लालू की पार्टी के एमपी ने संसद में फाड़ दिया था महिला आरक्षण बिल, दोबारा सांसद नहीं बन पाए सुरेंद्र यादव

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लालू की पार्टी के एमपी ने संसद में फाड़ दिया था महिला आरक्षण बिल, दोबारा सांसद नहीं बन पाए सुरेंद्र यादव

लालू की पार्टी के एमपी ने संसद में फाड़ दिया था महिला आरक्षण बिल, दोबारा सांसद नहीं बन पाए सुरेंद्र यादव

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नरेंद्र मोदी सरकार संसद में महिला आरक्षण बिल लाने जा रही है। यह मुद्दा कोई नया नहीं है। इससे पहले भी संसद में यह बिल पेश हो चुका है। 1996 में पहली बार एचडी देवगौड़ी की सरकार यह बिल संसद में लेकर आई थी। इसके बाद अटल बिहारी वाजपेयी सरकार भी चार बार ये बिल सदन में लेकर आई लेकिन पारित नहीं हो सका। इस बिल पर संसद में पहले खूब हंगामा हो चुका है। 1998 में जब यह बिल संसद में आया तो आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की पार्टी के एक सांसद ने ऐसा कारनामा किया कि यह आज भी लोकतांत्रिक इतिहास के काले पन्नों में दर्ज है। आरजेडी से सांसद सुरेंद्र यादव ने लालकृष्ण आडवाणी के हाथ से महिला आरक्षण बिल की कॉपी लेकर फाड़ दी थी। यह घटना संसद के इतिहास में आज भी एक दाग के रूप में मानी जाती है। उसके बाद सुरेंद्र यादव कभी लोकसभा नहीं पहुंच पाए।

सुरेंद्र यादव आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव एवं उनके बेटे तेजस्वी के करीबी माने जाते हैं। वे बिहार की नीतीश सरकार में अभी सहकारिता मंत्री हैं। उनकी छवि दबंग नेता की है। वे अभी गया के बेलागंज से विधायक हैं। 1998 में वे जहानाबाद से सांसद चुने गए थे। उस समय वाजपेयी सरकार संसद में महिला आरक्षण बिल लेकर आई थी। तब सदन में खूब हंगामा हुआ। सुरेंद्र यादव ने इसका कड़ा विरोध करते हुए लालकृष्ण आडवाणी के हाथों से बिल की कॉपी लेकर फाड़ दी। 

सुरेंद्र यादव का कहना था कि बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर उनके सपने में आए थे और उन्हें कहा कि संविधान खतरे में है। इसलिए उन्होंने बिल की कॉपी फाड़ दी। हालांकि, इस घटना के बाद सुरेंद्र यादव दोबारा कभी लोकसभा नहीं पहुंच पाए। उन्होंने लोकसभा चुनाव लड़ा लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी। मगर तब से वे विधानसभा चुनाव जीतते रहे हैं।

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महिला आरक्षण बिल के इस बार पारित होने की उम्मीद

2010 में यूपीए कार्यकाल के दौरान यह बिल राज्यसभा से पारित हो गया था, लेकिन लोकसभा में अटक गया। अब नरेंद्र मोदी सरकार इस बिल को नए सिरे से संसद में फिर से पेश करने जा रही है। संसद के विशेष सत्र के दौरान बुधवार को यह बिल पेश किया जा सकता है। कई दल इस बिल के समर्थन में नजर आ रहे हैं। ऐसे में इस बार यह बिल संसद के दोनों सदनों से पारित होने की उम्मीद है। अगर बिल पारित हो जाता है तो महिलाओं को लोकसभा एवं विधानसभा चुनाव में 33 फीसदी आरक्षण मिल जाएगा। 

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