकर सम्मान भी प्रदान किया गया है।

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