लो हो गया खुलासा, क्यों आसमान छू रहे हैं नींबू के भाव | Why lemon is so costly this time, Worry of Lemon Price | Patrika News

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लो हो गया खुलासा, क्यों आसमान छू रहे हैं नींबू के भाव | Why lemon is so costly this time, Worry of Lemon Price | Patrika News

अभी तक आपने प्याज, टमाटर और आलू के दामों में तेजी की खबरें ही सामान्यत: देखी होंगी। लेकिन इस बार प्याज या दूसरी सब्जियों के दाम कमोबेश सामान्य हैं, पर नींबू (Lemon) के दामों ने गर्मी का प्रहार सहना और मुश्किल बना दिया है। आखिर क्यों है नींबू के भावों (Lemon Price) में इस बार इतनी तेजी, स्वतंत्र जैन की खास रिपोर्ट

जयपुर

Updated: April 16, 2022 05:30:34 pm

जयपुर। पहली बार नींबू इन दिनों राष्ट्रीय चर्चा का विषय बने हुए हैं। कारण है नींबू (Sharp rise in Lemon Price) के आसमान छूते भाव। थोक में भी नींबू के दाम इन दिनों 150 से 250 रुपए किलो देश की अलग अलग मंडी में बने हुए हैं। कारण बताया जा रहा है कि इस बार नींबू का उत्पादन देश में कम है। इस कारण फुटकर में नींबू के दाम तो 250 से 500 रुपए किलो तक देखे जा रहे हैं। यानी एक नींबू 7 से 15 रुपए का हो गया है। गर्मी के इस मौसम में नींबू के दामों में इस तेजी ने लोगों की शिकंजी का मजा बिगाड़ दिया है। गली-ठेले में मिलने वाला एक ग्लास नींबू पानी अब कोको-कोला से भी महंगा बिक रहा है। सब्जी वालों की भी नींबू की टोकरी पर खास नजर रहती है। कहीं कोई एक नींबू ज्यादा न तुल जाए या कोई सब्जी के साथ फ्री में न ले जाए।

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थोक में नींबू के दाम 150 से 250 रुपए किलो इस बीच जयपुर की मुहाना मंडी में भी नींबू के दामों में  उतार चढ़ाव देखा जा रहा है। पिछले 15 दिन पहले जो नींबू थोक में 250 रुपए किलो से ऊपर बिक रहा था, उसके दामों में पिछले सप्ताह में कुछ गिरावट थी और इसके दाम 100 से 120 रुपए किलो तक आ गए थे। लेकिन इस सप्ताह फिर नींबू के भावों में तेजी है और इसके दाम 150 रुपए किलो तक पहुंच गए हैं। मुहाना सब्जी मंडी के अध्यक्ष राहुल तंवर के अनुसार नींबू की आवक इन दिनों कम बनी हुई है। आज 16 अप्रेल को मुहाना मंडी में नींबू की आवक 80 से 100 टन रही है। जो कि औसत आवक से करीब आधी है। तंवर के अनुसार सामान्यत: इस मौसम में नींबू की आवक 150 से 200 टन रहती है। इसलिए आवक कम होने और मांग अधिक होने से नींबू के दामों में भारी तेजी बनी हुई है। तंवर ने बताया कि इन दिनों जयपुर की मुहाना मंडी में नींबू आंध्रप्रदेश के कोडूरू, महाराष्ट्र के श्रीगोंडा और तमिलनाडू के मध्यप्रदेश से आ रहा है।

आखिर कम क्यों है नींबू का उत्पादन लेकिन सवाल यही उठता है कि नींबू का उत्पादन आखिर इस बार कम क्यों है। नींबू कोई सीजन की फसल तो है नहीं कि इसमें सीजन की तरह कमी-बेशी उत्पादन में होती हो। नींबू के पेड़ एक बार लगने के बाद सालों-साल फल देते रहते हैं। लेकिन इस बार क्या पेड़ अचानक सूख गए हैं या फिर उनमें फल नहीं आए हैं। किसानों ने बताया कि पेड़ सूखने जैसी कोई समस्या नहीं है। सांगानेर में एक फार्म हाउस में नियमित खेती करने वाले किसान बजरंग सैनी ने पत्रिका को बताया कि इस बार उनके पेड़ों में फल नहीं आए हैं। ऐसा क्यों हुआ , इस पर वो हैरानी व्यक्त करते हैं।

अचानक बढ़ी गर्मी से नींबू के तेवर हुए तल्ख लेकिन कृषि वैज्ञानिक और ग्लोबल विवेकानंद यूनिवर्सिटी के डीन प्रो. होशियार सिंह इसके कारणों पर प्रकाश डालते हैं। सिंह ने बताया कि ऐसा मौसम में अचानक परिवर्तन आने से हुआ है। होशियार सिंह ने पत्रिका को बताया कि इस बार मार्च के पहले सप्ताह में ही उत्तर भारत में तापमान 32 डिग्री सेल्सियस से ऊपर चला गया। मार्च के पहले पखवाड़े में ही नींबू में फूल आते हैं और फिर फ्रूट सेटिंग होती है। लेकिन इसके लिए तापमान 32 डिग्री से कम होना जरूरी होता है। तापमान अचानक बढ़ जाने से इस बार फ्रूट सेटिंग नहीं हो सकी और इस तरह से पेड़ों में फल नहीं आए। नतीजा सामने है, नींबू के पेड़ तो हैं पर उन पर फल नहीं आए और तरह नींबू की किल्लत पैदा होने के चलते नींबू के भाव आसमान छू रहे हैं और राष्ट्रीय विमर्श का विषय बने हुए हैं। कोई हैरानी नहीं कि इस बार पूरा उत्तर भारत नींबू के लिए दक्षिण भारत पर निर्भर बना हुआ है। सिंह ने बताया कि नींबू की फसल हर तीन माह में आती है। इसलिए फिलहाल एक-डेढ़ माह तो नींबू की इस महंगाई से निजात मिलने के आसार नहीं हैं।

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