रणथंभौर में ‘कनकटी’ ने ही रेंजर को गर्दन दबोचकर मारा: 26 दिन पहले 7 साल के मासूम का भी किया था शिकार, बाघिन में इंसानों का डर खत्म – Rajasthan News

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रणथंभौर में ‘कनकटी’ ने ही रेंजर को गर्दन दबोचकर मारा:  26 दिन पहले 7 साल के मासूम का भी किया था शिकार, बाघिन में इंसानों का डर खत्म – Rajasthan News
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रणथंभौर में ‘कनकटी’ ने ही रेंजर को गर्दन दबोचकर मारा: 26 दिन पहले 7 साल के मासूम का भी किया था शिकार, बाघिन में इंसानों का डर खत्म – Rajasthan News

सवाई माधोपुर के रणथंभौर टाइगर रिजर्व में 26 दिन के अंदर टाइगर के हमले में 2 लोगों की मौत हो गई। दोनों पर हमला एक ही फीमेल शावक ‘कनकटी’ उर्फ ‘अन्वी’ ने किया।

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वन्यजीव विशेषज्ञों का कहना है कि ‘कनकटी’ का इंसानों से भय खत्म हो चुका है। फिलहाल रणथंभौर में एहतियात के तौर पर जोन नंबर 2 और 3 में पर्यटन बंद कर दिया है।

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इसी के साथ ही त्रिनेत्र गणेश मंदिर मार्ग को भी श्रद्धालुओं के लिए बंद कर दिया है। पिछले महीने 16 अप्रैल को रणथंभौर में कनकटी के हमले से 7 साल के कार्तिक सुमन की मौत हुई थी।

वह अपनी दादी के साथ त्रिनेत्र गणेश मंदिर आया था। इसके बाद कनकटी ने 11 मई को फिर हमला किया और इस बार रेंजर देवेंद्र चौधरी को अपना शिकार बनाया।

इसी को लेकर इस फीमेल शावक ‘अन्वी’ को रणथंभौर से बाहर शिफ्ट करने की मांग भी उठ रही है। इधर वनकर्मियों पर बाघ के हमलों की बात करे तो यहां 15 सालों में 7 वनकर्मियों पर बाघ के हमले की हुए है। जिनमें 3 वनकर्मियों की मौत हो चुकी है।

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सवाई माधोपुर के रणथंभौर टाइगर रिजर्व में त्रिनेत्र गणेश मंदिर मार्ग व इसके आस पास के क्षेत्र में 17 से 18 बाघ-बाघिन और शावकों का मूवमेंट बना हुआ है।

रेंजर इस तरह हुए हादसे का शिकार

  • सौ मीटर पहले बाइक से उतर गए थे : रविवार को रेंजर देवेन्द्र चौधरी दोपहर में जंगल के अंदर की तरफ गए थे। वन विभाग की चौकी से जुडे़ लोगों ने बताया कि वे जंगल के अंदर चौकी से दूसरे रास्ते से गए थे। वहां पर निरीक्षण के बाद वे वापस जोगी महल आए थे।
  • गार्ड को वापस भेजा: उन्हें अमित नामक फोरेस्ट गार्ड बाइक से छोड़ने के लिए आया था। जोगी महल से आगे विभाग की चौकी है। करीब सौ मीटर पहले ही देवेन्द्र बाइक से उतर गए और गार्ड को वापस भेज दिया। उन्होंने कहा कि वह वहां चल रहे निर्माण कार्य का निरीक्षण करते हुए जाएंगे।
  • झाड़ियों में छिपी टाइग्रेस ने किया हमला : इसके बाद वह पैदल चौकी की तरफ बढ़ने लगे। इसी दौरान झाड़ियों में छिपी टाइग्रेस ने उन पर हमला कर दिया। हमला इतना तेज था कि देवेन्द्र को शोर मचाने का या संभलने का कोई मौका नहीं मिला। टाइग्रेस उन्हें खींच कर झाड़ियों के अंदर ले जाने लगी।
  • 20 मिनट शव के ऊपर बैठी रही टाइग्रेस : इसी दौरान वहां से गुजर रहे एक फोरेस्ट गार्ड ने देख लिया। उसने शोर मचाया। शोर मचाते हुए वह चौकी की तरफ भागा। चौकी के बाहर स्टाफ था। उन्होंने शोर सुना तो तुरंत मौके पर दौडे़। टाइग्रेस करीब बीस मिनट तक शव के ऊपर बैठी रही थी। जैसे तैसे कर कर्मचारियों ने उसे दूर किया और बॉडी रिकवर की।

देवेंद्र चौधरी हाल ही में वनपाल से रेंजर बने थे। उन्हें पांच दिन पहले ही चार्ज मिला था।

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पोस्टमार्टम : गर्दन पर बाइट नहीं, दबोचने के निशान सवाई माधोपुर के पीएमओ तेज करन मीना ने बताया कि रेंजर की बॉडी करीब साढ़े तीन बजे मोर्चरी लाई गई थी। पोस्टमार्टम के बाद देर शाम को शव घरवालों को सुपुर्द कर दिया गया था।

रेंजर की गर्दन पर टाइगर के दांतों के निशान थे। ये बाइट के निशान नहीं थे, दबोचने के निशान थे। इसके अलावा पंजे से भी टाइगर ने हमला किया।

ऐसे में गर्दन दबोचने से ही रेंजर की मौत कारण सामने आ रहा है। टाइगर शिकार की गर्दन को दबोचकर हमला करता है, इसी से शिकार की मौत होती है।

क्या आदमखोर हो गई है शावक? एक के बाद एक दो हमलों की वजह से ये सवाल उठने लगे है कि क्या कनकटी आदमखोर होती जा रही है। इस सवाल के जवाब में वन्यजीव प्रेमी और एक्सपर्ट कृष्णेन्द्र सिंह नामा कहते हैं कि अभी ऐसा कुछ कहना भी जल्दबाजी होगा।

हां, ये कह सकते हैं कि टाइग्रेस आक्रामक हो गई है। बच्चे को मारने के बाद टाइग्रेस शावक उसकी बॉडी के पास बैठी रही। इस बार भी हमले के बाद शव के पास बैठी रही।

शरीर को खाया नहीं। इसके पीछे एक वजह यह भी होती है कि शिकार में टाइगर अपनी पूरी ताकत लगा देता है तो तुरंत वो उसे नहीं खाता बल्कि कुछ देर आराम करता है।

लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि शावक ने ऐसा किया तो वो आदमखोर है। अगर आदमखोर होती तो अपना शिकार नहीं छोड़ती।

घटना के बाद रणथंभौर अभ्यारण में एंट्री बंद कर दी गई है और मेन गेट पर ताला लगा दिया गया है।

आक्रामक होने का कारण : अपने एरिया में दूसरे की एंट्री बर्दाश्त नहीं शावक अन्वी उर्फ कनकटी टाइग्रेस टी 84 ऐरोहेड की बेटी है। दो साल की हो चुकी है। ऐसे में अब वो अपनी टेरेटरी बनाने की कोशिश कर रही है।

मंदिर के पास पीछे वाला एरिया उसकी मां की टेरेटरी है। वहां से निकल कर अन्वी अब गणेश मंदिर मार्ग और जोगी महल के पास साइटिंग कर रही है। इस इलाके में टाइग्रेस रिद्धि भी साइटिंग कर रही है। ऐसे में उसका टाइग्रेस सिद्धि से भी फाइट हो चुकी है।

रणथंभौर में कम हो रहा टाइगर्स का एरिया रणथंभौर में टाइगर्स की संख्या ज्यादा है। वहीं इनकी टेरेटरी कम हो रही है। जिसके चलते टाइगर्स में टेरेटरी को लेकर लड़ाई की नौबत भी है।

यहां मेल टाइगर की टेरेटरी के लिए करीब 50 स्क्वायर किलोमीटर और फीमेल टाइगर के लिए 25 से 30 स्क्वायर किलोमीटर था। अब ये दायरा सिमट रहा है।

मेल टाइगर 20 से 25 स्क्वायर किलोमीटर में सर्वाइव कर रहे हैं। इसी के चलते इनमें टेरेटरी फाइट होती है। इसके अलावा नए शावक जो टेरेटरी बना रही है।

वो नई जगह तलाशने या फिर पुरानी टाइगर्स की टेरेटरी में अपना एरिया बनाने की कोशिश में आमने सामने होते हैं। आक्रामक हो रहे हैं।

फीमेल शावक ‘कनकटी’ की 9 साल की मां बाघिन टी-84 ऐरोहेड अब तक 4 बार मां बनी है।

कॉरिडोर बने तो बंद हो इंसानों पर हमले टाइगर बिहेवियर को लेकर एक्सपर्ट कृष्णेन्द्र नामा कहते हैं कि इंसानों पर हमले बंद करने के लिए टाइगर्स को उनके अनुरूप एरिया मिलना जरूरी है ताकि वे घने जंगल, या अपनी टेरेटरी से बाहर न आए।

नए शावक आसानी से अपनी टेरेटरी बना सके। इसके लिए टाइगर कॉरिडोर डेवलप करना होगा। रणथंभौर, रामगढ़, मुकुंदरा, करौली होते हुए धौलपुर तक कॉरिडोर डवलप कर सकते हैं।

जहां टाइगर्स अपने हिसाब से अपनी टेरेटरी बना सके और इंसानों से दूर चलकदमी कर सके। लेकिन अभी कॉरिडोर को लेकर कोई काम ही नहीं हो रहा है। दूसरा तरीका शिफ्टिंग है, यहां से दूसरे अभ्यारण में टाइगर्स को शिफ्ट करें।

काफी आक्रामक है शावक, एनक्लोजर में रखने की जरूरत टाइगर एक्सपर्ट धर्मेंद्र खांडल ने बताया कि टी-84 के तीन शावक हैं। जिसमें दोनों शावक एक अन्वी ओर एक मेल शावक 24 माह के हो चुके हैं। इनमें अन्वी यानी कनकटी काफी आक्रामक है।

पहले वो एरिया के लिए दूसरे टाइगर्स से लड़ाई कर रही थी। अब घात लगाकर इंसानों पर हमला कर रही है। अब अन्वी को जेल में डालना यानी एनक्लोजर में रखना जरूरी हो गया है।

टी-84 के बीमार रहने और शिकार न कर पाने की वजह से यहां का स्टाफ ही उसके ओर शावकों के खाने का इंतजाम करता था। ऐसे में शावकों ने शुरू से वनकर्मियों को नजदीक देखा है।

ऐसे में इनमें इंसानों का डर तो वैसे भी नहीं है। अगर इसे एनक्लोजर में शिफ्ट नहीं किया जाएगा तो हमले होते रहने की संभावना बनी रहेगी।

टाइगर के हमले से रेंजर की मौत की घटना की सूचना के बाद कृषि मंत्री डॉ. किरोड़ीलाल मीणा सवाई माधोपुर जिला अस्पताल पहुंचे, जहां घटना की जानकारी देते हुए वनरक्षक अमित रो पड़े, जिन्हें मंत्री ने ढांढस बंधाया।

मंत्री किरोड़ी बोले- बाघों के व्यवहार में बदलाव आ रहा इधर घटना की सूचना पर कृषि मंत्री और सवाई माधोपुर विधायक डॉ. किरोड़ीलाल मीणा रविवार 11 मई की शाम को सवाई माधोपुर जिला अस्पताल पहुंचे और घटना की जानकारी ली।

इस दौरान कृषि मंत्री ने कहा कि वन विभाग को घटना की गंभीरता से जांच करनी होगी। क्या कोई आदमखोर बाघ है जो जगह-जगह ऐसी घटना को अंजाम दे रहा है।

या फिर कोई और कारण है, जिससे बाघों के व्यवहार में बदलाव आ रहा है। यह दुखद घटना है। सीएम व वनमंत्री से बात कर मृतक के परिवार को आर्थिक पैकेज दिलाएंगे। इस सम्बन्ध में डीएफओ से बात की है।

फिलहाल रणथंभौर के जोन नंबर 2 व 3 को पर्यटकों के लिए बंद कर दिया गया है।

फीमेल शावक को किया चिह्नित मामले को लेकर रणथंभौर के फील्ड डायरेक्टर अनूप के आर का कहना रणथंभौर में वनकर्मियों की जान को खतरा तो हमेशा बना रहता है, लेकिन हमलावर फीमेल शावक को चिह्नित कर लिया गया है। इस बारे में उच्चाधिकारियों को अवगत करवा दिया गया है।

जल्द ही सरकार और विभाग के स्तर पर कोई ठोस निर्णय लिया जाएगा। फिलहाल एहतियात के तौर पर रणथंभौर के जोन नंबर 2 व 3 को पर्यटकों के लिए बंद कर दिया गया है। जोन 2 और 3 के पर्यटकों को जोन नंबर 1 व 4 में शिफ्ट कर दिया गया, जिससे कोई अनहोनी नहीं हो।

रेंजर की मौत की घटना के बाद रणथंभौर का त्रिनेत्र गणेश मंदिर बंद कर दिया गया, जिसके बाद सोमवार 12 मई को गणेश धाम गेट पर ही लोग पूजा करते दिखे।

15 साल में 7 वनकर्मियों पर हुआ हमला वनकर्मियों पर बाघ के हमलों की बात करे तो यहां 15 सालों में 7 वनकर्मियों पर बाघ के हमले की हुए है। जिनमे 3 वनकर्मियों की मौत हो चुकी है। पहला हमला अगस्त 2005 में ACF दौलत सिंह पर हमला हुआ था। अक्टूबर 2012 में दूसरा हमला वनपाल सुदर्शन शर्मा के साथ ट्रेकिंग कर रहे सहायक वनपाल घीसू सिंह पर हुआ, जिसमें उनकी मौत हो गई।

मई 2015 में तीसरा हमला वृक्षपाल रामपाल सैनी पर ट्रेकिंग करते समय हुआ, उनकी भी मौत हो गई। चौथा हमला नवंबर 2021 में वनपाल विजय मेघवाल पर सुल्तानपुर वन क्षेत्र में हमला हुआ, लेकिन वनकर्मी ने अपनी सूझबूझ से जान बचाई। पांचवां हमला फरवरी 2023 में बार्डर होमगार्ड मामराज पर हमला हुआ था, जिसमें वह घायल हुए थे। छठा हमला 1 अप्रैल 2025 को वॉलिंटियर रामलाल मीणा पर हमला हुआ, जिसमें रामलाल घायल हुए। सातवां हमला 11 मई 2025 को रेंजर देवेंद्र चौधरी पर हुआ, जिसमें उनकी मौत हो गई।

RTR फर्स्ट में 75 बाघ-बाघिन और शावक रणथंभौर में 1 अक्टूबर से टूरिस्ट सीजन शुरू हुआ है। रणथंभौर टाइगर रिजर्व में कुल 10 जोन हैं। इनमें 2 पारियों में टाइगर सफारी होती है। सुबह की पारी में सफारी सुबह 6 से 9 बजे तक होती है। शाम की शिफ्ट में सफारी दोपहर 3 बजे से शाम 6 बजे तक होती है।

रणथंभौर नेशनल पार्क 1700 वर्ग किलोमीटर में फैला है। यहां 84 बाघ, बाघिन और शावक हैं। एक बाघ को लगभग 35 किलोमीटर टेरेटरी की आवश्यकता होती है। ऐसे में यहां 50 बाघ रह सकते हैं। यानी रणथंभौर में 34 बाघ-बाघिन क्षमता से अधिक हैं।

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