रोजगार की गारंटी अधूरी: 2024-25 में प्रदेश के 99% परिवारों को नहीं मिला 100 दिन काम; भिंड, निवाड़ी और इंदौर सबसे पीछे – Ujjain News

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रोजगार की गारंटी अधूरी:  2024-25 में प्रदेश के 99% परिवारों को नहीं मिला 100 दिन काम; भिंड, निवाड़ी और इंदौर सबसे पीछे – Ujjain News
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रोजगार की गारंटी अधूरी: 2024-25 में प्रदेश के 99% परिवारों को नहीं मिला 100 दिन काम; भिंड, निवाड़ी और इंदौर सबसे पीछे – Ujjain News

साल में कम से कम 100 दिन रोजगार की गारंटी देने वाली योजना मनरेगा में रजिस्टर्ड प्रदेश के 99% परिवारों को इसका पूरा लाभ नहीं मिल पाया है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2024-25 में प्रदेश में 93.50 लाख परिवारों ने मनरेगा के तहत पंजीकरण कराया ।

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इनमें से महज 71,658 परिवार ऐसे हैं, जिन्हें 100 दिन या अधिक का रोजगार मिला। यानी महज 0.76% परिवारों को। बाकी 99% मजदूर परिवार ऐसे रहे, जिन्हें या तो बहुत कम दिन का काम मिला या फिर काम अधूरा छोड़ना पड़ा।

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कम रोजगार देने वाले जिलों में भिंड की स्थिति सबसे खराब है, यहां सिर्फ 1 मजदूर परिवार को 100 दिन का काम मिला है। वहीं निवाड़ी में सिर्फ 39 मजदूर परिवारों को 100 दिन का काम मिला है। महिला श्रमिकों की संख्या में बढ़ोतरी : प्रदेश में मनरेगा के तहत काम करने वाली महिला श्रमिकों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, और कुछ जिले इस मामले में सबसे आगे हैं। बालाघाट जिले में 252,527 महिला श्रमिकों के साथ यह संख्या सबसे ज्यादा है। वहीं मंडला में 203061, छिंदवाड़ा में 194853, सिवनी में 194608 और डिंडोरी जिले में 169086 महिला श्रमिक हैं, जो प्रदेश में सबसे ज्यादा है। इसी तरह मनरेगा के ताजे आंकड़ों से एक और चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। प्रदेश में 80 साल से अधिक उम्र वाले श्रमिकों की संख्या 11698 है।

इनमें सबसे अधिक राजगढ़ जिले में 1386 श्रमिक हैं। वहीं सबसे कम संख्या 11 भिंड जिले में हैं। बता दें कि मनरेगा में 80 साल से अधिक उम्र वाले 3099726 श्रमिकों ने पंजीयन करवाया है। इतना ही नहीं, प्रदेश में कुल 94.09 लाख जॉब कार्ड जारी किए गए हैं, जिनमें से 58.89 लाख सक्रिय हैं। इसका अर्थ है कि लगभग 35.2 लाख जॉब कार्ड निष्क्रिय हैं।

इनमें से 5 लाख से अधिक जॉब कार्ड ऐसे हैं, जिनमें पिछले दो वर्षों से किसी भी तरह की मजदूरी दर्ज नहीं हुई है। 2024-25 में प्रदेश की 1000 से अधिक ग्राम पंचायतों में शून्य कार्य दिवस दर्ज किए गए, यानी वहां न कोई योजना शुरू हुई , न ही किसी को रोजगार मिला। वहीं कई जिलों में मजदूरी का भुगतान औसतन 15-20 दिन की देरी से हो रहा है।

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