ललन सिंह साइड, संजय झा का कद बढ़ा, नीतीश ने लोकसभा चुनाव के लिए बड़ी जिम्मेदारी सौंपी

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ललन सिंह साइड, संजय झा का कद बढ़ा, नीतीश ने लोकसभा चुनाव के लिए बड़ी जिम्मेदारी सौंपी

ललन सिंह साइड, संजय झा का कद बढ़ा, नीतीश ने लोकसभा चुनाव के लिए बड़ी जिम्मेदारी सौंपी

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बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपनी पार्टी जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) में दूसरी पीढ़ी के नेताओं को आगे बढ़ाने में लग गए हैं। नीतीश खुद और उनकी पार्टी की टॉप लीडरशिप में गिने जाने वाले बिजेंद्र प्रसाद यादव, रामनाथ ठाकुर 70 पार कर चुके हैं। ललन सिंह और विजय चौधरी जैसे नेता भी 65 प्लस हैं। ऐसे में नीतीश ने पार्टी के अंदर बीजेपी से आए संजय कुमार झा और कांग्रेस से आए अशोक चौधरी को आगे बढ़ाना शुरू किया है जो आगे चलकर पार्टी को संभाल सकें। दोनों 56-57 साल के हैं और भारतीय नेताओं की उम्र के लिहाज से युवा हैं। मुंगेर लोकसभा से चुनाव लड़ने के लिए जेडीयू के राष्ट्रीय पद से इस्तीफा देकर ललन सिंह खुद साइड हो गए हैं।

ऐसे में राष्ट्रीय राजनीति में जेडीयू के हितों की रक्षा के लिए नीतीश ने संजय कुमार झा को आगे बढ़ाया है जिन्हें वो अपनी सरकार में लगातार तीसरी बार मंत्री बना चुके हैं। इंडिया गठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर कांग्रेस से चल रही बातचीत में जेडीयू से संजय झा ही नीतीश के दूत हैं। नीतीश ने संजय झा को यह बड़ी चुनावी जिम्मेदारी सौंपी है कि वो सीट बंटवारा में जेडीयू की सीट बचाकर ले आएं। संजय झा दिल्ली की राजनीतिक गलियों को बखूबी जानते हैं। अरुण जेटली के जमाने से बीजेपी और जेडीयू के बीच सेतु का काम कर रहे संजय झा की जेडीयू में एंट्री भी जेटली के कहने पर नीतीश ने कराई थी। तब से वो नीतीश के सबसे भरोसेमंद सहयोगी के तौर पर उभरे हैं। जब भी नीतीश के मन बदलने की चर्चा होती है तो चर्चा संजय झा की होती है क्योंकि ऐसा कोई भी परिवर्तन हुआ तो उसके सूत्रधार वही होंगे। 

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संजय झा गठबंधन में कड़ी सौदेबाजी कर रहे हैं। जेडीयू बिहार की 40 लोकसभा सीटों में 16 सीटों पर चर्चा को भी तैयार नहीं है जहां इस समय उसके सांसद हैं। ये सब 2019 में एनडीए के बैनर तले जीते थे। जेडीयू के कड़े स्टैंड से आरजेडी और कांग्रेस का गेम खराब हो रखा है। आरजेडी जेडीयू से कम सीट लड़ने को तैयार नहीं है। बची 24 सीट में कांग्रेस, आरजेडी, सीपीआई-माले, सीपीआई और सीपीएम के दावे हैं। कांग्रेस मांग 10 सीट रही है लेकिन 6-7 से कम पर तैयार नहीं है। 12 विधायकों वाली सीपीआई-एमएल को भी कम से कम दो सीट चाहिए। सीपीआई-सीपीएम में कम से कम एक सीट लगेगी और वो सीट सीपीआई को मिल सकती है।

चार पार्टियों को कम से कम 10 सीट चाहिए। ये तभी हो सकता है जब जेडीयू और आरजेडी 15-15 सीट पर आने को तैयार हो। 16 सिटिंग सीटें नहीं छोड़ने का जेडीयू का टफ स्टैंड कांग्रेस और आरजेडी को संदेश है कि सीट बंटवारा में जेडीयू से बात करने की कोई जरूरत नहीं है। 24 सीटें बची हैं जिसमें आप लोग आपस में देख लो। संजय झा कांग्रेस नेताओं से लगातार बात कर रहे हैं लेकिन कांग्रेस जेडीयू के फॉर्मूले पर राजी नहीं है। जेडीयू कांग्रेस की डिमांड को नहीं मान रही है। नीतीश की कथित नाराजगी के बाद से ही असमंजस में चल रही आरजेडी की कोशिश है कि किसी भी तरह जेडीयू इधर-उधर ना हो जाए।

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कांग्रेस से सीट बंटवारा पर जेडीयू और आरजेडी की पहले दौर की बातचीत हो चुकी है। वार्ता में शामिल रहे दोनों तरफ के नेता एक-दूसरे का गणित सुनकर अपने-अपने नेतृत्व के पास लौटे हैं। बिहार का सीट बंटवारा आसानी से सुलझने वाला नहीं है क्योंकि महागठबंधन में छह पार्टियां हैं। गठबंधन बनने के शुरुआती दौर में लोकसभा चुनाव में कुछ सीटों का नुकसान उठाकर भी विपक्षी दलों को एकजुट करने का दावा करने वाले नेताओं की कथनी और करनी की परीक्षा शुरू है। सबकी नजर इस बात पर है कि राहुल गांधी की यात्रा से पहले सीट बंट जाएगी या कांग्रेस यात्रा और बातचीत दोनों करती रहेगी।

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