विपक्ष में फॉर्मूला 77 पर सीट बंटवारा हुआ तो लालू की RJD से ज्यादा लोकसभा सीट नीतीश की JDU लड़ेगी
ऐप पर पढ़ें
विपक्षी एकता के लिए भाजपा विरोधी दलों की जुलाई के दूसरे हफ्ते में होने वाली बैठक से पहले बिहार में महागठबंधन की तीनों बड़ी पार्टियों में 2024 के लोकसभा चुनाव में लड़ने वाली सीटों की गिनती अंदर ही अंदर शुरू हो गई है। जनता पार्टी के 1977 के जिस फॉर्मूले को लोकसभा सीट के बंटवारे का आधार बनाने की बात हो रही है अगर उस पर अमल हुआ तो बिहार विधानसभा की सबसे बड़ी पार्टी आरजेडी से ज्यादा सीट तीसरी बड़ी पार्टी जेडीयू को मिल सकती है।
मुख्यमंत्री और जेडीयू के नेता नीतीश कुमार की मेजबानी में 23 जून को पटना में बैठक के बाद कहा गया था कि बीजेपी और एनडीए कैंडिडेट के खिलाफ विपक्ष से एक ही उम्मीदवार लड़ाने की पूरी कोशिश होगी। यह भी कहा गया था कि सीटों के तालमेल समेत साझा एजेंडा या संयोजक जैसे मसलों पर अगली बैठक में चर्चा होगी जो बेंगलुरु में हो सकती है। कांग्रेस की मेजबानी में होने वाली अगली बैठक के लिए शिमला और जयपुर का नाम भी उछल चुका है। बैठक की जगह को लेकर कांग्रेस में कन्फ्यूजन की स्थिति क्यों है, यह समझ से परे है क्योंकि पटना में खरगे और राहुल ने शिमला का नाम लिया था।
1977 में सीट बंटवारे के जिस फॉर्मूले से कांग्रेस को हराया, 2024 में BJP को उसी गुणा-गणित से निपटाने की तैयारी
विपक्षी दलों के सीट बंटवारे में बिहार का मामला जटिल साबित होगा क्योंकि विपक्षी खेमे में 16 सांसद लेकर जेडीयू आ चुकी है जो उसने 2019 में बीजेपी के साथ मिलकर जीता था। इन 16 सीटों में 8 सीटों पर जेडीयू के कैंडिडेट ने आरजेडी को हराया था। जहानाबाद में तो आरजेडी उम्मीदवार करीब 1751 वोट से हारा था। इसी तरह जेडीयू ने 5 सीटें कांग्रेस को हराकर जीती थी। जेडीयू ने बाकी तीन सीटों में दो पर उपेंद्र कुशवाहा की रालोसपा और एक पर जीतन राम मांझी की हम के कैंडिडेट को हराया था। संयोग से तब कुशवाहा और मांझी महागठबंधन थे लेकिन अब एनडीए में चले गए हैं जहां से नीतीश महागठबंधन में आए हैं।
चिराग पासवान बन सकते हैं मंत्री, शिंदे सेना को मौका; मोदी सरकार में क्या फेरबदल की तैयारी, NDA पर भी मंथन
पटना में विपक्षी बैठक के बाद खबर आई कि सीट बंटवारे में ज्यादा विवाद ना हो इसके लिए एक फॉर्मूला तय किया जाएगा। इस फॉर्मूले में लोकसभा और विधानसभा दोनों मिलाकर पिछले तीन चुनाव में किसी पार्टी को मिली सीट और वोट शेयर के आधार पर पर्सेंटाइल तैयार किया जाएगा जिसके आधार पर सीट की संख्या तय होगी। बिहार के संदर्भ में 2015 और 2020 का विधानसभा और 2019 का लोकसभा पिछला तीन चुनाव होगा। इन तीनों चुनाव में महागठबंधन की तीनों प्रमुख पार्टियों का प्रदर्शन देखने से जेडीयू का औसत बाकी दोनों से बेहतर है जिस आधार पर चर्चा हो रही है कि 2024 में आरजेडी से ज्यादा सीट जेडीयू लड़ेगी।
लालू यादव को मूर्ख बना रहे हैं नीतीश; अमित शाह का बड़ा दावा- कुछ नहीं बनना उनको, सीएम बने रहना है
2019 के लोकसभा चुनाव में जेडीयू को 16 सीट और 21.81 परसेंट वोट शेयर मिला। आरजेडी को 15.36 परसेंट वोट मिले लेकिन सीट एक ना मिली। कांग्रेस को 7.70 परसेंट वोट मिला और साथ में एक सीट पर जीत भी मिली। 2020 के विधानसभा चुनाव में जेडीयू को 43 सीट और 15.39 परसेंट वोट मिला। आरजेडी को 23.11 परसेंट वोट और 75 सीट मिली। कांग्रेस को 9.48 परसेंट वोट के साथ 19 सीटें मिलीं। बीजेपी का साथ छोड़ने की एक वजह जेडीयू गिनाती है कि 2020 के चुनाव में बीजेपी के इशारे पर चिराग पासवान की लोजपा ने उसकी सीटों पर कैंडिडेट दिया, एनडीए का वोट काटा जिससे कई सीटों पर उसकी हार हई।
जेडीयू विधायकों से मिलेंगे नीतीश कुमार, कई MLA को सीएम हाउस बुलाया; जानें वजह
2015 के विधानसभा चुनाव में 18.4 परसेंट वोट के साथ आरजेडी को 80 सीट मिली थी। 16.8 परसेंट वोट शेयर के साथ जेडीयू ने 71 सीटेें जीती थी। 6.7 परसेंट वोट पर कांग्रेस को 27 सीटों पर जीत मिली थी। तीनों चुनाव को देखें तो 2020 में थोड़ी कम सीट जीतने के बावजूद जेडीयू का प्रदर्शन ठीक दिख रहा है लेकिन 2019 में आरजेडी लोकसभा में जीरो पर आउट हो गई। कांग्रेस का प्रदर्शन भी औसत है। तीनों चुनाव के आधार पर अगर पर्सेंटाइल बनेगा तो जाहिर तौर पर जेडीयू को 2019 के चुनाव में 16 सांसद जिताने का फल मिलेगा। कहा ये जा रहा है कि 2025 के विधानसभा चुनाव में आरजेडी ज्यादा सीट लड़ेगी और जीतने पर तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री बनेंगे। उसकी भरपाई के एवज में जेडीयू 2024 में ज्यादा सीट लड़ेगी।
बिहार की और खबर देखने के लिए यहाँ क्लिक करे – Delhi News
ऐप पर पढ़ें
विपक्षी एकता के लिए भाजपा विरोधी दलों की जुलाई के दूसरे हफ्ते में होने वाली बैठक से पहले बिहार में महागठबंधन की तीनों बड़ी पार्टियों में 2024 के लोकसभा चुनाव में लड़ने वाली सीटों की गिनती अंदर ही अंदर शुरू हो गई है। जनता पार्टी के 1977 के जिस फॉर्मूले को लोकसभा सीट के बंटवारे का आधार बनाने की बात हो रही है अगर उस पर अमल हुआ तो बिहार विधानसभा की सबसे बड़ी पार्टी आरजेडी से ज्यादा सीट तीसरी बड़ी पार्टी जेडीयू को मिल सकती है।
मुख्यमंत्री और जेडीयू के नेता नीतीश कुमार की मेजबानी में 23 जून को पटना में बैठक के बाद कहा गया था कि बीजेपी और एनडीए कैंडिडेट के खिलाफ विपक्ष से एक ही उम्मीदवार लड़ाने की पूरी कोशिश होगी। यह भी कहा गया था कि सीटों के तालमेल समेत साझा एजेंडा या संयोजक जैसे मसलों पर अगली बैठक में चर्चा होगी जो बेंगलुरु में हो सकती है। कांग्रेस की मेजबानी में होने वाली अगली बैठक के लिए शिमला और जयपुर का नाम भी उछल चुका है। बैठक की जगह को लेकर कांग्रेस में कन्फ्यूजन की स्थिति क्यों है, यह समझ से परे है क्योंकि पटना में खरगे और राहुल ने शिमला का नाम लिया था।
1977 में सीट बंटवारे के जिस फॉर्मूले से कांग्रेस को हराया, 2024 में BJP को उसी गुणा-गणित से निपटाने की तैयारी
विपक्षी दलों के सीट बंटवारे में बिहार का मामला जटिल साबित होगा क्योंकि विपक्षी खेमे में 16 सांसद लेकर जेडीयू आ चुकी है जो उसने 2019 में बीजेपी के साथ मिलकर जीता था। इन 16 सीटों में 8 सीटों पर जेडीयू के कैंडिडेट ने आरजेडी को हराया था। जहानाबाद में तो आरजेडी उम्मीदवार करीब 1751 वोट से हारा था। इसी तरह जेडीयू ने 5 सीटें कांग्रेस को हराकर जीती थी। जेडीयू ने बाकी तीन सीटों में दो पर उपेंद्र कुशवाहा की रालोसपा और एक पर जीतन राम मांझी की हम के कैंडिडेट को हराया था। संयोग से तब कुशवाहा और मांझी महागठबंधन थे लेकिन अब एनडीए में चले गए हैं जहां से नीतीश महागठबंधन में आए हैं।
चिराग पासवान बन सकते हैं मंत्री, शिंदे सेना को मौका; मोदी सरकार में क्या फेरबदल की तैयारी, NDA पर भी मंथन
पटना में विपक्षी बैठक के बाद खबर आई कि सीट बंटवारे में ज्यादा विवाद ना हो इसके लिए एक फॉर्मूला तय किया जाएगा। इस फॉर्मूले में लोकसभा और विधानसभा दोनों मिलाकर पिछले तीन चुनाव में किसी पार्टी को मिली सीट और वोट शेयर के आधार पर पर्सेंटाइल तैयार किया जाएगा जिसके आधार पर सीट की संख्या तय होगी। बिहार के संदर्भ में 2015 और 2020 का विधानसभा और 2019 का लोकसभा पिछला तीन चुनाव होगा। इन तीनों चुनाव में महागठबंधन की तीनों प्रमुख पार्टियों का प्रदर्शन देखने से जेडीयू का औसत बाकी दोनों से बेहतर है जिस आधार पर चर्चा हो रही है कि 2024 में आरजेडी से ज्यादा सीट जेडीयू लड़ेगी।
लालू यादव को मूर्ख बना रहे हैं नीतीश; अमित शाह का बड़ा दावा- कुछ नहीं बनना उनको, सीएम बने रहना है
2019 के लोकसभा चुनाव में जेडीयू को 16 सीट और 21.81 परसेंट वोट शेयर मिला। आरजेडी को 15.36 परसेंट वोट मिले लेकिन सीट एक ना मिली। कांग्रेस को 7.70 परसेंट वोट मिला और साथ में एक सीट पर जीत भी मिली। 2020 के विधानसभा चुनाव में जेडीयू को 43 सीट और 15.39 परसेंट वोट मिला। आरजेडी को 23.11 परसेंट वोट और 75 सीट मिली। कांग्रेस को 9.48 परसेंट वोट के साथ 19 सीटें मिलीं। बीजेपी का साथ छोड़ने की एक वजह जेडीयू गिनाती है कि 2020 के चुनाव में बीजेपी के इशारे पर चिराग पासवान की लोजपा ने उसकी सीटों पर कैंडिडेट दिया, एनडीए का वोट काटा जिससे कई सीटों पर उसकी हार हई।
जेडीयू विधायकों से मिलेंगे नीतीश कुमार, कई MLA को सीएम हाउस बुलाया; जानें वजह
2015 के विधानसभा चुनाव में 18.4 परसेंट वोट के साथ आरजेडी को 80 सीट मिली थी। 16.8 परसेंट वोट शेयर के साथ जेडीयू ने 71 सीटेें जीती थी। 6.7 परसेंट वोट पर कांग्रेस को 27 सीटों पर जीत मिली थी। तीनों चुनाव को देखें तो 2020 में थोड़ी कम सीट जीतने के बावजूद जेडीयू का प्रदर्शन ठीक दिख रहा है लेकिन 2019 में आरजेडी लोकसभा में जीरो पर आउट हो गई। कांग्रेस का प्रदर्शन भी औसत है। तीनों चुनाव के आधार पर अगर पर्सेंटाइल बनेगा तो जाहिर तौर पर जेडीयू को 2019 के चुनाव में 16 सांसद जिताने का फल मिलेगा। कहा ये जा रहा है कि 2025 के विधानसभा चुनाव में आरजेडी ज्यादा सीट लड़ेगी और जीतने पर तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री बनेंगे। उसकी भरपाई के एवज में जेडीयू 2024 में ज्यादा सीट लड़ेगी।