विद्वानों ने प्रस्तुत किए शोध, बोले- एआई और ड्रोन तकनीक भी रामायणकालीन | Scholars presented research, said AI and drone technology also dates | News 4 Social

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विद्वानों ने प्रस्तुत किए शोध, बोले- एआई और ड्रोन तकनीक भी रामायणकालीन | Scholars presented research, said AI and drone technology also dates | News 4 Social

विद्वानों ने प्रस्तुत किए शोध, बोले- एआई और ड्रोन तकनीक भी रामायणकालीन | Scholars presented research, said AI and drone technology also dates | News 4 Social

भोपालPublished: Mar 10, 2024 06:07:15 pm

मानस भवन में अंतरराष्ट्रीय रामायण सम्मेलन शुरू

विद्वानों ने प्रस्तुत किए शोध, बोले- एआई और ड्रोन तकनीक भी रामायणकालीन | Scholars presented research, said AI and drone technology also dates | News 4 Social

विद्वानों ने प्रस्तुत किए शोध, बोले- एआई और ड्रोन तकनीक भी रामायणकालीन

भोपाल. मानस भवन में शनिवार से दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय रामायण सम्मेलन का शुभारंभ हुआ। सम्मेलन में देश के विभिन्न स्थानों से शोधार्थियों ने भाग लिया और मानस के विभिन्न प्रसंगों और वर्तमान जीवन शैली पर शोध प्रस्तुत किए गए। इस मौके पर शोधार्थियों ने कहा ड्रोन व एआइ तकनीक रामायणकाल में थी। आयोजन स्थल पर रामायण से जुड़ी दुर्लभ सामग्री पर प्रदर्शनी भी लगाई गई थी।
काव्य के माध्यम से युवाओं को जोडऩे की पहल
सीमा शिवहरे ने बुंदेली लोकगीत काव्य के जरिए शोध प्रस्तुत किया । इसी प्रकार हंसा श्रीवास्तव ने प्रजाहित सर्वोपरि राम इसके संवर्धन और संरक्षक के माध्यम से वर्तमान जीवनशैली में भगवान राम का चरित्र पर शोध प्रस्तुत किया। इसी प्रकार अन्य विद्वानों ने भी राम रावण सेना, भगवान राम का वनगमन सहित अन्य प्रसंगों पर शोध प्रस्तुत किए।
श्रीराम हमारी संस्कृति, सभ्यता के जननायक
रामायण केंद्र और तुलसी मानस भवन की ओर से आयोजित इस सम्मेलन का शुभारंभ संस्कृति पर्यटन मंत्री धर्मेंद्र ङ्क्षसह लोधी ने किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि रामराज्य की कल्पना साकार हो रही है।
राम लिखे शब्दों से राम जन्म से राज्याभिषेक का दर्शन
प्रदर्शनी में छग के ललित कुमार दुबे द्वारा 35 फीट लंबी पेपर शीट पर बारिक अक्षरों में राम-राम लिखकर रामायण के राम जन्म से लेकर राज्याभिषेक तक चित्र बनाए हैं। इसमें 3 करोड़ 75 लाख बार राम लिखा है। उन्होंने बताया कि वे वन विभाग में थे और नक्सली क्षेत्र में उनकी ड्यूटी थी। 1995 में एक बार पुलिस और नक्सली मुठभेड़ में वे बीच में फंस गए थे। इस दौरान डर के मारे उन्होंने राम-राम लिखना शुरू किया।
युद्ध में एआई, ड्रोन तकनीक का इस्तेमाल हो रहा है, उसकी कल्पना मानस से
रामायण की युद्धकला पर शोध प्रस्तुत करने वाले भारतीय वायु सेना से सेवानिवृत एयर वाइस मार्शल पीके श्रीवास्वत का कहना है कि रामायण काल की युद्ध कला और वर्तमान युद्ध कला एक जैसी है। आजकल नेटवर्क सेंङ्क्षट्रग युद्ध हो रहा है। इसमें ड्रोन, एआई तकनीक का इस्तेमाल हो रहा है। स्मार्ट बम, राकेट, गाइडेड मिसाइल का इस्तेमाल हो रहा है। इसका इस्तेमाल रामचरित मानस में भी दिखाई देता है। राम चरित मानस का वो प्रसंग जिसने मेघनाद और लक्ष्मण का युद्ध हुआ था, और मेघनाद ने जिन मायावी शक्तियों का इस्तेमाल किया था वह आज की ड्रोन तकनीक है, जिसमें मेघनाद गायब हो जाता है और आसमान से आग, गोला बारूद बरसते हैं। इसी प्रकार राम रावण युद्ध के दौरान जब रावण ही रावण नजर आते है, यह एआई तकनीक है।
इंडोनेशिया में रामायण की संस्कृति
इंडोनेशिया से आए मानस के विद्वान अजीत ङ्क्षसह चौहान ने इंडोनेशिया में रामायण की संस्कृति पर अपना शोध प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि इंडोनेशिया में भगवान राम के कई मंदिर है। मुस्लिम समाज भी वहां भगवान राम से प्रेरित है। भगवान राम को एक कुशल प्रशासक, योद्धा के रूप में मानते हैं। आज भी वहां रामायण का मंचन होता है। वहां भगवान राम को प्रेरणास्त्रोत माना जाता है। अयोध्या में श्रीराम की स्थापना से गौरव बढ़ा है। राम हमारी संस्कृति, सभ्यता के जननायक है। इस मौके पर रघुनंदन शर्मा ने रामायण सम्मेलन के रूपरेखा पर प्रकाश डाला।

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