विद्यासागर जी महाराज के उत्तराधिकारी होंगे मुनि श्री समय सागर जी महाराज, 9 अप्रेल को होगी अगवानी | Samay Sagar Ji Maharaj will be the successor of Vidyasagar Ji Maharaj | News 4 Social

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विद्यासागर जी महाराज के उत्तराधिकारी होंगे मुनि श्री समय सागर जी महाराज, 9 अप्रेल को होगी अगवानी | Samay Sagar Ji Maharaj will be the successor of Vidyasagar Ji Maharaj | News 4 Social

विद्यासागर जी महाराज के उत्तराधिकारी होंगे मुनि श्री समय सागर जी महाराज, 9 अप्रेल को होगी अगवानी | Samay Sagar Ji Maharaj will be the successor of Vidyasagar Ji Maharaj | News 4 Social

आचार्य विद्या सागर संघ के ज्येष्ठ निर्यापक मुनि समय सागर की 9 अप्रेल को कुंडलपुर में अगवानी होने जा रही है। अभी मुनिश्री बांकदपुर में विराजमान है। ऐसे में कुंडलपुर पहुंच चुके सभी निर्यापकों, मुनियों और आर्यिकाओं द्वारा अपने ज्येष्ठ मुनि समय सागर की भव्य अगवानी की जाएगी। इस दौरान गुरू शिष्य मिलन का अद्भुत प्रसंग देखने मिलेगा।

 

9 अप्रैल को उमड़ेगा जनसैलाब

इस दृश्य को देखने और इसके साक्षी बनने के लिए देश भर से हजारों लोगों का कुंडलपुर पहुंचना शुरू हो गया हैं। 9 अप्रेल को यहां 50 हजार से अधिक श्रद्धालुओं के पहुंचने की उम्मीद है। इसी हिसाब से व्यवस्थाएं भी बनाई जा रही हैं।

जानकारी के अनुसार 9 अप्रेल को होने वाली महामुनिराज की अगवानी एक नए इतिहास के सृजन का परिचायक होगी। इसका साक्षी बनने के लिए प्रत्येक शहर, नगर, गांव से हजारों भक्त कुंडलपुर अगवानी के लिए पहुंच रहे हैं। दमोह, सागर, जबलपुर, कटनी, सतना और अन्य शहरों से 200 से अधिक बसों से श्रद्धालुओं का पहुंचना होगा। जबकि देश भर से 20 हजार से अधिक लोग भी यहां पहुंच रहे हैं। जिनके रुकने, भोजन, पार्किंग आदि की व्यवस्थाएं अभी से कुंडलपुर में कर ली गई हैं।

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कौन हैं समय सागर जी महाराज

समय सागर जी महाराज का जन्म कर्नाटक के बेलगांव में 27 अक्टूबर 1958 को हुआ था। वे ही उनके पहले शिष्य भी हैं। बता दें कि समय सागर जी महाराज आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के गृहस्थ जीवन के भाई भी हैं। समय सागर जी महाराज ने केवल 17 साल की उम्र में ही जैन धर्म की दीक्षा ले ली थी। इनका जन्म कर्नाटक के बेलगाम में हुआ था।

बताया जाता है कि बचपन से ही इनकी रुचिधर्म और कर्म में ही रही। बचपन में माता पिता ने इनका नाम शांतिनाथ जैन रखा था। जैन धर्म की दीक्षा लेने पर इनका नाम श्री समय सागर जी महाराज हो गया। छह भाई बहनों में समय सागर जी महाराज सबसे छोटे रहे।

मध्य प्रदेश के दतिया में ली थी दीक्षा

समय सागर जी महाराज ने 2 मई 1975 को ब्रह्मचर्य व्रत ले लिया था। इसी साल उन्होंने दिसंबर महीने में मध्य प्रदेश के दतिया सोनागिरी क्षेत्र में क्षुल्लक दीक्षा ले ली। क्षुल्लक यानी छोटी दीक्षा। ये जैन समाज में संतों की श्रेणी में पहली है। उन्होंने ऐलक दीक्षा 31 अक्टूबर 1978 को ली।

क्षुल्लक दीक्षा के 5 साल बाद समयसागर जी ने 8 मार्च 1980 को मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले के सिद्धक्षेत्र द्रोणगिरी में मुनि दीक्षा ग्रहण की। दीक्षा गुरु उनके गृहस्थ जीवन के बड़े भाई आचार्य विद्यासागर ही थे। समयसागर जी ही विद्यासागर जी के पहले शिष्य बने। यहीं से उनका मुनि जीवन शुरू हुआ और तपस्या के कठोर नियमों को उन्होंने अपने जीवन में अपना लिया।

जानिए क्या होती है क्षुल्लक और ऐलक दीक्षा

बता दें कि जैन धर्म में साधुओं की 11 भूमिकाएं मानी गई हैं। इन 11 भूमिकाओं में सबसे ऊंची भूमिका का नाम क्षुल्लक है। इसका मतलब होता है छोटा। उसके भी दो भेद हैं – एक क्षुल्लक और दूसरा ऐलक। दोनों ही साधु की तरह भिक्षावृत्ति से भोजन करते हैं, लेकिन क्षुल्लक के पास एक कोपीन व एक चादर होती है और ऐलक के पास केवल एक कोपीन। वहीं क्षुल्लक बर्तनों में भोजन कर लेते हैं, लेकिन ऐलक साधु हथेलियों की अंजुलि में खाना खाते हैं।

मुनियों-दीक्षार्थियों के हैं शिक्षक

आचार्य समयसागर जी महाराज ने संघ के मुनियों और समाज को जैन पंथ, ग्रंथ और विचारधारा को जगाने की जिम्मेदारी ली। वे नए मुनियों, दीक्षार्थियों के शिक्षक बने। जैन पंथ और ग्रंथों के अध्ययन के मामले में उन्हें सर्वश्रेष्ठ गुरुओं में गिना जाता है। नियमित रूप से मुनियों को पढ़ाते हैं। स्वयं भी नियमित अध्ययन करते हैं।

कड़े नियमों का पालन करते हैं आचार्य समय सागर जी महाराज

– महाराज जी नमक नहीं खाते हैं।
– दिन में एक ही बार खाते हैं।
– सोने के लिए केवल लकड़ी के तखत का उपयोग करते हैं।
– 3 से ज्यादा सब्जियां नहीं खाते हैं।

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