‘राजस्थान में महिला अत्याचारों सहित क्राइम के मामलों में आई कमी’, DGP उमेश मिश्रा ने पेश किए आंकड़े
जयपुर: भारतीय जनता पार्टी की ओर से लगातार आरोप लगाए जा रहे हैं कि राजस्थान में महिला अपराध सहित हर तरह का क्राइम बढ़ा है। उधर राज्य के पुलिस महानिदेशक उमेश मिश्रा 31 जुलाई 2023 तक के आंकड़े लेकर मीडिया से रूबरू हुए। मिश्रा ने 1 जनवरी से लेकर 31 अगस्त तक दर्ज हुए प्रकरणों की जानकारी दी और गत तीन वर्षों से तुलना भी की। उन्होंने कहा कि इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि राजस्थान में महिलाओं के साथ अत्याचारों सहित सभी तरह के अपराधों में कमी आई है। अनिवार्य एफआईआर दर्ज करने की नीति लागू होने के बाद आपराधिक प्रकरणों में महज 0.6 प्रतिशत की मामूली बढ़ोतरी हुई है।
31 जुलाई तक दर्ज कुल आपराधिक आंकड़ों को यहां देंखें
वर्ष 2021 में दर्ज प्रकरणों की संख्या 1,26,233
वर्ष 2022 में दर्ज प्रकरणों की संख्या 1,48,231
वर्ष 2023 में दर्ज प्रकरणों की संख्या 1,49,116
गत वर्ष 2022 की तुलना में इस साल कुल दर्ज प्रकरणों में महज 0.6 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि यह वृद्धि अनिवार्य एफआईआर नीति के कारण हुई है। लूट और नकबजनी की वारदातों में पिछले साल की तुलना में 0.15 और 0.13 प्रतिशत की मामूली वृद्धि हुई है। डकैती के प्रकरणों में 25 प्रतिशत की कमी आई है।
महिला अत्याचार के प्रकरण भी घटे, देखें आंकड़े
वर्ष 2021 में दर्ज प्रकरणों की संख्या 39,810
वर्ष 2022 में दर्ज प्रकरणों की संख्या 47,375
वर्ष 2023 में दर्ज प्रकरणों की संख्या 46,964
इन आंकड़ों से साफ जाहिर होता है कि गत वर्ष (2022) की तुलना में इस वर्ष (2023) दर्ज हुए महिला अत्याचार के प्रकरणों में 0.78 प्रतिशत की आंशिक कमी हुई है। दुष्कर्म के कुल प्रकरणों में भी गत वर्ष की तुलना में 1.49 प्रतिशत की कमी आई है। बालिग के साथ दुष्कर्म के मामलों में 3.90 प्रतिशत की कमी, दहेज मृत्यु के प्रकरणों में1.85 प्रतिशत की कमी, आत्महत्या के मामलों में 13.45 प्रतिशत की कमी, महिला उत्पीड़न (498-ए दहेज प्रताड़ना) के मामलों में 2.60 प्रतिशत की कमी और छेड़छाड़ के प्रकरणों में पिछले साल की तुलना में इस साल 1.81 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है।
आंकड़ों के जरिए विपक्ष को जवाब देगी कांग्रेस
विपक्ष के नेताओं की ओर से बार-बार आरोप लगाया जाता है कि प्रदेश में अपराध के आंकड़ों में बेहताशा बढ़ोतरी हुई है। दुष्कर्म में नम्बर वन, भ्रष्टाचार में नम्बर वन, महिलाओं और दलितों के साथ हो रहे अपराधों में भी राजस्थान को नंबर वन बताया जा रहा है। बीजेपी के इन आरोपों का जवाब देने के लिए सरकार की ओर से ये आंकड़े पेश करवाए गए हैं। पिछले दिनों मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ट्वीट करके बीजेपी शासित राज्यों में हो रहे अपराधों के आंकड़े पेश करके बताया था कि राजस्थान में अन्य राज्यों से काफी कम अपराध बढ़े हैं।
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31 जुलाई तक दर्ज कुल आपराधिक आंकड़ों को यहां देंखें
वर्ष 2021 में दर्ज प्रकरणों की संख्या 1,26,233वर्ष 2022 में दर्ज प्रकरणों की संख्या 1,48,231
वर्ष 2023 में दर्ज प्रकरणों की संख्या 1,49,116
गत वर्ष 2022 की तुलना में इस साल कुल दर्ज प्रकरणों में महज 0.6 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि यह वृद्धि अनिवार्य एफआईआर नीति के कारण हुई है। लूट और नकबजनी की वारदातों में पिछले साल की तुलना में 0.15 और 0.13 प्रतिशत की मामूली वृद्धि हुई है। डकैती के प्रकरणों में 25 प्रतिशत की कमी आई है।
महिला अत्याचार के प्रकरण भी घटे, देखें आंकड़े
वर्ष 2021 में दर्ज प्रकरणों की संख्या 39,810
वर्ष 2022 में दर्ज प्रकरणों की संख्या 47,375
वर्ष 2023 में दर्ज प्रकरणों की संख्या 46,964
इन आंकड़ों से साफ जाहिर होता है कि गत वर्ष (2022) की तुलना में इस वर्ष (2023) दर्ज हुए महिला अत्याचार के प्रकरणों में 0.78 प्रतिशत की आंशिक कमी हुई है। दुष्कर्म के कुल प्रकरणों में भी गत वर्ष की तुलना में 1.49 प्रतिशत की कमी आई है। बालिग के साथ दुष्कर्म के मामलों में 3.90 प्रतिशत की कमी, दहेज मृत्यु के प्रकरणों में1.85 प्रतिशत की कमी, आत्महत्या के मामलों में 13.45 प्रतिशत की कमी, महिला उत्पीड़न (498-ए दहेज प्रताड़ना) के मामलों में 2.60 प्रतिशत की कमी और छेड़छाड़ के प्रकरणों में पिछले साल की तुलना में इस साल 1.81 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है।
आंकड़ों के जरिए विपक्ष को जवाब देगी कांग्रेस
विपक्ष के नेताओं की ओर से बार-बार आरोप लगाया जाता है कि प्रदेश में अपराध के आंकड़ों में बेहताशा बढ़ोतरी हुई है। दुष्कर्म में नम्बर वन, भ्रष्टाचार में नम्बर वन, महिलाओं और दलितों के साथ हो रहे अपराधों में भी राजस्थान को नंबर वन बताया जा रहा है। बीजेपी के इन आरोपों का जवाब देने के लिए सरकार की ओर से ये आंकड़े पेश करवाए गए हैं। पिछले दिनों मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ट्वीट करके बीजेपी शासित राज्यों में हो रहे अपराधों के आंकड़े पेश करके बताया था कि राजस्थान में अन्य राज्यों से काफी कम अपराध बढ़े हैं।