लोकबंधु अस्पताल में सिगरेट-बीड़ी से लगी थी आग: गैलरी में बने स्टोर रूम से भड़की, जांच कमेटी खंगाल रही CCTV फुटेज – Lucknow News h3>
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लोकबंधु राजनारायण अस्पताल में 14 अप्रैल की रात सिगरेट या बीड़ी से लगी थी। किसी ने गैलरी में बने स्टोर रूम में बीड़ी पीकर फेंक दी थी। कुछ देर में वहीं से आग भड़क उठी। यह खुलासा विद्युत सुरक्षा टीम की जांच में हुआ है।
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दैनिक NEWS4SOCIALने गुरुवार को ही AC में शॉर्ट सर्किट न होने की खबर चलाई थी। शुरुआती जांच ने खबर पर मुहर लगा दी है। एक और अहम बात ये है कि स्टोर रूम से आग लगने की भी पुष्टि हुई है। बीड़ी या सिगरेट किसने फेंकी, इसके लिए जांच टीम CCTV फुटेज खंगाल रही है।
14 अप्रैल के इस अग्निकांड से 1 बुजुर्ग मरीज की मौत हो गई थी। उस दौरान अस्पताल में कुल 237 मरीज भर्ती थे। घटना के बाद सभी को अस्पताल से निकालना पड़ा था।
अस्पताल में लगे CCTV कैमरे खोलेंगे राज
लोकबंधु राजनारायण अस्पताल में लगी आग की घटना का राज CCTV फुटेज में कैद हैं। अस्पताल परिसर 103 CCTV कैमरे से लैस है। इनमें से करीब 8 कैमरे तीसरे फ्लोर पर हैं। ऐसे में CCTV फुटेज से आग लगने की सटीक जगह और असल कारण भी सामने आएंगे।
मौके पर दमकल की कई गाड़ियां पहुंची थीं।
14 अप्रैल की रात ऐसे भड़की थी आग
सोमवार रात 9 बजकर 25 मिनट पर तीसरे मंजिल में जब स्टोर बंद था तब स्टोर के अंदर शौचालय के पीछे भाग में अचानक आग लग गई, जिससे स्टोर में रखी ज्वलनशील सामग्री जलने लगी। यहां से उठा धुआं स्टोर से निकलकर कॉरिडोर और ICU में भरने लगा। मौके पर रहे लोगों ने मेन स्विच को ऑफ किया और स्टोर के एल्युमिनियम के दरवाजे को तोड़कर आग बुझाई।
शुरुआती दौर में AC के शॉर्ट सर्किट से आग लगने की बात कही गई। बाद में वॉर्ड के AC और लाइट सभी दुरुस्त बताए गए। बताया गया था कि 3 दिन पहले ही आइसोलेशन वार्ड में लगे AC की सर्विस की गई थी। ड्रेनेज पाइप न होने के कारण AC की विद्युत आपूर्ति MCB से बंद कर दी गयी थी। अग्निकांड के समय सभी AC बंद थे।
NEWS4SOCIALको चश्मदीदों ने पहले ही बताया था स्टोर रूम से आग लगी
दैनिक NEWS4SOCIALने कुछ चश्मदीदों से बात की थी। उनकी मानें तो तीसरी मंजिल पर लगी आग स्टोर रूम से भड़की। यहां से निकलीं लपटों ने वॉर्ड को अपने चपेट में लिया। तीसरे फ्लोर पर ICU-HDU वॉर्ड के बगल में स्टोर रूम बनाने को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं।
इस स्टोर रूम में कई मॉनिटर, सर्जिकल आइटम, कैनुला जैसे बहुत आइटम समेत काफी डेड स्टॉक भी हैं। इसके अलावा कई गत्ते भी इस स्टोर रूम में हैं। अहम बात ये है कि ये स्टोर रूम महज 6 महीने पहले ही बनाया गया था। स्टोर रूम बनाने के लिए ये जगह भी किसी सूरत में उपयुक्त नहीं हैं। बावजूद इसके गैलरी में भी स्टोर बनाकर सामान भर दिया गया।
जहां आग लगी, उस फ्लोर में क्या-क्या है?
3rd फ्लोर में अस्पताल का प्रशासनिक ब्लॉक है। यहां पर निदेशक, मुख्य चिकित्सा अधीक्षक और चिकित्सा अधीक्षक का चैंबर है। इसके अलावा इसी फ्लोर पर 20 बेड का फीमेल मेडिसिन वॉर्ड, 11 बेड का ICU वॉर्ड और 18 बेड का पीडियाट्रिक वार्ड भी है।
ऐसे में घटना के समय जो भी मरीज भर्ती थे, उन सभी की जान पर बन आई। सुरेंद्र ने बताया कि वो रोज लोकबंधु अस्पताल में चाय देने के लिए आते हैं। पर उन्होंने कभी अस्पताल में मॉक ड्रिल होते नहीं देखा।
लोकबंधु अस्पताल में सुरेंद्र डेली मरीजों के परिजनों और स्टाफ को चाय पिलाते हैं।
बाल-बाल बचा 40 लाख का E-ICU का सामान
लोकबंधु अस्पताल में बहुत जल्द बड़े कॉर्पोरेट अस्पताल के साथ मिलकर E- ICU शुरू करना था। इसके लिए करीब 40 लाख खर्च हुआ। ये सभी सामान भी उसी फ्लोर पर था, पर राहत की बात ये रही कि सभी सामान सुरक्षित है।
नहीं चले ‘स्मोक एग्जॉस्ट’ अस्पताल प्रशासन के मुताबिक 5 महीने के भीतर अस्पताल परिसर में ‘स्मोक एग्जॉस्ट’ लगाने की सुविधा शुरू हुई थी। इसके लिए लाखों का प्रस्ताव बनाकर शासन की तरफ से स्वीकृत भी ली गई थी। इन एग्जास्ट की ये खूबी थी कि आग लगने के दौरान यदि ‘पावर-कट’ हो जाए तब बैटरी के जरिए ये ऑन हो सकते थे। पर घटना के दिन ऐसा नहीं हुआ।
‘स्मोक एग्जॉस्ट’ नहीं चलने के कारण अस्पताल के वार्डों में धुआं भर गया था।
रिस्पॉन्स में देरी के चलते बिगड़े हालात
अस्पताल प्रशासन और कुछ स्टाफ के मुताबिक आग लगने के बाद स्मोक अलार्म बजा था। जिसके बाद सभी दूसरी मंजिल पहुंचे। ऐसे में जब समय रहते स्मोक अलार्म बजा और मौके पर पहुंचकर फायर एक्सटिंगिवीशर से आग पर काबू पाया गया तो आखिर कैसे आग फैल गई? स्पष्ट संकेत हैं कि या तो स्टाफ का ढुलमुल रवैया था। यही कारण रहा कि आग तेजी से फैली और फिर लपटें दिखने लगी।
इन कारणों से आग भड़की थी
लोकबंधु अस्पताल में फायर फाइटिंग के तमाम उपकरण लगाए गए थे। इसके मेंटेनेंस के लिए गोविंद एजेंसीज को ठेका दिया गया था। इसके रख रखाव में सालाना मोटी रकम खर्च होती है। इसी पैसे से नियमित मॉनिटरिंग की जानी थी। फायर फाइटिंग सिस्टम को भी दुरुस्त रखना था। राउंड द क्लॉक मौके पर 2 स्टाफ भी तैनात करने थे। जो आग लगने पर तुरंत एक्शन में आए और आग फैलने से रोके। पर ये तमाम सारे जतन आग को रोकने में नाकाम रहे और आग तेजी पूरे फ्लोर को अपने चपेट में ले ली।
स्प्रिंकलर नहीं होने से फायर फाइटिंग की तैयारी अधूरी
सरकारी अस्पतालों में फायर फाइटिंग से बचाव के लिए कई उपकरण लगाए गए हैं, पर इनडोर में कहीं स्प्रिंकलर नहीं लगाया गया। इस वजह से आग तेजी से फैल गई। काबू पाने का उपाय फायर ब्रिगेड के अलावा किसी के नहीं था।
भगदड़ मची तब पता चला आग लग गई धुआं भरने से हालात बिगड़ गए। न केवल मरीजों-परिजनों को इससे परेशानी हुई बल्कि फायर ब्रिगेड टीम को भी मशक्कत करनी पड़ी। घटना के दौरान अस्पताल के चश्मदीदों ने कहा था- आग लगने के बाद स्मोक अलार्म नहीं बजा था। वार्ड में धुआं भरने के बाद जब भगदड़ मची तब सभी ने लपटें देखीं। हालांकि, अस्पताल प्रशासन का दावा है कि स्मोक अलार्म बजा था, जिसको सुनकर ही लोग दूसरी मंजिल तक पहुंचे थे। फिर मौके से मरीजों को रेस्क्यू किया गया।
फायर ब्रिगेड टीम ने लोकबंधु अस्पताल से मरीजों को सीढ़ी के सहारे रेस्क्यू कर दूसरे अस्पताल में शिफ्ट किया था।
एक और मरीज की हालत नाजुक
सोमवार को आग लगने से अस्पताल में भर्ती 237 मरीजों की जान पर आफत आ गई। यही कारण है कि इनमें से 180 मरीज खुद से या तो डिस्चार्ज करा लिए या फिर किसी अन्य अस्पताल चले गए। लोकबंधु से रेफर हुई 26 साल की महिला क्रांति की हालत बेहद नाजुक थी। उसे देर रात बलरामपुर अस्पताल से ट्रॉमा सेंटर भेजा भेजा गया।
यहां डॉक्टरों ने उसे ICU में रखा है। डॉक्टरों के मुताबिक उसे वेंटिलेटर सपोर्ट भी दिया जा रहा। इसके अलावा 70 साल के इब्राहिम को भी सांस लेने में तकलीफ के चलते ट्रॉमा सेंटर रेफर किया गया था। फिलहाल ट्रॉमा सेंटर में कुल 7 मरीजों का इलाज चल रहा है। जबकि बलरामपुर अस्पताल में 13 मरीज भर्ती हैं। इसके अलावा लखनऊ के सिविल अस्पताल में 13 मरीजों का इलाज चल रहा है।
ये क्रांति की बहन है। लोकबंधु अस्पताल में आग लगने के बाद क्रांति को KGMU में शिफ्ट किया गया है। वह बताती हैं कि पहले बहन की तबीयत क्रिटिकल थी, अब स्थिर है।
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दैनिक NEWS4SOCIALकी पड़ताल में आग की घटना के लिए तीन जिम्मेदार सामने आए हैं। पहला– नोडल इंचार्ज पीएन अहिरवार। दूसरा– सिक्योरिटी सेल सुपरवाइजर डीबी सिंह। तीसरा– फायर प्रोटेक्शन कॉन्ट्रैक्टर। हालांकि, अब तक इनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है। फिलहाल, प्रमुख सचिव पार्थ सारथी सेन ने मामले की जांच के लिए 5 सदस्यीय समिति गठित की है, जिसकी अध्यक्षता डीजी मेडिकल हेल्थ करेंगे। उन्हें 15 दिन में रिपोर्ट सौंपनी है। पढ़िए ग्राउंड रिपोर्ट