वासंती नवरात्र : कलश स्थापन के साथ होने लगी मां की जय-जयकार

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वासंती नवरात्र : कलश स्थापन के साथ होने लगी मां की जय-जयकार

वासंती नवरात्र : कलश स्थापन के साथ होने लगी मां की जय-जयकार


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वासंती नवरात्र : कलश स्थापन के साथ होने लगी मां की जय-जयकार
नौ दिनों तक आदिक्ति के नौ रूपों की भक्तजन करेंगे पूजा अर्चना

हाथी पर हुआ मां शेरावाली का आगमन, मानव पर बैठ होंगी विदा

फोटो

मां दुर्गा01 : सोहसराय सहोखर के पंचमुखी हनुमान मंदिर में कलश स्थापन कर मां की आराधना करते श्रद्धालु।

नालंदा/शेखपुरा, हिन्दुस्तान टीम।

मंगलवार से कलश स्थापन के साथ वासंती (चैत्र) नवरात्र शुरू हो गयी। शेर पर सवार मां शेरावाली की पूजा-अर्चना में श्रद्धालु लीन हो गये। वैदिक मंत्रोच्चार से वातावरण भक्तिमय हो गया। चहुंओर मां जगदम्बा की जय जयकार होने लगी। पूजा पंडालों व देवी मंदिरों में दुर्गासप्तशती के श्लोक ‘या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥ गूंजने लगा है।

ज्योतिष के जानकार पं मोहन कुमार दत्त मिश्रा बताते हैं कि पहले दिन मां के प्रथम रूप ‘शैलपुत्री की भक्तों ने पूजा की तथा उसने सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मांगा। वृषभ पर सवार मां शैलपुत्री त्रिशुलधारिणी भयताप को हर लेती हैं। भक्तों को मनोवांछित फल प्रदान करती हैं। ब्रह्मचारिणी अपने भक्तों की मनाकामना पूरी करती हैं। इसबार सृष्टि का चक्र चलाने वाली मां शेरावाली हाथी पर सवार होकर आयी हैं और मानव (मनुष्य) पर बैठ प्रस्थान करेंगी।

मां के नौ रूपों की आराधना :

नवरात्र के दौरान मां शेरावाली के नौ रूपों की पूजा करने का विधान है। सोहसराय हनुमान मंदिर के पुजारी पं. सुरेन्द्र कुमार दत्त मिश्र बताते हैं कि पहले दिन शैलपुत्री, दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी, तृतीया को चित्रघंटा, चतुर्थी को कुष्मांडा, पंचमी को स्कंदमाता, षष्ठी को कात्यायनी, सप्तमी को कालरात्रि, अष्टमी को महागौरी और नवमी को सिद्धदात्री की पूजा की जाती है। नवरात्र में व्रत व उपवास का महत्व अधिक है।

विक्रम संवत 2081 का आरंभ :

पं. मिश्र कहते हैं कि हिन्दू नववर्ष चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि नौ अप्रैल मंगलवार से आरंभ हो गया है। विक्रम संवत 2081 का आरंभ मंगलवार से हुआ है। इसके कारण राजा बुध होंगे। मंत्री पद के स्वामी शुक्र हैं। परंतु, दोनों शुभ हैं। खास यह भी कि इसबार बारिश का अच्छा योग बन रहा है। ज्योतिष शास्त्र में हर हिन्दू नववर्ष का एक विशेष महत्व होता है।

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