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रश्मि बंसल का कॉलम: सपनों की साइकल पर सफर करें, सचमुच सफलता मिलेगी

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रश्मि बंसल का कॉलम:  सपनों की साइकल पर सफर करें, सचमुच सफलता मिलेगी

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रश्मि बंसल का कॉलम: सपनों की साइकल पर सफर करें, सचमुच सफलता मिलेगी

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8 घंटे पहले

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रश्मि बंसल, लेखिका और स्पीकर

सीबीएसई क्लास 12 के रिजल्ट निकल गए हैं। आगे क्या करना है बेटा, सब पूछ रहे हैं। कुछ बच्चों को आईआईटी वगैरह में एडमिशन मिल जाएगा, बाकी कहां जाएंगे? वो ऐसे कॉलेज में जाएंगे, जहां कोई खास पढ़ाई नहीं होती। जहां की डिग्री की कोई वैल्यू नहीं।

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वैसे एआई के जमाने में अब कुछ कहा नहीं जा सकता। किसी भी डिग्री की लाइफलॉन्ग वैल्यू शायद ही रहे। हाल ही में आईआईएम अहमदाबाद के एक विद्यार्थी ने चैटजीपीटी से अपना असाइनमेंट किया और उसे ए ग्रेड प्राप्त हुआ। बाद में उसने इस बात का खुलासा किया कि मैं तो बस देखना चाहता था कि नतीजा क्या होगा।

वैसे “चीटिंग’ तो जमाने भर से होती आ रही है। पहले लोग चिट पास करते थे, अब वो टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करते हैं। चीट करने वाले को बड़ा आनंद आता है कि देखो मैने एग्जामिनर को कैसे बुद्धू बनाया। मगर क्या यह करते-करते आप खुद बुद्धू नहीं रह गए?

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आलस इंसान का दुश्मन है। मगर ये भी सच है कि कॉलेज का सिलेबस काफी बोरिंग है और पुराना भी। दुनिया तेजी से आगे बढ़ रही है पर वही घिसी-पिटी चीजें सिखाई जा रही हैं। विद्यार्थी सोचता है- ये पढ़कर मुझे क्या फायदा? यूनिवर्सिटी के पास कोई जवाब नहीं।

आम आदमी श्योरिटी चाहता है कि फलां-फलां करके जिंदगी “सेट’ हो जाएगी। स्कूल-कॉलेज में यह मुमकिन है। लेकिन जीवन का एग्जाम इतना सीधा सरल नहीं। उसमें तो ज्यादातर सवाल “आउट ऑफ सिलेबस’ ही आते हैं। क्योंकि कल क्या होगा, किसी को पता नहीं।

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कहा जा रहा कि एआई की वजह से 2-4 साल के अंदर बहुत सारे जॉब्स गायब हो जाएंगे। चाहे प्रोग्रामर हो या कंसल्टेंट, वो जो काम कर रहे थे, अब मशीन करेगी। यहां तक कि ड्राइवर के बिना चलने वाली कारें भी अब आ रही हैं। उन हजारों-लाखों लोगों का क्या होगा, जिनकी रोजी-रोटी चली जाएगी?

आर्थिक विशेषज्ञों का कहना है एक दिन मशीन हमारे लिए काम करेंगी और हम आराम करेंगे। सरकार हर किसी को “निश्चित राशि’ देगी, जिससे आपको काम करने की जरूरत नहीं। आज समय कीमती है, पता नहीं चलता कहां गया। लेकिन अगर आपके पास अपार समय होता तो क्या करते?

उफ्फ, ये ख्याली पुलाव हैं। जो हो ही नहीं सकता, उसके सपने क्यों देखूं? यही तो समस्या है। आप वर्तमान के दलदल में ऐसे फंसे हो कि इससे बेहतर दुनिया आप मन में भी नहीं रचा सकते। सपने देखना आपका जन्मसिद्ध अधिकार है, हक से देखिए।

दुनिया में जितनी उन्नति हुई है, वो कभी एक सपना था, किसी के दिमाग में। आजाद होने का सपना, धनवान होने का सपना, कुछ कर दिखाने का सपना। चाहे सपने का आकार-प्रकार नहीं, पर उसमें शक्ति अपार है। लोग सड़क पर चल रहे हैं, सपना देखने वाले के पास साइकल है।

उस साइकल को चलाने के लिए जोर तो लगेगा, पसीना छूटेगा, थकान होगी। लेकिन सपना आपके मन के परदे पर आकर फिर जोश देगा। टायर पंक्चर होगा, एक्सीडेंट भी हो सकता है। जब ऐसा लगेगा कि आगे बढ़ना नामुमकिन, कोई अनजान आकर मदद करेगा।

गूगल पर सर्च कीजिए- “द हीरोज जर्नी’, जिसमें 12 पड़ाव आते हैं। चाहे महाभारत का किरदार हो या आज का जीता-जागता इंसान, यह फॉर्मूला उस पर लागू होता है जो सपना देखता है। जो कोई बड़ा चैलेंज स्वीकार करता है। जो अपने नसीब को ललकारता है।

तो अगर आपके नंबर कम आए, “अच्छे कॉलेज’ में एडमिशन नहीं मिला, कोई बात नहीं। आप सपना देखो कि मैं एकलव्य की तरह अर्जुन जितना होशियार बनूंगा। आज इंटरनेट द्रोणाचार्य से कम नहीं। सीखने की चाह जिसे हो, उसे संसार का समस्त ज्ञान मिल सकता है।

हां, दुनिया बदलेगी, उसे कोई रोक नहीं सकता। पर जीत उसकी होगी, जो समय के साथ बदलने को तैयार है। जो आउट ऑफ सिलेबस एग्जाम से नहीं डरता, जो अपने ही रास्ते पर है चलता। जिसने अपने अंदर आत्मविश्वास जगा लिया, उसने डिग्री से बेहतर कुछ पा लिया। सपनों की साइकल पर सफर कीजिए, आपको सचमुच सफलता मिलेगी। (ये लेखिका के अपने विचार हैं)

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