लोकसभा चुनाव: दरभंगा में 1972 के बाद सवर्ण बनाम यादव, गोपालजी ठाकुर को रोक पाएंगे लालू के ललित?

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लोकसभा चुनाव: दरभंगा में 1972 के बाद सवर्ण बनाम यादव, गोपालजी ठाकुर को रोक पाएंगे लालू के ललित?

लोकसभा चुनाव: दरभंगा में 1972 के बाद सवर्ण बनाम यादव, गोपालजी ठाकुर को रोक पाएंगे लालू के ललित?

Bihar Lok Sabha Election 2024: मीठी बोली, मुंह में पान और मंद मुस्कान। दरभंगा की यह पहचान सियासी घमासान के बीच भी बदस्तूर कायम है। नए बने एयरपोर्ट से उड़ान भरते यात्रियों की संख्या भले ही नित नए रिकॉर्ड बना रही हो पर यहां लोग किसी जल्दबाजी में नहीं दिखते। दो दशक से अधिक तक कीर्ति आजाद और अली अशरफ फातमी के बीच ही सीधी भिड़ंत का मैदान रहे दरभंगा में इस बार टक्कर भाजपा सांसद गोपालजी ठाकुर और राजद के ललित यादव के बीच दिखती है। एनडीए को पीएम मोदी की गारंटी तो आरजेडी कैंडिडेट को तेजस्वी की नौकरी का भरोषा है।

गोपालजी दूसरी बार और ललित पहली बार संसद पहुंचने की लड़ाई लड़ रहे हैं। पिछला चुनाव बड़े अंतर से जीते गोपालजी की उम्मीदें मोदी के असर और एनडीए के कैडर पर टिकी हैं। बीते हफ्ते राज मैदान में हुई प्रधानमंत्री की सभा में गोपालजी ने भीड़ में जोश भरते हुए कहा था, थपरी बजाकर मोदीजी के भरोसा दियाऊ कि अहां सब हुनका संगे छी। दूसरी ओर, ललित यादव का भरोसा एमवाई समीकरण और विधानसभा में छह बार की अपनी जीत पर है। इस सबके बीच, यहां लड़ाई वोट बचाने और बढ़ाने की बनती जा रही है। सबकी नजर अंतर पर है।

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शाम के समय दरभंगा-कुशेश्वरस्थान एसएच-56 के किनारे चाय-नाश्ते की दुकान पर देकुली गांव के कुछ लोग बैठे हैं। चुनाव की बात छिड़ते ही सबसे पहले मोदी की चर्चा आती है। दिगंबर लालदेव कहते हैं, सांसद तो इधर कम ही दिखते रहे लेकिन मोदी का काम ठीक है। हम तो उनको ही देख रहे हैं। राकेश कुमार आजाद गरीबों को मुफ्त अनाज, किसानों की सम्मान निधि, आयुष्मान कार्ड जैसी योजनाएं गिनाने लगते हैं। साथ बैठे डगरसाम के चंद्रमोहन ठाकुर और इन्द्रकांत का मानना है कि बहादुरपुर विधानसभा क्षेत्र के दो नेता बिहार सरकार में मंत्री हैं, इसलिए सहनी समाज का वोट एनडीए की झोली में जा सकता है। वे दरभंगा के विकास में पूर्व मंत्री और अब राज्यसभा सांसद संजय झा का योगदान भी मानते हैं। कहते हैं, उनकी अपील पर भी लोग समर्थन दे रहे हैं। इसी बीच, एम्स मिलने का मुद्दा उठते ही पास खड़ा एक युवक तल्खी से सवाल उठाता है। एम्स बन गया क्या?

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बेनीपुर विधानसभा क्षेत्र के बेनीपुर बाजार में अनुमंडल अस्पताल के पास मोबीन अहमद खान को सांसद के क्षेत्र में नहीं आने से शिकायत है। वे मुद्रा लोन में भ्रष्टाचार से भी निराश दिखते हैं। बीमा एजेंट प्रमोद कुमार साहू कहते हैं, इस बार चुनाव प्रचार में काफी कमी दिख रही। इससे अंदाजा नहीं लग पा रहा कि कौन कितने पानी में है। प्रवीण कुमार सिंह उनकी बात में जोड़ते हैं, इस बार मार्जिन में अंतर आ सकता है। उन्होंने कहा कि दो बार मुस्लिम प्रत्याशी की हार के बाद राजद का इस बार यादव उम्मीदवार उतारना असर दिखा सकता है। परमानंद सिंह और सुरेश प्रसाद सिंह का मानना है कि राम मंदिर की चर्चा चौक-चौराहे पर तो नहीं है, लेकिन इसका असर हो सकता है।

अलीनगर विधानसभा क्षेत्र के अंटौर गांव में एसएच-88 के किनारे सिकंदर सहनी और सेवक सहनी निषाद वोटों का गणित समझाते हैं। कहते हैं, मुकेश सहनी को बिना चुनाव जीते मंत्री बनाया गया था। चौक पर पान की दुकान करने वाले रामबालक पासवान ने कहा कि पहले यहां नाव चलती थी। 87 के बाढ़ में सब बह गया था। अब यहां एसएच बन रहा है। हालांकि, यह एसएच 15 वर्षों से निर्माणाधीन है। तीन इंजीनियरों की हत्या के कारण काम रुक गया था। अब फिर शुरू हुआ है। शिवशंकर पासवान और पंचा पासवान बताते हैं, हम मजदूर हैं। चुनाव बाद फिर रोजगार की तलाश में मुंबई निकलेंगे।

दरभंगा ग्रामीण के नेहरा गांव में रात नौ बजे कुछ युवक दिखते हैं। जेएनयू से पीएचडी कर रहे सोनू कुमार राय कहते हैं, युवाओं के लिए रोजगार की व्यवस्था बड़ा मुद्दा है। किसी को अति आत्मविश्वास में नहीं आना चाहिए। व्यवसायी सुनील गुप्ता ने चुनाव के बाद जनप्रतिनिधियों के आम लोगों से जुड़ाव न रखने पर निराशा जताई। व्यवसायी सुधांशु कुमार सिंह, गोपाल झा और आयुष चौधरी देर से खुलते हैं। गोपाल झा कहते हैं, देखिए कौन कितना वोट खींचता है? कुछ कम-बेस हो सकता है। नेहरा गांव में सांसद गोपाल जी ठाकुर और पूर्व सांसद कीर्ति आजाद दोनों की ससुराल है।

 विधानसभा क्षेत्रों में  पांच पर एनडीए काबिज 

कांग्रेस का गढ़ ढहने के बाद सवर्ण और मुस्लिम उम्मीदवारों का अखाड़ा रही इस सीट पर 1972 के बाद पहली बार सवर्ण बनाम यादव की लड़ाई छिड़ी है। 1972 में कांग्रेस के ललित नारायण मिश्र के सामने सोशलिस्ट रामसेवक यादव को यूपी से लाकर यहां लड़ाया गया था। परिणाम ललित बाबू के पक्ष में आया था। चार बार संसद में दरभंगा का प्रतिनिधित्व कर चुके फातमी चंद दिनों पहले पार्टी बदलकर राजद के टिकट पर मधुबनी सीट से मैदान में हैं जबकि भाजपा से मोहभंग के बाद यहां से विस्थापित कीर्ति तृणमूल कांग्रेस के टिकट पर पश्चिम बंगाल की बर्धमान सीट से लड़ रहे हैं। दरभंगा की छह विधानसभा क्षेत्रों में  पांच पर एनडीए काबिज है।

जातीय समीकरण

मुस्लिम और यादव 500662

सवर्ण 390469

वैश्य 99647

सहनी 57016

अन्य 726862

इस बार कौन कौन हैं उम्मीदवार

गोपालजी ठाकुर 

ललित कुमार यादव 

दुर्गा नन्द महावीर नायक 

किशोर कुमार दास 

रंजीत कुमार राम

रजनीश कुमार 

सरोज चौधरी 

मिथिलेश महतो।

● गोपालजी दूसरी बार और ललित पहली बार संसद पहुंचने की लड़ाई लड़ रहे

● रोजगार, केंद्र सरकार के काम आदि पर वोट देने की बात कह रहे मतदाता

● कई लोग अभी भी अंतिम दिन निर्णय लेने की बात कह रहे

क्या कहते हैं आरजेडी कैंडिडेट?

विधानसभा चुनाव में छह बार जीत दर्ज की। यह मेरा लोकसभा का पहला चुनाव है। क्षेत्रवासियों का भरपूर समर्थन मिल रहा है। क्षेत्र का विकास ही प्राथमिकता है। शहर को ट्रैफिक जाम और प्रदूषण से निजात दिलाएंगे। आपदा प्रबंधन के इंतजाम को और मजबूत करेंगे। –ललित कुमार यादव, राजद प्रत्याशी

सांसद गोपालजी ठाकुर का जवाब

पहले विधायक फिर सांसद के रूप में भी विकास के कई काम किए। अब अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा, एम्स, आरओबी, स्टेशन, रेल लाइनें, सड़क और पुल-पुलियों के निर्माण की दिशा में काम करेंगे। पीएम मोदी के काम से भारत को नयी पहचान मिली है। नीतीश कुमार विकास की नई इबारत लिख रहे हैं।-गोपालजी ठाकुर, भाजपा प्रत्याशी

दरभंगा लोकसभा सीट के अंतर्गत छह विधानसभा क्षेत्र  हैं। इनमें दरभंगा नगर, दरभंगा ग्रामीण, बहादुरपुर, बेनीपुर, गौड़ाबौराम और अलीनगर आते हैं। इनमें से पांच पर एनडीए के विधायक हैं। दरभंगा ग्रामीण से राजद के विधायक हैं।

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