राजस्थान के अस्पतालों में इस फ्री जांच सुविधा पर लगा ब्रेक, यह है वजह | Free CT scan test stopped in government hospitals of Rajasthan | News 4 Social h3>
राज्य सरकार ने अप्रेल 2022 में इस योजना की घोषणा के साथ ही महंगी जांच सीटी स्कैन, एमआइआई और डायलिसिस को भी नि:शुल्क के दायरे में लिया था। इसका भुगतान मरीज से लेेने के बजाय संबंधित अस्पताल की ओर से सेवा प्रदाता को किया जाना था। सरकार की गाइडलाइन में यह भी कहा गया था कि इसके लिए अस्पतालों को बजट उपलब्ध करवाया जाएगा।
लेकिन, इसके बाद से ही भुगतान को लेकर सेवा प्रदाता और अस्पताल प्रभारियों में विवाद चल रहा था। दौसा जिला अस्पताल के पीएमओ डॉ. सुभाष बिलोनिया ने कहा कि भुगतान नहीं होने के कारण कंपनी के जरिए पीपीपी मोड पर चल रही सीटी स्कैन सेवा बाधित है। सेवा प्रदाता के अनुसार, सवाईमाधोपुर और बारां में भी भुगतान नहीं मिलने के कारण सेवा बाधित की जा रही है।
सवा साल तक बजट का प्रावधान ही नहीं
जानकारी के मुताबिक सीटी स्कैन जैसी महंगी जाचें नि:शुल्क शुरू करने के बाद करीब सवा साल तक तो राज्य सरकार ने इसके लिए बजट का प्रावधान ही नहीं किया।
सेवा प्रदाता से हुई बात
भुगतान विवाद के समाधान के लिए निजी सेवा प्रदाता से बात हुई है। जल्द ही भुगतान हो जाएगा।-डॉ. रवि प्रकाश माथुर, निदेशक जनस्वास्थ्य, चिकित्सा-स्वास्थ्य विभाग
2-3 हजार रुपए मांग रहे
सिर में दर्द होने के कारण जिला अस्पताल आए। यहां सीटी स्कैन की सुविधा बंद मिली। निजी वाले 2-3 हजार रुपए मांग रहे हैं। राजमल मीना, दौसा
कहां कितना बकाया
बारां : 51 लाख 86 हजार 346 रुपए
बूंदी : 44 लाख 94 हजार 254 रुपए
सवाईमाधोपुर : 38 लाख 55 हजार 965 रुपए
सिरोही : 17 लाख 27 हजार 626 रुपए
दौसा : 81 लाख 21 हजार 685 रुपए
टोंक : 63 लाख 31 हजार 738 रुपए
भीलवाड़ा : 36 लाख 25 हजार 137 रुपए
चित्तौडग़ढ़ : 5 लाख 64 हजार 784 रुपए
डूंगरपुर : 4 लाख 01 हजार 704 रुपए
जालोर : 12 लाख 98 हजार 256 रुपए
करौली : 1 लाख 61 हजार 403 रुपए
प्रतापगढ़ : 2 लाख 15 हजार 466 रुपए
राजसमंद : 37 लाख 02 हजार 820 रुपए
सोजत : 6 लाख 59 हजार 648 रुपए
उदयपुर : 4 लाख 15 हजार 105 रुपए
कुल : 4 करोड़ 08 लाख 26 हजार 321 रुपए
विभागीय लापरवाही….मरीजों पर पड़ रही भारी
चिकित्सा विभाग के अधिकारियों ने पिछले दिनों सरकारी अस्पतालों का निरीक्षण कर व्यवस्थाएं सुधारने का दावा किया था। इसके बाद भी अधिकारियों ने मरीजों से जुड़े इस विवाद के समाधान पर ध्यान नहीं दिया। अब कुछ जिलों में यह सुविधा बंद होने के बाद भी विभाग की ओर से एक्शन नहीं लिया गया है। पिछले एक महीने से सेवा प्रदाता और सरकार के बीच यह विवाद चल रहा है।
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राज्य सरकार ने अप्रेल 2022 में इस योजना की घोषणा के साथ ही महंगी जांच सीटी स्कैन, एमआइआई और डायलिसिस को भी नि:शुल्क के दायरे में लिया था। इसका भुगतान मरीज से लेेने के बजाय संबंधित अस्पताल की ओर से सेवा प्रदाता को किया जाना था। सरकार की गाइडलाइन में यह भी कहा गया था कि इसके लिए अस्पतालों को बजट उपलब्ध करवाया जाएगा।
लेकिन, इसके बाद से ही भुगतान को लेकर सेवा प्रदाता और अस्पताल प्रभारियों में विवाद चल रहा था। दौसा जिला अस्पताल के पीएमओ डॉ. सुभाष बिलोनिया ने कहा कि भुगतान नहीं होने के कारण कंपनी के जरिए पीपीपी मोड पर चल रही सीटी स्कैन सेवा बाधित है। सेवा प्रदाता के अनुसार, सवाईमाधोपुर और बारां में भी भुगतान नहीं मिलने के कारण सेवा बाधित की जा रही है।
सवा साल तक बजट का प्रावधान ही नहीं
जानकारी के मुताबिक सीटी स्कैन जैसी महंगी जाचें नि:शुल्क शुरू करने के बाद करीब सवा साल तक तो राज्य सरकार ने इसके लिए बजट का प्रावधान ही नहीं किया।
सेवा प्रदाता से हुई बात
भुगतान विवाद के समाधान के लिए निजी सेवा प्रदाता से बात हुई है। जल्द ही भुगतान हो जाएगा।-डॉ. रवि प्रकाश माथुर, निदेशक जनस्वास्थ्य, चिकित्सा-स्वास्थ्य विभाग
2-3 हजार रुपए मांग रहे
सिर में दर्द होने के कारण जिला अस्पताल आए। यहां सीटी स्कैन की सुविधा बंद मिली। निजी वाले 2-3 हजार रुपए मांग रहे हैं। राजमल मीना, दौसा
कहां कितना बकाया
बारां : 51 लाख 86 हजार 346 रुपए
बूंदी : 44 लाख 94 हजार 254 रुपए
सवाईमाधोपुर : 38 लाख 55 हजार 965 रुपए
सिरोही : 17 लाख 27 हजार 626 रुपए
दौसा : 81 लाख 21 हजार 685 रुपए
टोंक : 63 लाख 31 हजार 738 रुपए
भीलवाड़ा : 36 लाख 25 हजार 137 रुपए
चित्तौडग़ढ़ : 5 लाख 64 हजार 784 रुपए
डूंगरपुर : 4 लाख 01 हजार 704 रुपए
जालोर : 12 लाख 98 हजार 256 रुपए
करौली : 1 लाख 61 हजार 403 रुपए
प्रतापगढ़ : 2 लाख 15 हजार 466 रुपए
राजसमंद : 37 लाख 02 हजार 820 रुपए
सोजत : 6 लाख 59 हजार 648 रुपए
उदयपुर : 4 लाख 15 हजार 105 रुपए
कुल : 4 करोड़ 08 लाख 26 हजार 321 रुपए
विभागीय लापरवाही….मरीजों पर पड़ रही भारी
चिकित्सा विभाग के अधिकारियों ने पिछले दिनों सरकारी अस्पतालों का निरीक्षण कर व्यवस्थाएं सुधारने का दावा किया था। इसके बाद भी अधिकारियों ने मरीजों से जुड़े इस विवाद के समाधान पर ध्यान नहीं दिया। अब कुछ जिलों में यह सुविधा बंद होने के बाद भी विभाग की ओर से एक्शन नहीं लिया गया है। पिछले एक महीने से सेवा प्रदाता और सरकार के बीच यह विवाद चल रहा है।