राजस्थान में पहली बार कितनी सीट जीतकर CM बने थे गहलोत? जानिए

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राजस्थान में पहली बार कितनी सीट जीतकर CM बने थे गहलोत? जानिए

राजस्थान में पहली बार कितनी सीट जीतकर CM बने थे गहलोत? जानिए


जयपुर: राजस्‍थान के मुख्‍यमंत्री अशोक गहलोत ने राज्‍य में एक बार फिर कांग्रेस सरकार बनने का भरोसा जताया। सीएम गहलोत ने शुक्रवार को कहा कि इस बार वह ‘मिशन 156’ लेकर चल रहे हैं। राज्‍य में इस साल के आखिर में विधानसभा चुनाव होने हैं, लेकिन क्‍या कांग्रेस यहां लगातार दुबारा सरकार बना पाएगी?इस पर अशोक गहलोत ने कहा, ‘इस बार तो मिशन 156 (सीट) है। पहली बार जब मैं मुख्‍यमंत्री बना तो हम 156 सीट जीतकर आए थे। इस बार भी मैं मिशन-156 की बात कर रहा हूं।’ अपनी सरकार की लोककल्‍याणकारी योजनाओं और बजट की ओर इशारा करते हुए गहलोत ने विश्‍वास जताया कि मतदाता एक बार फिर कांग्रेस को मौका देंगे।
उन्‍होंने कहा कि हमने अपने अब तक के कार्यकाल में कोई नया टैक्स नहीं लगाया और महंगाई के जमाने में लोगों को राहत दे रहे हैं। पार्टी कार्यकर्ताओं से धैर्य रखने व मिलकर काम करने का आह्वान करते हुए गहलोत ने कहा, ‘आपको लगातार पार्टी का सहयोग मजबूती से करना है। मैं फिर कहना चाहूंगा कि हर पार्टी में छोटे-मोटे मतभेद होते हैं, हर पार्टी की कुछ शिकायतें भी होती हैं। हमें सब मालूम है।’ गहलोत ने कहा कि वह जिंदगी भर कांग्रेस संगठन में रहे हैं। उनसे ज्‍यादा संगठन के मर्म को कोई नहीं समझ सकता।

डॉक्टरों की हड़ताल पर गहलोत ने दिया बयान

स्वास्थ्य का अधिकार (आरटीएच) विधेयक के खिलाफ निजी अस्पतालों व चिकित्सकों की हड़ताल पर गहलोत ने कहा कि चिकित्‍सकों को अपनी हड़ताल समाप्‍त करनी चाह‍िए और उनकी सोच सही नहीं है। गहलोत ने कहा,‘मैं उनसे आग्रह करूंगा क‍ि आपका यह तरीका गलत है। लोगों में आक्रोश है, हम निजी अस्‍पतालों को सब तरह से समर्थन करना चाह रहे हैं। अगर प्रक्रिया में उनको कोई तकलीफ हो रही है तो उसे हम ठीक कर देंगे।’

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बीजेपी हिटलरशाही रवैया अपना रही: गोविंद सिंह डोटासरा

प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि सरकार ने सबसे ज्यादा मंत्री भरतपुर से बनाए हैं, क्योंकि एक सीट छोड़कर सभी सीटें कांग्रेस ने जीतीं हैं। जो बीजेपी की सीट हैं, उस पर भी खुद ही विधायक ने सवाल उठाये हैं, इसलिए कह सकते हैं कि ये भाजपा मुक्त संभाग है। देश में इस समय तानाशाही है। लोकतंत्र का मजाक बनाया जा रहा है। राहुल गांधी के खिलाफ जो फैसला सुनाया गया था, वह 186 पेज का फैसला था, वो भी गुजराती भाषा में, जिसे ट्रांसलेट करवाने में 4 से 5 दिन लग जाते, यह फैसला सिर्फ 24 घंटे में सुनाया गया। बीजेपी हिटलरशाही रवैया अपना रही है।

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