वाराणसी में निकाला गया राणा सांगा का सम्मान मार्च: मुस्लिम महिला फाउंडेशन ने बाबर के पुतले को लाठियों से पीटा, लगाई आग – Varanasi News h3>
वाराणसी में राणा सांगा के समर्थन में आया मुस्लिम महिला फाउंडेशन। जलाया जिहादी बाबर का पुतला
सपा सांसद द्वारा राणा सांगा को गद्दार कहे जाने का मामला अब तूल पकड़ रहा है। आगरा में विरोध के बाद अब वाराणसी में भी विरोध के स्वर दिखाई दे रहे हैं।
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इसी क्रम में वाराणसी के लमही में विशाल भारत संस्था ने राणा सांगा के सम्मान में एक सम्मान मार्च निकाला। यह सम्मान मार्च मुंशी प्रेमचंद्र की जन्मस्थली लमही तक गया।
इसके पहले सुभाष भवन में मुस्लिम महिला फाउंडेशन ने आक्रांता बाबर के पुतले को जलाया और उसे लाठियों से पीटा।
इस दौरान विश्वाल भारत संस्था के संस्थापक डॉ राजीव ने कहा- राणा सांगा भारत के प्रतिष्ठित शासक और महान योद्धा थे। उन्होंने बाबर से कभी किसी तरह की मदद नहीं मांगी। वहीं मुस्लिम महिला फाउंडेशन की सदर नाजनीन अंसारी ने सांसद के बयान को हास्यास्पद बताया।
मुगल लुटेरे की तरफदारी देश से गद्दारी विशाल भारत संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ राजीव ने कहा कि बाबर एक धूर्त और मक्कार था। उसमें योद्धा होने के कोई गुण नहीं थे। इब्राहिम लोदी पर हमला किया तब उसको जिहाद की याद नहीं आई।
खुद शराब पीता था। राणा से मदद मांगी जब एक विदेशी बाबर को राणा ने मदद देने से इन्कार कर दिया तो खानवा का युद्ध हुआ। इस समय बाबर ने काफिर के खिलाफ युद्ध बताकर मुगल सैनिकों को उत्साहित किया।
उन्होंने आगे कहा लूट का माल देने का वादा किया। बिना किसी नैतिक नियम के युद्ध लड़े गए। बाबर जीत कर भी हार गया।
महाराणा के उच्च चरित्र और योद्धा होने को हिन्दुस्तान का गौरव माना गया और बाबर एक लुटेरा ही रहा। एक मुगल लुटेरे के लिए एक सांसद की तरफदारी सीधे देश से गद्दारी है।
सांसद का बयान हास्यास्पद मुस्लिम महिला फाउण्डेशन की राष्ट्रीय अध्यक्ष नाजनीन अंसारी ने कहा कि यह हास्यास्पद है कि समरकन्द के भिखमंगे बाबर से हिन्दुस्तान का महाराणा सांगा मदद मांगेंगे।
वामपंथी इतिहासकारों ने लुटेरे बाबर के महिमा मंडन करने के लिए महान शासक राणा सांगा को बदनाम करने की साजिश रची। बाबर के औलादों अब तो भारत छोड़ो, तुम्हारा आका बाबर काबुल में दफन है।
जिन लोगों के बाप दादाओं ने बाबर के सेना में भर्ती होकर हिन्दुस्तान के खिलाफ युद्ध लड़ा था, उन्ही के वंशज आज महाराणा का विरोध कर रहे हैं।
महाराणा का अपमान करके हिन्दुस्तान के स्वाभिमान को ललकारा गया है। न भूलेंगे न भूलने देंगे। मुगलों के समर्थकों को भारत छोड़ना पड़ेगा।
विशाल भारत संस्थान के शोध विभाग ने राणा सांगा के इतिहास का सच जारी किया
1518 ई० में राणा संग्राम सिंह ने दिल्ली के सुल्तान इब्राहिम लोदी को खटोली के युद्ध में परास्त किया था। जब राणा स्वयं इब्राहिम लोदी को परास्त ही कर दिया था, तो वह बाबर जैसे लुटेरे को भारत पर आक्रमण के लिए क्यों और किसके खिलाफ युद्ध के लिये आमन्त्रित करते ?
राणा सांगा भारत के प्रतिष्ठित शासक और महान योद्धा थे, वे बाबर से मदद कभी नहीं मांगे। क्योंकि लुटेरों से बात करना राजपूती शान और प्रथा के विरुद्ध था।
बाबर ने अपना दूत राणा के पास भेजा था, लेकिन राणा ने बाबर को मदद देने से इनकार कर दिया। बाबर को आमंत्रित करने वाले दौलत खां लोदी और आलम खां लोदी थे।
राजपूत वचन और सिद्धांतों के बहुत पक्के थे। राजा दूसरे राजा के पास ही राजदूत भेजता था। बाबर कहीं का राजा नहीं, एक लुटेरा था। खानवा के युद्ध में बाबर के सैनिक राजपूतों से युद्ध लड़ने से डर गए और भागने लगे।
बाबर ने सभी सैनिकों को कुरान की कसम दिलाई और एक काफिर के खिलाफ जिहाद का नारा दिया। खानवा के युद्ध में राणा सांगा पर धोखे से तीर चलवाया।
बाबर ने खानवा के युद्ध के बाद हैवानियत की हद पार की। राजपूतों के सिरों की मीनार बनवाई और उसके बीच गाजी की उपाधि ग्रहण की। यह उपाधि हिन्दुओं को मारने के बाद ही मिलती थी।