रजा मुराद बोले-मेरी आवाज ही कमजोरी बनी: हीरो की चिलम नहीं जलाने पर फिल्म छूटी, शत्रुघ्न ने तारीखें नहीं दी तो बॉलीवुड में मिला ब्रेक – Chhattisgarh News

1
रजा मुराद बोले-मेरी आवाज ही कमजोरी बनी:  हीरो की चिलम नहीं जलाने पर फिल्म छूटी, शत्रुघ्न ने तारीखें नहीं दी तो बॉलीवुड में मिला ब्रेक – Chhattisgarh News
Advertising
Advertising


रजा मुराद बोले-मेरी आवाज ही कमजोरी बनी: हीरो की चिलम नहीं जलाने पर फिल्म छूटी, शत्रुघ्न ने तारीखें नहीं दी तो बॉलीवुड में मिला ब्रेक – Chhattisgarh News

रायपुर में पिछले दिनों हुए काव्य कुंभ में शामिल होने फिल्म अभिनेता रजा मुराद रायपुर पहुंचे थे। दैनिक भास्कर ने इस दौरान उनके करियर, फिल्मी जगत से जुड़े कुछ किस्सों और पुराने दिनों में बॉलीवुड की गुट बाजी पर खास बातचीत की है।

Advertising

.

उन्होंने बताया उनकी आवाज उन्हें अपने वालिद साहब से मिली। जिस आवाज के लिए वो मशहूर हैं। कई दफा वही उनकी कमजोरी साबित हुई। हीरो की चिलम नहीं जलाई तो गुटबाजी का शिकार भी हुए। शत्रुघ्न सिन्हा ने फिल्म छोड़ी तो उन्हें बॉलीवुड में ब्रेक मिला।

Advertising

इसके अलावा राज साहब के उस कॉम्लीमेंट पर बात की, जिसे मुराद अपने जीवन का सबसे प्राउड मोमेंट मानते हैं। पढ़िए पूरा इंटरव्यू…

सवाल:आपको लगता है वो मुराद पूरी हुई जिसे लेकर बॉलीवुड में आए थे? जवाब: अब तक 56 साल मुझे बॉलीवुड में हो गए। इंडस्ट्री ने उम्मीद से बहुत ज्यादा दिया है। अब तक मैंने 586 फिल्में और 19 भाषाओं में काम किया है। सोचा नहीं था यहां तक पहुंच पाउंगा। मैं खुश हूं।

सवाल: मेघगर्जना के सामान आपकी आवाज है, ये अभ्यास से बनी या नेचुरल है? जवाब: ये नेचुरल है। मेरी आवाज मुझे विरासत में मिली है। मेरे पिता मुराद साहब की आवाज में भी गरज थी। हालांकि मुझे उनकी जैसी पर्सनैलिटी नहीं मिली।

Advertising

सवाल:FTII से डिप्लोमा करने के तुरंत बाद आपको पहली फिल्मी ’एक नजर’ मिल गई। इसके पीछे की क्या कहानी है? जवाब: बी आर सरह ने एक फिल्म बनाई थी चेतना। इसमें सारे FTII के एक्टर्स थे। अनिल धवन, रिहाना सुल्तान और शत्रुघ्न सिन्हा। टेक्नीशियन भी FTII के थे, सुदर्शन नाथ। इस तरह उनका इंस्टीट्यूट के स्टूडेंट के साथ बढ़िया संबंध बन गया था।

वो अपनी हर फिल्म में FTII का कोई न कोई स्टूडेंट लेते थे। एक दफा वो FTII आए हुए थे। उन्होंने मुझे गौर से देखा, फिर अचानक कहा कि मुंबई आइए तो मुझसे जरूर मिलिए। अब ऐसा हुआ कि एक नजर में जो रोल मुझे मिला उसके लिए बी आर सरह की पहली पसंद शत्रुघ्न सिन्हा थे।

सवाल: अब तक का सबसे चैलेंजिंग किरदार कौन सा था? जवाब: मेरे लिए सबसे बड़ा चैलेंज था प्रेम रोग। इस फिल्म से पहले मैं छोटे–मोटे किरदार निभाया करता था। पहली दफा फूल फ्लेज्ड विलन का रोल मिला था। तो ये एक बड़ा प्रेशर था। हुआ कुछ यूं कि राज कपूर साहब ने रात 3:30 बजे अपने प्रोडक्शन मैनेजेर को फोन किया। कहा– नमक हराम फिल्म में जिसने शायर का किरदार निभाया वो मुझे अपनी फिल्म में चाहिए। उन्हें मेरा नाम भी नहीं पता था।

Advertising

सवाल: कोई रोल जाे आप करना चाहते थे, लेकिन नहीं कर पाए? जवाब: राकेश रोशन की फिल्म थी करण–अर्जुन। इस फिल्म में जो रोल रंजीत ने किया, वो पहले मुझे ऑफर हुआ था। उसका साइनिंग अमाउंट भी मुझे दे दिया गया था। उन्हें मेरे 18–20 दिन चाहिए थे। लेकिन तब मेरे पास तारीखें नहीं थे।

इस तरह ये रोल रंजीत को मिल गया। मुझे साइनिंग अमाउंट वापस करना पड़ा। ये रोल मैं करना चाहता था, पर नहीं कर पाया।

सवाल:अब तक का सबसे प्राउड मोमेंट कौन सा है? जवाब: राम तेरी गंगा मैली रिलीज हुई, इसकी पार्टी राज साहब ने दी। इस पार्टी में उन्होंने मुझसे कहा– मैंने अपने 40 साल की जिंदगी में आज तक जितने एक्टर–एक्ट्रेस डायरेक्ट किए हैं, उनमें से बेस्ट थ्री में आप एक हैं। ये सबसे बड़ा प्राउड मोमेंट था।

सवाल: जीनत अमान आपकी चचेरी बहन है, उनकी पहली फिल्म हिट होना सबके लिए सरप्राइजिंग था? जवाब: परिवार वालों को छोड़िए, किसी को भी नहीं लगा था। इससे पहले बहुत छोटे–मोटे रोल ही उन्होंने किए थे। तो किसी को उम्मीद नहीं थी कि वो इतनी बुलंदियों तक पहुंचेगी।

सवाल: तब और अब के दौर में क्या मेजर चेंज देखते हैं? जवाब: हमारे समय में बहुत आराम से काम होता था। आज जो काम करने की गति वो बहुत तेज हो गई है। एक ही दिन में 10–12 सीन शूट हो रहे हैं। आपको बहुत काम करना पड़ता है। 12–15 घंटे काम करना मामूली बात है।

सवाल: अभी के दौर में सबसे पसंदीदा एक्टर है? जवाब: किसी एक का नाम नहीं ले सकता, लेकिन आज के दौर के तीन एक्टर मुझे बेहद पसंद हैं, रणबीर कपूर, रणबीर सिंह और शाहिद कपूर।

सवाल: लंबा समय हो सकता काम करते हुए, कोई स्याह पक्ष बॉलीवुड का जो चुभता हो? जवाब: हमारे जमाने में फिल्म का हीरो ही सबकुछ होता था। कहानी उसकी होती थी, हीरोइन उसकी पसंद की होती थी। गायक, म्यूजिक डायरेक्टर और कास्ट सब उसकी पसंद के होते थे। लेकिन आज ऐसा नहीं है। जोकि मैंने कभी किसी हीरो कि चिलम कभी भरी नहीं।

किसी को जी पापा जी नहीं कहा- मैं भी इस ग्रुप बंदी का शिकार बहुत हुआ हूं।

सवाल: कोई आखिरी रजा, जो आप चाहेंगे दुनिया छोड़ने से पहले पूरी हो? जवाब: ख्वाहिशों का कोई अंत नहीं है। बहुत हैं। जिंदगी में जिन चीजों की जरूरत होती है। वो सब मिला है। फिलहाल ऐसी कोई विशेष ख्वाहिश नहीं है।

…………………….

इससे संबंधित और भी खबर पढ़ें

शायर अजहर बोले- नई पीढ़ी ने भाषा का बंधन तोड़ा: रायपुर में कहा- कविताएं इंसानी वजूद का एहसास कराती है, परिस्थितियां अच्छा लेखक बनाती हैं

शायर अजहर बोले- नई पीढ़ी ने भाषा का बंधन तोड़ा:रायपुर में कहा- कविताएं इंसानी वजूद का एहसास कराती है

खुद में बात करने का नाम शायरी है। शायरी और कविताएं न होती तो शायद इंसान को उसके इंसान होने का एहसास नहीं होता। ये कहना है देश के मशहूर शायर अजहर इकबाल का। दरअसल, रविवार को एक साहित्यिक कार्यक्रम में शामिल होने वो राजधानी रायपुर पहुंचे। पढ़ें पूरी खबर…

Advertising