लेफ्टिनेंट जनरल सैयद अता हसनैन का कॉलम: तीनों सेनाओं की सहभागिता से सटीक प्रहार h3>
Advertising
- Hindi News
- Opinion
- Lieutenant General Syed Ata Hasnain’s Column Precise Strike With The Cooperation Of The Three Armies
5 मिनट पहले
Advertising
- कॉपी लिंक
लेफ्टिनेंट जनरल सैयद अता हसनैन कश्मीर कोर के पूर्व कमांडर
बुधवार, 7 मई को जब देशवासियों की नींद खुली, तो उस खबर ने उनका स्वागत किया, जिसकी उन्हें कुछ समय से उम्मीद थी। एक अलग तरह की सर्जिकल स्ट्राइक! तीनों सेनाओं की सहभागिता से सटीक और तकनीकी प्रहार! पहलगाम हमले के बाद से ही पाकिस्तान के खिलाफ लोगों की भावनाएं आसमान छू रही थीं।
Advertising
Advertising
23 अप्रैल को कैबिनेट कमेटी फॉर सिक्योरिटी (सीसीएस) की बैठक में लिए गए सरकार के फैसलों ने सशस्त्र बलों को तैयारी और हमला करने का अवसर दिया। हमले भी सही समय पर और प्रभावी ढंग से किए गए।
मॉक ड्रिल की तैयारियों के जरिए एक डिसेप्शन-प्लान को बेहतरीन तरीके से अंजाम दिया गया। हमले से पहले मीडिया में जो दृश्य दिखाए जाते रहे, उन्होंने भी समग्र प्रभावशीलता में योगदान दिया। लेकिन ऑपरेशन के लिए नाम का चयन भी बहुत कुछ बताता है। “ऑपरेशन सिंदूर’ का मतलब है पहलगाम में हुए जघन्य कृत्य का प्रतिशोध लेना, जिसमें धर्म के आधार पर हिंदू महिलाओं के पतियों की निर्मम हत्या की गई थी। सिंदूर विवाहित हिंदू महिलाओं का प्रतीक है!
Advertising
कई कारणों से यह एक ऐतिहासिक क्षण है। प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्र से अपना वादा पूरा किया है और इस स्ट्राइक से उभरकर सामने आने वाले ब्योरे पेशेवर-विश्लेषण के हकदार हैं। यह पहली बार है, जब सेना के तीनों अंगों ने आतंक के अड्डों पर प्रभावी कार्रवाई करने के लिए अपनी तकनीकी विशेषज्ञता और संसाधनों का इस्तेमाल किया है।
मुझे अपने लक्ष्यों पर सटीक हमले करने की हमारी क्षमता पर संदेह था। मुरीदके और बहावलपुर दोनों ही ऐसे क्षेत्रों में हैं, जिन पर प्रहार करने से नागरिकों के हताहत होने का जोखिम रहता है। पाकिस्तान और उसके डीप स्टेट के विपरीत भारत को जरूर मानवाधिकारों और निर्दोष मनुष्यों के जीवन की चिंता रहती है।
2016 और 2019 में हमने इन जगहों को निशाना बनाने से परहेज किया था, लेकिन इस बार हमारी उन्नत तकनीकी क्षमताओं को देखते हुए ऐसा करना महत्वपूर्ण था। पीओके और पंजाब- इन दोनों में पाकिस्तान के गढ़ में स्थित नौ स्थानों का चयन सावधानी से किया गया।
चूंकि एनआईए ने अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से पाकिस्तानी सेना, आईएसआई और लश्कर के गठजोड़ का संकेत दिया था, इसलिए यह महत्वपूर्ण था कि पीओके के साथ ही पंजाब में भी लक्ष्य चुने जाते। मुरीदके (लाहौर से 40 किमी दूर लश्कर मुख्यालय), बहावलपुर (जैश मुख्यालय) और सियालकोट (मेहमूना जोया कैम्प जहां पठानकोट हमले की योजना बनाई गई थी)- सभी पर जमीन, समुद्र और हवा से अलग-अलग प्लेटफॉर्म से लॉन्च किए गए स्मार्ट लोइटर हथियारों से प्रहार किया गया, ताकि किसी भी तरह के को-लैटरल डैमेज से बचा जा सके। ये सभी फेसिलिटीज़ पाकिस्तानी सेना के प्रमुख स्टेशनों के करीब स्थित हैं। भारत ने अपनी क्षमताओं का परिचय पाकिस्तान को दे दिया है।
पीओके में स्थानों का चयन सीमा से सटे हिस्से में किया गया था और यह खुफिया सूचनाओं पर आधारित था। इनमें से कई स्थानों को हमले की आशंका के कारण खाली करा दिया गया होगा, लेकिन फिर भी यह स्ट्राइक इस मायने में मूल्यवान है कि हम अगली बार पहलगाम जैसे किसी ट्रिगर के बिना भी हमला कर सकते हैं।
उस स्थिति में सरप्राइज-फैक्टर अधिक होगा और इसका असर भी ज्यादा पड़ेगा। नुकसान का आकलन हमें बहुत कुछ बताएगा, लेकिन मेरे विचार से यह कार्रवाई उसके प्रभावों से ज्यादा महत्वपूर्ण है। यह किसी भी समय तब दोहराई जा सकती है, जब किसी आतंकवादी वारदात का संदेह हो। भारत ने बिना किसी ट्रिगर के ऐसी कार्रवाई के लिए एक मिसाल कायम कर दी है।
महत्वपूर्ण मुद्दा यह है कि हमले में किसी पाकिस्तानी सैन्य प्रतिष्ठान को निशाना नहीं बनाया गया है। अगर वैसा किया जाता तो इसका परिणाम पाकिस्तान की ओर से तत्काल प्रतिक्रिया के रूप में सामने आता। मौजूदा स्थिति में एस्केलेशन को प्रभावी ढंग से नियंत्रित किया गया है और भविष्य के लिए विकल्प बनाए गए हैं।
पाकिस्तान ने अपने चिर-परिचत अंदाज में फर्जी खबरों के साथ इस हमले का जवाब दिया है, क्योंकि उसकी इंटर सर्विस पब्लिक रिलेशंस (आईएसपीआर) विंग भारत द्वारा किए गए प्रभावी सटीक हमलों के बाद धारणा-प्रबंधन की चुनौती से जूझ रहा है। भारत में पाकिस्तान जैसे कोई आतंकी ठिकाने नहीं हैं, जिन पर पाकिस्तान जवाबी कार्रवाई के रूप में निशाना साध सके। हालांकि पाकिस्तान ने नियंत्रण रेखा पर अपनी हरकतों को और बढ़ाने का फैसला किया है।
पिछले एक पखवाड़े से तंगधार, उरी, पुंछ और राजौरी सेक्टरों में नियमित गोलीबारी हो रही है। इसमें हमारी तरफ के नागरिक भी हताहत हुए हैं, जिसका पाकिस्तान को कोई अफसोस नहीं है। यह पाकिस्तान का अपनी हताशा व्यक्त करने का तरीका है।
इससे इनकार नहीं किया जा सकता है कि पाकिस्तान की तरफ से अगले कुछ दिनों में जम्मू-कश्मीर में एक बार फिर से भारत को चुनौती देने के लिए एक कार्रवाई की जा सकती है। ऐसी स्थिति में भारत को तत्काल प्रतिक्रिया के लिए अपने शस्त्रागार को तैयार रखना चाहिए।
यहां अंतरराष्ट्रीय फैक्टर्स भी महत्वपूर्ण हैं। हमें वैश्विक जनमत को पाकिस्तान की निंदा की ओर केंद्रित करना होगा और उसे सीमापार आतंकवाद को प्रायोजित करने वाला देश घोषित करना होगा। एफएटीएफ के साथ हम पाकिस्तान को दोषी ठहराने में सफल रहे थे।
पाकिस्तान को एफएटीएफ की ब्लैक लिस्ट में डाला जाना चाहिए और उसके अंतरराष्ट्रीय व्यवहार को देखते हुए उसके कर्ज आदि रोक देने चाहिए। समय आ गया है कि पाकिस्तान के मुद्दे को न केवल अमेरिका, बल्कि दूसरी ताकतों के सामने भी उठाया जाए, जिनमें मध्य-पूर्व के प्रभावशाली देश भी शामिल हैं। सैन्य प्रतिक्रिया भले एक बार का उपाय हो, इसका संदेश बड़ा है।
पीओके और पाकिस्तानी पंजाब पर निशाना इसलिए… पीओके और पाकिस्तानी पंजाब- इन दोनों में पाकिस्तान के गढ़ में स्थित नौ स्थानों का चयन सावधानी से किया गया। एनआईए ने अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट में पाकिस्तानी सेना, आईएसआई और लश्कर के गठजोड़ का संकेत दिया था, इसलिए दोनों पर प्रहार करना महत्वपूर्ण था।
(ये लेखक के अपने विचार हैं)
खबरें और भी हैं…
राजनीति की और खबर देखने के लिए यहाँ क्लिक करे – राजनीति
News
- Hindi News
- Opinion
- Lieutenant General Syed Ata Hasnain’s Column Precise Strike With The Cooperation Of The Three Armies
5 मिनट पहले
- कॉपी लिंक
लेफ्टिनेंट जनरल सैयद अता हसनैन कश्मीर कोर के पूर्व कमांडर
बुधवार, 7 मई को जब देशवासियों की नींद खुली, तो उस खबर ने उनका स्वागत किया, जिसकी उन्हें कुछ समय से उम्मीद थी। एक अलग तरह की सर्जिकल स्ट्राइक! तीनों सेनाओं की सहभागिता से सटीक और तकनीकी प्रहार! पहलगाम हमले के बाद से ही पाकिस्तान के खिलाफ लोगों की भावनाएं आसमान छू रही थीं।
23 अप्रैल को कैबिनेट कमेटी फॉर सिक्योरिटी (सीसीएस) की बैठक में लिए गए सरकार के फैसलों ने सशस्त्र बलों को तैयारी और हमला करने का अवसर दिया। हमले भी सही समय पर और प्रभावी ढंग से किए गए।
मॉक ड्रिल की तैयारियों के जरिए एक डिसेप्शन-प्लान को बेहतरीन तरीके से अंजाम दिया गया। हमले से पहले मीडिया में जो दृश्य दिखाए जाते रहे, उन्होंने भी समग्र प्रभावशीलता में योगदान दिया। लेकिन ऑपरेशन के लिए नाम का चयन भी बहुत कुछ बताता है। “ऑपरेशन सिंदूर’ का मतलब है पहलगाम में हुए जघन्य कृत्य का प्रतिशोध लेना, जिसमें धर्म के आधार पर हिंदू महिलाओं के पतियों की निर्मम हत्या की गई थी। सिंदूर विवाहित हिंदू महिलाओं का प्रतीक है!
कई कारणों से यह एक ऐतिहासिक क्षण है। प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्र से अपना वादा पूरा किया है और इस स्ट्राइक से उभरकर सामने आने वाले ब्योरे पेशेवर-विश्लेषण के हकदार हैं। यह पहली बार है, जब सेना के तीनों अंगों ने आतंक के अड्डों पर प्रभावी कार्रवाई करने के लिए अपनी तकनीकी विशेषज्ञता और संसाधनों का इस्तेमाल किया है।
मुझे अपने लक्ष्यों पर सटीक हमले करने की हमारी क्षमता पर संदेह था। मुरीदके और बहावलपुर दोनों ही ऐसे क्षेत्रों में हैं, जिन पर प्रहार करने से नागरिकों के हताहत होने का जोखिम रहता है। पाकिस्तान और उसके डीप स्टेट के विपरीत भारत को जरूर मानवाधिकारों और निर्दोष मनुष्यों के जीवन की चिंता रहती है।
2016 और 2019 में हमने इन जगहों को निशाना बनाने से परहेज किया था, लेकिन इस बार हमारी उन्नत तकनीकी क्षमताओं को देखते हुए ऐसा करना महत्वपूर्ण था। पीओके और पंजाब- इन दोनों में पाकिस्तान के गढ़ में स्थित नौ स्थानों का चयन सावधानी से किया गया।
चूंकि एनआईए ने अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से पाकिस्तानी सेना, आईएसआई और लश्कर के गठजोड़ का संकेत दिया था, इसलिए यह महत्वपूर्ण था कि पीओके के साथ ही पंजाब में भी लक्ष्य चुने जाते। मुरीदके (लाहौर से 40 किमी दूर लश्कर मुख्यालय), बहावलपुर (जैश मुख्यालय) और सियालकोट (मेहमूना जोया कैम्प जहां पठानकोट हमले की योजना बनाई गई थी)- सभी पर जमीन, समुद्र और हवा से अलग-अलग प्लेटफॉर्म से लॉन्च किए गए स्मार्ट लोइटर हथियारों से प्रहार किया गया, ताकि किसी भी तरह के को-लैटरल डैमेज से बचा जा सके। ये सभी फेसिलिटीज़ पाकिस्तानी सेना के प्रमुख स्टेशनों के करीब स्थित हैं। भारत ने अपनी क्षमताओं का परिचय पाकिस्तान को दे दिया है।
पीओके में स्थानों का चयन सीमा से सटे हिस्से में किया गया था और यह खुफिया सूचनाओं पर आधारित था। इनमें से कई स्थानों को हमले की आशंका के कारण खाली करा दिया गया होगा, लेकिन फिर भी यह स्ट्राइक इस मायने में मूल्यवान है कि हम अगली बार पहलगाम जैसे किसी ट्रिगर के बिना भी हमला कर सकते हैं।
उस स्थिति में सरप्राइज-फैक्टर अधिक होगा और इसका असर भी ज्यादा पड़ेगा। नुकसान का आकलन हमें बहुत कुछ बताएगा, लेकिन मेरे विचार से यह कार्रवाई उसके प्रभावों से ज्यादा महत्वपूर्ण है। यह किसी भी समय तब दोहराई जा सकती है, जब किसी आतंकवादी वारदात का संदेह हो। भारत ने बिना किसी ट्रिगर के ऐसी कार्रवाई के लिए एक मिसाल कायम कर दी है।
महत्वपूर्ण मुद्दा यह है कि हमले में किसी पाकिस्तानी सैन्य प्रतिष्ठान को निशाना नहीं बनाया गया है। अगर वैसा किया जाता तो इसका परिणाम पाकिस्तान की ओर से तत्काल प्रतिक्रिया के रूप में सामने आता। मौजूदा स्थिति में एस्केलेशन को प्रभावी ढंग से नियंत्रित किया गया है और भविष्य के लिए विकल्प बनाए गए हैं।
पाकिस्तान ने अपने चिर-परिचत अंदाज में फर्जी खबरों के साथ इस हमले का जवाब दिया है, क्योंकि उसकी इंटर सर्विस पब्लिक रिलेशंस (आईएसपीआर) विंग भारत द्वारा किए गए प्रभावी सटीक हमलों के बाद धारणा-प्रबंधन की चुनौती से जूझ रहा है। भारत में पाकिस्तान जैसे कोई आतंकी ठिकाने नहीं हैं, जिन पर पाकिस्तान जवाबी कार्रवाई के रूप में निशाना साध सके। हालांकि पाकिस्तान ने नियंत्रण रेखा पर अपनी हरकतों को और बढ़ाने का फैसला किया है।
पिछले एक पखवाड़े से तंगधार, उरी, पुंछ और राजौरी सेक्टरों में नियमित गोलीबारी हो रही है। इसमें हमारी तरफ के नागरिक भी हताहत हुए हैं, जिसका पाकिस्तान को कोई अफसोस नहीं है। यह पाकिस्तान का अपनी हताशा व्यक्त करने का तरीका है।
इससे इनकार नहीं किया जा सकता है कि पाकिस्तान की तरफ से अगले कुछ दिनों में जम्मू-कश्मीर में एक बार फिर से भारत को चुनौती देने के लिए एक कार्रवाई की जा सकती है। ऐसी स्थिति में भारत को तत्काल प्रतिक्रिया के लिए अपने शस्त्रागार को तैयार रखना चाहिए।
यहां अंतरराष्ट्रीय फैक्टर्स भी महत्वपूर्ण हैं। हमें वैश्विक जनमत को पाकिस्तान की निंदा की ओर केंद्रित करना होगा और उसे सीमापार आतंकवाद को प्रायोजित करने वाला देश घोषित करना होगा। एफएटीएफ के साथ हम पाकिस्तान को दोषी ठहराने में सफल रहे थे।
पाकिस्तान को एफएटीएफ की ब्लैक लिस्ट में डाला जाना चाहिए और उसके अंतरराष्ट्रीय व्यवहार को देखते हुए उसके कर्ज आदि रोक देने चाहिए। समय आ गया है कि पाकिस्तान के मुद्दे को न केवल अमेरिका, बल्कि दूसरी ताकतों के सामने भी उठाया जाए, जिनमें मध्य-पूर्व के प्रभावशाली देश भी शामिल हैं। सैन्य प्रतिक्रिया भले एक बार का उपाय हो, इसका संदेश बड़ा है।
पीओके और पाकिस्तानी पंजाब पर निशाना इसलिए… पीओके और पाकिस्तानी पंजाब- इन दोनों में पाकिस्तान के गढ़ में स्थित नौ स्थानों का चयन सावधानी से किया गया। एनआईए ने अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट में पाकिस्तानी सेना, आईएसआई और लश्कर के गठजोड़ का संकेत दिया था, इसलिए दोनों पर प्रहार करना महत्वपूर्ण था।
(ये लेखक के अपने विचार हैं)
News