लुधियाना में साइबर ठग गिरोह का सरगना गिरफ्तार: वर्धमान ग्रुप के चेयरमैन से की थी ठगी, 8 आरोपियों की हुई पहचान – Ludhiana News h3>
DCP सिटी एंड देहाती रूपिंदर सिंह गिरफ्तार आरोपी अतनु के बारे जानकारी देते हुए।
लुधियाना में 9 महीने पहले पद्म भूषण पुरस्कार विजेता और वर्धमान ग्रुप के चेयरमैन एसपी ओसवाल से 7 करोड़ रुपए ठगने वाले साइबर अपराधियों के अंतरराज्यीय गिरोह के सरगना को फिर से गिरफ्तार कर लिया गया है। पुलिस ने डिजिटल डकैती में शामिल 8 और आरोपियों की पहच
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आरोपी के साथियों की पहचान निम्मी भट्टाचार्जी, आलोक रंगी, गुलाम मुर्तजा, संजय सूत्रधार, रिंटू, रूमी कलिता और जाकिर के रूप में हुई है।
गुवाहटी से किया काबू
DCP सिटी एंड देहात रूपिंदर सिंह ने बताया कि साइबर क्राइम पुलिस ने एक सूचना के बाद आरोपी को गुवाहाटी से गिरफ्तार किया। बाकी आरोपी असम, पश्चिम बंगाल और नई दिल्ली के रहने वाले हैं।
उन्होंने बताया कि हमने अपराध में शामिल अन्य आरोपियों की पहचान कर ली है। बाकी आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए दबिश दी जा रही है। और भी महत्वपूर्ण जानकारी मिलने की उम्मीद है। आरोपियों के खिलाफ बीएनएस की धारा 308 (2), 319 (2), 318 (4), 351 (2), 61 (2) और सूचना एवं प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66सी और 66डी के तहत एफआईआर दर्ज की गई है।
31 अगस्त 2024 को हुई थी 7 करोड़ की ठगी लुधियाना के साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन ने 31 अगस्त 2024 को ओसवाल से 7 करोड़ रुपए ठगने के आरोप में साइबर अपराधियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी। पुलिस के अनुसार, आरोपियों ने ओसवाल को अपना स्काइप कैमरा चालू रखने और किसी को कोई कॉल या मैसेज न करने के लिए कहा।
एफआईआर के अनुसार, जालसाजों ने ओसवाल पर जेट एयरवेज के संस्थापक नरेश गोयल से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में शामिल होने का आरोप लगाया। उन्होंने स्काइप के जरिए सुप्रीम कोर्ट की एक फर्जी सुनवाई का मंचन किया, जिसमें एक जालसाज ने खुद को भारत के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ के रूप में पेश किया।
अपराधियों ने सुप्रीम कोर्ट का एक फर्जी, मुहर लगा हुआ आदेश भी पेश किया, जिसमें ओसवाल को फंड ट्रांसफर करने के लिए राजी किया गया।
पुलिस के अनुसार, जालसाजों ने उसे डिजिटल निगरानी में रखा, उसे निर्देश दिया कि वह सोते समय भी स्काइप के जरिए लगातार निगरानी में रहे। उन्होंने ओसवाल पर मनी लॉन्ड्रिंग मामले में शामिल होने का आरोप लगाया, जबकि उसका नरेश गोयल से कोई संबंध नहीं है। वह इतना डरा हुआ था कि उसने किसी को भी इसकी जानकारी नहीं दी।
अपराधियों ने उद्योगपति को बेहद विश्वसनीय दस्तावेजों के साथ धोखा दिया, जिसमें ‘जस्टिस धनंजय वाई चंद्रचूड़ बनाम श्री पॉल ओसवाल’ नामक सुप्रीम कोर्ट का मामला और 24×7 निगरानी आदेश शामिल था, जिसमें 70 शर्तें सूचीबद्ध थीं, जिनका पालन करना था, जैसे कि कैमरे के दृश्य को बाधित न करना और उनकी अनुमति के बिना टेस्टिंग या कॉल करने से बचना।
ओसवाल ने कई लेन-देन में 7 करोड़ रुपए ट्रांसफर किए। घोटाले का खुलासा तब हुआ जब उन्होंने अपने एक वरिष्ठ सहयोगी को इस बारे में बताया, जिन्होंने विसंगतियों की ओर इशारा किया। इसके बाद ओसवाल ने पुलिस से संपर्क किया।
अपराधियों ने स्काइप वीडियो कॉल के दौरान औपचारिक पोशाक और आईडी कार्ड के साथ सीबीआई अधिकारी बनकर पेश आए, यहां तक कि आधिकारिक सेटिंग की नकल करने के लिए पृष्ठभूमि में झंडे भी लगाए। शिकायतकर्ता को चार किस्तों में 7 करोड़ रुपए ट्रांसफर करने के लिए राजी किया गया।
पुलिस ने बरामद की सबसे बड़ी बरामदगी डीसीपी ने बताया कि सितंबर 2024 में गिरफ्तारी के दौरान पुलिस ने आरोपियों से 5.25 करोड़ रुपए, छह डेबिट कार्ड और तीन फोन बरामद किए थे। गृह मंत्रालय के तहत भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र के अनुसार यह साइबर अपराध मामले में अब तक की सबसे बड़ी बरामदगी है।