लखनऊ में हुनर-ए-अवध 2025 का रंगारंग आयोजन: शास्त्रीय संगीत से लेकर वेस्टर्न डांस तक, कलाकारों ने बिखेरी प्रतिभा की चमक – Lucknow News h3>
लखनऊ1 घंटे पहले
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रविवार की संध्या को लखनऊ स्थित गोमती नगर के अंतरराष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान में आयोजित ‘हुनर-ए-अवध 2025’ कार्यक्रम ने सांस्कृतिक मंच पर ऐसी छाप छोड़ी, जो लंबे समय तक दर्शकों के हृदय में बसी रहेगी। वृंदाश्री एकेडमी ऑफ डांस एंड म्यूज़िक द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में नृत्य, संगीत और रंगों का ऐसा समागम देखने को मिला कि हर प्रस्तुति पर देर तक तालियों की गूंज सुनाई देती रही।
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कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन और तानपुरा वादन के साथ हुआ। इसके बाद “शिव वंदना” और “ठुमक चलत रामचंद्र” की सामूहिक नृत्य प्रस्तुति ने शास्त्रीय संगीत की माहौल दिया। सुदीक्षा, अनायरा, शिवी, समृद्धि, अनैशा, दिशा, ख्याति, विशाल और अन्य कलाकारों की प्रस्तुति ने शुरुआत से ही दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
मुख्य अतिथि डॉ. अक्षय सिंह और विशिष्ट अतिथि न्यायमूर्ति महेन्द्र दयाल सहित अन्य गणमान्य अतिथियों का स्वागत अकादमी की निदेशिका श्रीमती प्रिया श्रीवास्तव द्वारा पुष्पगुच्छ एवं स्मृति-चिन्ह भेंट कर किया गया।
कथक युगल प्रस्तुति में शास्त्रीय संगीत के खूबियां झलक
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कार्यक्रम का संचालन प्रसिद्ध एंकर स्मिता मिश्रा ने अपनी गरिमामयी आवाज़ में किया। स्वाति और अभिषेक के युगल गायन “जाने कहाँ मेरा जिगर गया जी” ने श्रोताओं को पुराने दौर की यादों में पहुंचा दिया। वहीं, आशी, अधीरा, यशस्वी, शिवाय और अन्य बच्चों के समूह नृत्य ने मंच पर ऊर्जा और उत्साह भर दिया। आद्या और दिव्या की कथक युगल प्रस्तुति ने शास्त्रीयता की गहराई को दिखाया।
कलाकारों की आधुनिक नृत्य दर्शकों का मोहा मन
लखीमपुर से आए कलाकारों द्वारा प्रस्तुत लोकनृत्य और “मैं दीवाना” जैसे गीतों पर आधारित नृत्य ने विविधता में एकता का सुंदर उदाहरण प्रस्तुत किया। साथ ही, आरुष दुबे और शुभांग मिश्रा की वादन प्रस्तुतियां बच्चों की संगीत के प्रति निष्ठा और समर्पण को दर्शाती रहीं।
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कार्यक्रम का समापन वेस्टर्न डांस ग्रुप की दमदार प्रस्तुति से हुआ, जिसमें अमन, पलक, दिव्या और अन्य कलाकारों ने आधुनिक नृत्य की नई ऊंचाइयां को छुआ। पुरस्कार वितरण के साथ ही ‘हुनर-ए-अवध 2025’ का समापन हुआ, जो केवल एक सांस्कृतिक कार्यक्रम नहीं बल्कि अवध की प्रतिभा, परंपरा और संस्कृति का जीवंत उत्सव बनकर सामने आया।
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रविवार की संध्या को लखनऊ स्थित गोमती नगर के अंतरराष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान में आयोजित ‘हुनर-ए-अवध 2025’ कार्यक्रम ने सांस्कृतिक मंच पर ऐसी छाप छोड़ी, जो लंबे समय तक दर्शकों के हृदय में बसी रहेगी। वृंदाश्री एकेडमी ऑफ डांस एंड म्यूज़िक द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में नृत्य, संगीत और रंगों का ऐसा समागम देखने को मिला कि हर प्रस्तुति पर देर तक तालियों की गूंज सुनाई देती रही।
कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन और तानपुरा वादन के साथ हुआ। इसके बाद “शिव वंदना” और “ठुमक चलत रामचंद्र” की सामूहिक नृत्य प्रस्तुति ने शास्त्रीय संगीत की माहौल दिया। सुदीक्षा, अनायरा, शिवी, समृद्धि, अनैशा, दिशा, ख्याति, विशाल और अन्य कलाकारों की प्रस्तुति ने शुरुआत से ही दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
मुख्य अतिथि डॉ. अक्षय सिंह और विशिष्ट अतिथि न्यायमूर्ति महेन्द्र दयाल सहित अन्य गणमान्य अतिथियों का स्वागत अकादमी की निदेशिका श्रीमती प्रिया श्रीवास्तव द्वारा पुष्पगुच्छ एवं स्मृति-चिन्ह भेंट कर किया गया।
कथक युगल प्रस्तुति में शास्त्रीय संगीत के खूबियां झलक
कार्यक्रम का संचालन प्रसिद्ध एंकर स्मिता मिश्रा ने अपनी गरिमामयी आवाज़ में किया। स्वाति और अभिषेक के युगल गायन “जाने कहाँ मेरा जिगर गया जी” ने श्रोताओं को पुराने दौर की यादों में पहुंचा दिया। वहीं, आशी, अधीरा, यशस्वी, शिवाय और अन्य बच्चों के समूह नृत्य ने मंच पर ऊर्जा और उत्साह भर दिया। आद्या और दिव्या की कथक युगल प्रस्तुति ने शास्त्रीयता की गहराई को दिखाया।
कलाकारों की आधुनिक नृत्य दर्शकों का मोहा मन
लखीमपुर से आए कलाकारों द्वारा प्रस्तुत लोकनृत्य और “मैं दीवाना” जैसे गीतों पर आधारित नृत्य ने विविधता में एकता का सुंदर उदाहरण प्रस्तुत किया। साथ ही, आरुष दुबे और शुभांग मिश्रा की वादन प्रस्तुतियां बच्चों की संगीत के प्रति निष्ठा और समर्पण को दर्शाती रहीं।
कार्यक्रम का समापन वेस्टर्न डांस ग्रुप की दमदार प्रस्तुति से हुआ, जिसमें अमन, पलक, दिव्या और अन्य कलाकारों ने आधुनिक नृत्य की नई ऊंचाइयां को छुआ। पुरस्कार वितरण के साथ ही ‘हुनर-ए-अवध 2025’ का समापन हुआ, जो केवल एक सांस्कृतिक कार्यक्रम नहीं बल्कि अवध की प्रतिभा, परंपरा और संस्कृति का जीवंत उत्सव बनकर सामने आया।