रजनीकांत ने सीएम योगी आदित्यनाथ के छुए पांव, शुरू हुई चर्चा, कहीं ये कारण तो नहीं?

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रजनीकांत ने सीएम योगी आदित्यनाथ के छुए पांव, शुरू हुई चर्चा, कहीं ये कारण तो नहीं?

रजनीकांत ने सीएम योगी आदित्यनाथ के छुए पांव, शुरू हुई चर्चा, कहीं ये कारण तो नहीं?

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में सुपरस्टार रजनीकांत और सीएम योगी आदित्यनाथ की मुलाकात का मुद्दा खासा गरमाया हुआ है। चर्चा में रजनीकांत का सीएम योगी का पांव छूना है। दरअसल, साउथ के सुपरस्टार रजनीकांत जब सीएम योगी आदित्यनाथ से मिलने उनके आवास पर पहुंचे तो उन्होंने मुख्यमंत्री का पांव छूकर आशीर्वाद लिया। रजनीकांत करीब 72 साल के हैं। वहीं, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की उम्र करीब 51 साल है। इसके बावजूद रजनीकांत का यूपी के मुख्यमंत्री का पांव छूना चर्चा का विषय बन गया है। सोशल मीडिया पर तस्वीर खूब वायरल हो रही है। ट्विटर पर यह मामला ट्रेंड कर रहा है। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर रजनीकांत ने मुख्यमंत्री का पांव क्यों छुआ? इसके पीछे की वजह लोग भारतीय संस्कृति और संत परंपरा का सम्मान के रूप में पेश कर रहे हैं। दक्षिण भारत में सनातन संस्कृति को अपने मूल रूप में रखा गया है। फिल्मों के कलाकार भी सनातन संस्कृति को प्रदर्शित करते दिखते हैं। योगी आदित्यनाथ संत परंपरा से आते हैं, इस कारण रजनीकांत ने उनका पांव छूकर आशीर्वाद लिया। इस दौरान सीएम योगी हाथ जोड़कर मुस्कुराते दिखाई दिए। रविवार को रजनीकांत ने यूपी में नेता प्रतिपक्ष और समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव से भी उनके आवास पर मुलाकात की। अपनी 9 साल पुरानी मुलाकत की याद को ताजा किया। सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव को श्रद्धांजलि अर्पित की।

कार से उतरते ही छुआ पांव

मुख्यमंत्री आवास 5, कालीदास मार्ग पर जैसे ही रजनीकांत की गाड़ी रुकी और वे नीचे उतरे तो सामने सीएम योगी आदित्यनाथ हाथ जोड़कर उनका अभिवादन कर रहे थे। सीएम योगी के सामने पहुंचते ही रजनीकांत झुके और योगी का पांव छू लिया। योगी आदित्यनाथ ने भी हाथ जोड़कर उनका अभिवादन स्वीकार किया। फूलों के गुलदस्ते से सीएम ने सुपरस्टार का आवास पर स्वागत किया। इस मुलाकात की तस्वीरें और वीडियो जैसे ही सोशल मीडिया पर अपलोड हुआ वायरल होने लगा।

प्रशंसकों ने व्यक्त की भावनाएं

सोशल मीडिया पर प्रशंसकों ने अपने-अपने तरीके से भावनाएं व्यक्त की। तस्वीर को साझा करते हुए कुछ प्रशंसकों ने लिखा कि भारतीय संस्कृति और संस्कार का यह बड़ा उदाहरण है। वहीं, यूजर्स ने सुपरस्टार के एक योगी के प्रति समर्पण की भी खूब तारीफ की। एक प्रशंसक ने लिखा कि जिस सुपरस्टार के करोड़ों दीवानें हों और उसका राजनीति से कोई सीधा सरोकार न हो, उसने मुख्यमंत्री योगी के चरण छूकर युवाओं को भारतीय संस्कार और परंपरा का बड़ा संदेश दिया है।

फिल्म सिटी पर भी हुई चर्चा

रजनीकांत और सीएम योगी की मुलाकात के दौरान नोएडा फिल्म सिटी का मुद्दा उठा। सीएम योगी ने अपने ड्रीम प्रोजेक्ट के बारे में उन्हें जानकारी दी। इस पर रजनीकांत ने फिल्म सिटी में निवेश की भी इच्छा जताई। साथ ही, इसके लिए सीएम योगी आदित्यनाथ को बधाई भी दी। रजनीकांत ने इससे पहले राजभवन पहुंचकर राज्यपाल आनंदीबेन पटेल से भी शिष्टाचार भेंट की थी। रजनीकांत शुक्रवार रात अपनी फिल्म जेलर के प्रचार के लिए लखनऊ आए थे। शनिवार दोपहर उन्होंने डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के साथ फीनिक्स पलासियो मॉल में जेलर फिल्म देखी। इस दौरान मॉल के भीतर और बाहर प्रशंसकों का भारी जमावड़ा दिखा।

धर्म से रहा है गहरा नाता

रजनीकांत का धर्म से गहरा नाता रहा है। वे तमिलनाडु में सनातन के पैरोकार माने जाते रहे हैं। फिल्मों में काम करने के साथ-साथ वे सनातन संस्कृति की खूब बात करते रहे हैं। इस कारण उन्हें हमेशा भाजपा के करीबी के तौर पर पेश किया जाता रहा है। एक बार उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी से भी अपने मित्रवत संबंधों की चर्चा की थी। हालांकि, वे कभी खुलकर कभी किसी पार्टी के साथ नजर नहीं आए। जेलर फिल्म के प्रदर्शन के बाद से वे लगातार मंदिरों में जा रहे हैं। पिछले दिनों उन्होंने झारखंड के राजरप्पा स्थित माता मंदिर का दर्शन किया। इसके अलावा वे बद्रीनाथ भी पहुंचे थे। अब वे अयोध्या राम मंदिर जा रहे हैं। इस संबंध में यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य कहते हैं कि रजनीकांत की सफलता के पीछे राम, शिव और देवी कृपा ही है। ऐसे में उन्हें श्रीराम के दर्शन करने जाना ही चाहिए।

कितने सियासी रजनीकांत?

रजनीकांत ने लोकसभा चुनाव 2019 से पहले तमिलनाडु की राजनीति में उतरने की सुगबुगाहट दिखाई थी। हालांकि, वे कभी राजनीति में उतर नहीं पाए। उनकी राजनीतिक सोच वर्ष 1996 में पहली बार सामने आई थी। तत्कालीन सीएम जयललिता के दत्तक पुत्र वीएन सुधाकरण के शादी समारोह में बेहिसाब खर्च तक सुर्खियों में थी। रजनीकांत ने उस समय कहा था कि जयललिता सरकार में बहुत भ्रष्टाचार है। ऐसी सरकार को सत्ता में नहीं होना चाहिए। हालांकि, इससे एक साल पहले वर्ष 1995 में उन्होंने तमिलनाडु में बम कल्चर पर सरकार को जिम्मेदारी लेने की बात कही थी। यह उनका पहला राजनीतिक बयान माना जाता है। इस कार्यक्रम के दौरान एमजीआर कड़गम पार्टी के नेता आरएम वीरप्पन भी मौजूद थे।

1996 में मूपनार ने कांग्रेस छोड़कर तमिल मनीला कांग्रेस बनाई। उस समय कांग्रेस और एआईएडीएमके गठबंधन की चर्चा चल रही थी। मूपनार इसके विरोध में थे। उन्होंने तमिल मनीला कांग्रेस बनाकर डीएमके से गठजोड़ कर लिया। रजनीकांत ने इस गठबंधन को खुलकर समर्थन दे दिया। डीएमके को चुनावों में शानदार सफलता मिली। उस चुनाव में रजनीकांत के फैंस ने डीएमके गठबंधन और मूपनार पार्टी उम्मीदवारों के लिाए काम किया। 1998 के लोकसभा चुनाव में भी रजनीकांत ने डीएमके गठबंधन को सपोर्ट किया। लेकिन, इस चुनाव में एआईएडीएमके ने शानदार जीत दर्ज की। इसके बाद रजनीकांत ने पार्टी का खुलकर विरोध करना बंद कर दिया।

2002 के कावेरी जल विवाद में रजनीकांत भूख हड़ताल पर बैठे थे। 2004 में बनी बाबा फिल्म में रजनीकांत के धार्मिक नेतृत्व और राजनीति में एंट्री को दिखाया गया। डॉ. रामदॉस की पार्टी पीएमके ने इस फिल्म का विरोध किया था। इसके बाद उन्होंने राजनीति में दखल और इस पर अपनी राय देना बंद कर दिया। रजनीकांत 10 सालों तक राजनीति से बचते रहे। वर्ष 2014 के चुनाव के दौरान नरेंद्र मोदी का नाम एनडीए के प्रधानमंत्री उम्मीदवार के तौर पर आगे किया गया। मोदी ने तब चेन्नई में रजनीकांत से उनके आवास पर मुलाकात की थी। इस दौरान रजनीकांत ने कहा था कि नरेंद्र मोदी एक ग्रेट लीडर और अच्छे प्रशासक हैं। उन्होंने सफलता की भी कामना की थी। हालांकि, तब उन्होंने भाजपा का नाम नहीं लिया था।

2014 में ही आय से अधिक संपत्ति मामले में जयललिता को सजा सुनाए जाने के बाद रजनीकांत ने कहा था, हैप्पी। रजनीकांत ने 31 दिसंबर 2017 को डीएमके प्रमुख करुणानिधि से मुलाकात की थी। इस दौरान उन्होंने कहा था कि राजनीति में आने के संबंध में करुणानिधि से चर्चा की है। उन्होंने मुझे शुभकामनाएं दी हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने खुद को किसी भी गठबंधन या दल से अलग रहा। रजनीकांत ने कहा कि 2021 के विधानसभा चुनाव में वे उतरेंगे। बाद में स्वास्थ्य कारणों से उन्होंने खुद को राजनीति से अलग करने का फैसला कर लिया।

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