लालू-कांग्रेस को नीतीश का झटका; जेडीयू बोली- सीटिंग सीट लड़ेगी पार्टियां, 23 लोकसभा में कैसे होगा बंटवारा? h3>
लोकसभा चुनाव 2024 के लिए इंडिया गठबंधन में सीट शेयरिंग पर बहस शुरू हो गई है। एक सर्वमान्य फार्मूला तय होने के पहले ही घटक दलों ने अपनी अपनी दावेदारी की पेशकश शुरू कर दी है। बिहार की 40 लोकसभा सीटों के लिए कांग्रेस, जेडीयू, आरजेडी में खींचतान जारी है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के घर पहुंचकर डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने इस पर बैठक भी की। इस बीच जेडीयू ने स्पष्ट कर दिया है कि 16 लोकसभा सीटों पर पार्टी कोई समझौता नहीं करेगी। इस पर जनता दल यूनाइटेड के दो बड़े नेता संजय झा और केसी त्यागी के बयान सामने आए है। इन्होंने पार्टी की दावेदारी का आधार भी बता दिया है। लेकिन यह फार्मूला लालू यादव की पार्टी आरजेडी और कांग्रेस समेत अन्य घटक दलों के लिए परेशानी का सबब बन सकता है।
नीतीश कुमार के चहेते मंत्री और जेडीयू के कद्दावर नेता संजय कुमार झा ने शुक्रवार को कहा कि लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी कम से कम 16 सीटों पर अपने उम्मीवार उतारेगी। पटना में पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि जिन सीटों पर वर्तमान में जेडीयू के सांसद हैं वहां कोई समझौता नहीं किया जाएगा। इसमें किसी को कोई कन्फ्यूजन नहीं होना चाहिए। जो सीटिंग सीट है वो रहेगी। उन्होंने कहा कि जहां से हमारे नेता सांसद हैं वहां हमारी स्थिति स्वाभाविक रूप से बेहतर है। हमारी पार्टी के उम्मीदवार ही एनडीए के कैंडिडेट को सही जवाब दे सकते हैं। उन क्षेत्रों में इंडिया गठबंधन के साथी दल सही तरीके से सहयोग दें। हमारी जीत सुनिश्चित होगी और हमारा अलांयस भी मजबूत होगा।
नीतीश कुमार के संयोजक बनने के सवाल पर मंत्री ने कहा कि उन्होंने कभी ऐसा नहीं कहा कि उन्हें इंडिया गठबंधन में कोई पद दिया जाए। बल्कि वे तो इसके क्रिएटर हैं। सभी विपक्षी दलों को अपने प्रयास से एक मंच पर लाने में उनकी सबसे बड़ी भूमिका है यह सभी लोग जानते हैं। वे इस गठबंधन के आर्किटेक्ट हैं। अलायंस की पहली बैठक भी यहीं पटना में ही हुई। लेकिन तब भी उन्होंने कोई इच्छा जाहिर नहीं किया।
इससे पहले जदयू के मुख्य राष्ट्रीय प्रवक्ता केसी त्यागी ने भी दिल्ली में ऐसा ही बयान दिया। वह शुक्रवार को मीडिया से बात कर रहे थे। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इंडिया गठबंधन के निर्माता हैं। उनका दर्जा गठबंधन के संयोजक पद से कहीं ऊपर वह हैं। उन्होंने यह भी कहा कि लोकसभा चुनाव को लेकर सीट बंटवारे पर आम सहमति बन रही है। इस पर भी सहमति बनी है कि अपनी सीटिंग सीट पर वही पार्टी चुनाव लड़ेगी जो जहां है।
बताते चलें कि वर्तमान में जेडीयू के 16 सांसद हैं। भागलपुर, वाल्मीकि नगर,जहानाबाद, सुपौल, मधेपुरा, गोपालंग, कटिहार, बांका, नालंदा, सीवान, काराकाट, मुंगेर, झंझारपुर, पूर्णिया, सीतामढ़ी और गया लोकसभा सीट जेडीयू के पास है। संजय झा और केसी त्यागी ने साफ कर दिया है कि इन सीटों पर जेडीयू के उम्मीदवार ही चुनाव लड़ेंगे। उधर, कांग्रेस को एकमात्र किशनगंज सीट पर जीत मिली थी, जहां से मोहम्मद जावेद सांसद हैं। लोकसभा में आरजेडी का एक भी सदस्य नहीं है। ऐसे में सीटिंग गेटिंग फार्मूला से बिहार की 40 सीटों में 17 की स्थिति साफ हो गई तो शेष बची 23 सीटों में कांग्रेस, राजद और लेफ्ट के बीच बंटवारा होगा जो लालू और कांग्रेस दोनों के लिए किसी झटके से कम नहीं है।
अब 2019 के लोकसभा चुनाव में इंडिया के घटक दलों की स्थिति को समझते हैं। जेडीयू ने जिन 16 सीटों पर जीत दर्ज की थी उनमें 8 पर नीतीश की पार्टी ने आरजेडी को हराया था और 5 सीट पर कांग्रेस को मात दी थी। कुल 13 सीटों पर नीतीश ने लालू और कांग्रेस को हराया। किशनगंज की सीट पर कांग्रेस ने जेडीयू को हराकर जीत दर्ज की। अब कांग्रेस और आरजेडी उनमें से कुछ सीटें चाहती हैं जहां वे हार गए। दोनों के कैंडिडेट भी वहां हैं। जेडीयू के नेता संजय झा के बयान से साफ हो गया है कि जिन 16 सीट पर उनके सांसद हैं, वो सीटें पार्टी नहीं छोड़ेगी। जदयू की 16 सीटों पर जीतन राम मांझी की पार्टी हम और उपेंद्र कुशवाहा की रालोसपा दूसरे नंबर पर थीं। अब दोनों एनडीए में चले गए हैं तो कोई संकट नहीं है। लेकिन अन्य सीटों पर कांग्रेस और आरजेडी से जेडीयू की खींतचातन हो सकती है।
कहा जा रहा है कि लालू प्रसाद यादव की पार्टी आरजेडी, जेडीयू के बराबर सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है। जेडीयू अगर 16 सीटों पर चुनाव लड़ती है तो आरजेडी भी 16 पर अपने प्रत्याशी उतारना चाहती है। दोनों पार्टियां मिलकर अगर 8 सीटों पर चुनाव लडे़ंगी तोे कांग्रेस एवं तीनों लेफ्ट पार्टियों के खाते में महज 8 सीटें आएंगी। दूसरी ओर, कांग्रेस ने पहले से 10-12 सीटों पर अपना दावा पेश कर दिया है। लेफ्ट पार्टियां भी 10 से ज्यादा लोकसभा पर अपने प्रत्याशी उतारना चाहती हैं। ऐसे में इंडिया गठबंधन में सीट बंटवारा काफी चुनौती भरा हो सकता है।
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लोकसभा चुनाव 2024 के लिए इंडिया गठबंधन में सीट शेयरिंग पर बहस शुरू हो गई है। एक सर्वमान्य फार्मूला तय होने के पहले ही घटक दलों ने अपनी अपनी दावेदारी की पेशकश शुरू कर दी है। बिहार की 40 लोकसभा सीटों के लिए कांग्रेस, जेडीयू, आरजेडी में खींचतान जारी है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के घर पहुंचकर डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने इस पर बैठक भी की। इस बीच जेडीयू ने स्पष्ट कर दिया है कि 16 लोकसभा सीटों पर पार्टी कोई समझौता नहीं करेगी। इस पर जनता दल यूनाइटेड के दो बड़े नेता संजय झा और केसी त्यागी के बयान सामने आए है। इन्होंने पार्टी की दावेदारी का आधार भी बता दिया है। लेकिन यह फार्मूला लालू यादव की पार्टी आरजेडी और कांग्रेस समेत अन्य घटक दलों के लिए परेशानी का सबब बन सकता है।
नीतीश कुमार के चहेते मंत्री और जेडीयू के कद्दावर नेता संजय कुमार झा ने शुक्रवार को कहा कि लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी कम से कम 16 सीटों पर अपने उम्मीवार उतारेगी। पटना में पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि जिन सीटों पर वर्तमान में जेडीयू के सांसद हैं वहां कोई समझौता नहीं किया जाएगा। इसमें किसी को कोई कन्फ्यूजन नहीं होना चाहिए। जो सीटिंग सीट है वो रहेगी। उन्होंने कहा कि जहां से हमारे नेता सांसद हैं वहां हमारी स्थिति स्वाभाविक रूप से बेहतर है। हमारी पार्टी के उम्मीदवार ही एनडीए के कैंडिडेट को सही जवाब दे सकते हैं। उन क्षेत्रों में इंडिया गठबंधन के साथी दल सही तरीके से सहयोग दें। हमारी जीत सुनिश्चित होगी और हमारा अलांयस भी मजबूत होगा।
नीतीश कुमार के संयोजक बनने के सवाल पर मंत्री ने कहा कि उन्होंने कभी ऐसा नहीं कहा कि उन्हें इंडिया गठबंधन में कोई पद दिया जाए। बल्कि वे तो इसके क्रिएटर हैं। सभी विपक्षी दलों को अपने प्रयास से एक मंच पर लाने में उनकी सबसे बड़ी भूमिका है यह सभी लोग जानते हैं। वे इस गठबंधन के आर्किटेक्ट हैं। अलायंस की पहली बैठक भी यहीं पटना में ही हुई। लेकिन तब भी उन्होंने कोई इच्छा जाहिर नहीं किया।
इससे पहले जदयू के मुख्य राष्ट्रीय प्रवक्ता केसी त्यागी ने भी दिल्ली में ऐसा ही बयान दिया। वह शुक्रवार को मीडिया से बात कर रहे थे। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इंडिया गठबंधन के निर्माता हैं। उनका दर्जा गठबंधन के संयोजक पद से कहीं ऊपर वह हैं। उन्होंने यह भी कहा कि लोकसभा चुनाव को लेकर सीट बंटवारे पर आम सहमति बन रही है। इस पर भी सहमति बनी है कि अपनी सीटिंग सीट पर वही पार्टी चुनाव लड़ेगी जो जहां है।
बताते चलें कि वर्तमान में जेडीयू के 16 सांसद हैं। भागलपुर, वाल्मीकि नगर,जहानाबाद, सुपौल, मधेपुरा, गोपालंग, कटिहार, बांका, नालंदा, सीवान, काराकाट, मुंगेर, झंझारपुर, पूर्णिया, सीतामढ़ी और गया लोकसभा सीट जेडीयू के पास है। संजय झा और केसी त्यागी ने साफ कर दिया है कि इन सीटों पर जेडीयू के उम्मीदवार ही चुनाव लड़ेंगे। उधर, कांग्रेस को एकमात्र किशनगंज सीट पर जीत मिली थी, जहां से मोहम्मद जावेद सांसद हैं। लोकसभा में आरजेडी का एक भी सदस्य नहीं है। ऐसे में सीटिंग गेटिंग फार्मूला से बिहार की 40 सीटों में 17 की स्थिति साफ हो गई तो शेष बची 23 सीटों में कांग्रेस, राजद और लेफ्ट के बीच बंटवारा होगा जो लालू और कांग्रेस दोनों के लिए किसी झटके से कम नहीं है।
अब 2019 के लोकसभा चुनाव में इंडिया के घटक दलों की स्थिति को समझते हैं। जेडीयू ने जिन 16 सीटों पर जीत दर्ज की थी उनमें 8 पर नीतीश की पार्टी ने आरजेडी को हराया था और 5 सीट पर कांग्रेस को मात दी थी। कुल 13 सीटों पर नीतीश ने लालू और कांग्रेस को हराया। किशनगंज की सीट पर कांग्रेस ने जेडीयू को हराकर जीत दर्ज की। अब कांग्रेस और आरजेडी उनमें से कुछ सीटें चाहती हैं जहां वे हार गए। दोनों के कैंडिडेट भी वहां हैं। जेडीयू के नेता संजय झा के बयान से साफ हो गया है कि जिन 16 सीट पर उनके सांसद हैं, वो सीटें पार्टी नहीं छोड़ेगी। जदयू की 16 सीटों पर जीतन राम मांझी की पार्टी हम और उपेंद्र कुशवाहा की रालोसपा दूसरे नंबर पर थीं। अब दोनों एनडीए में चले गए हैं तो कोई संकट नहीं है। लेकिन अन्य सीटों पर कांग्रेस और आरजेडी से जेडीयू की खींतचातन हो सकती है।
कहा जा रहा है कि लालू प्रसाद यादव की पार्टी आरजेडी, जेडीयू के बराबर सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है। जेडीयू अगर 16 सीटों पर चुनाव लड़ती है तो आरजेडी भी 16 पर अपने प्रत्याशी उतारना चाहती है। दोनों पार्टियां मिलकर अगर 8 सीटों पर चुनाव लडे़ंगी तोे कांग्रेस एवं तीनों लेफ्ट पार्टियों के खाते में महज 8 सीटें आएंगी। दूसरी ओर, कांग्रेस ने पहले से 10-12 सीटों पर अपना दावा पेश कर दिया है। लेफ्ट पार्टियां भी 10 से ज्यादा लोकसभा पर अपने प्रत्याशी उतारना चाहती हैं। ऐसे में इंडिया गठबंधन में सीट बंटवारा काफी चुनौती भरा हो सकता है।