यूपी में दिलचस्प होगा मुकाबला, हैट्रिक लगाने की जुगत में BJP,सपा को भी वापसी की उम्मीद | Lok Sabha Elections 2024 contest will be interesting in UP BJP trying to score a hat-trick | News 4 Social
सपा ने खीरी सीट पर कांग्रेस के साथ गठबंधन से पहले ही दो बार के विधायक उत्कर्ष वर्मा को उम्मीदवार बना दिया था। इसके बाद सबकी निगाहें भाजपा पर थीं। तमाम अटकलों के बीच भाजपा ने एक बार फिर यहां के वर्तमान सांसद और केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी को उम्मीदवार बनाकर मुकाबला दिलचस्प कर दिया है। टेनी को प्रत्याशी बनाए जाने के बाद किसान संगठनों की प्रतिक्रिया भी सामने आ रही है।
राजनीतिक सूत्रों के मुताबिक, सपा को जहां जातीय समीकरणों के साथ-साथ किसानो से मदद की उम्मीद है, वहीं भाजपा को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के चेहरे और अपनी रणनीति पर पूरा भरोसा है।
Lok Sabha Seat Kheri पर रहा है एक ही परिवार का दबदबा
2009 से पहले तक खीरी संसदीय सीट पर ज्यादातर एक ही परिवार का दबदबा रहा। आजादी के बाद से यहां वरिष्ठ नेता बाल गोविंद वर्मा लंबे समय तक कांग्रेस के सांसद बने रहे। उनके निधन के बाद उनकी पत्नी ऊषा वर्मा सांसद बनीं। उनके बाद उनके बेटे रवि वर्मा सपा में शामिल हुए और तीन बार के लोकसभा और एक बार राज्यसभा सांसद रहे। पिछले लोकसभा चुनाव में रवि वर्मा ने अपनी बेटी डॉ. पूर्वी वर्मा को प्रत्याशी बनाया था, लेकिन वह चुनाव हार गईं थी।
लगातार दो साल से जीत रही BJP
राजनीतिक सूत्रों का दावा है कि लोकसभा चुनाव 2024 में रवि वर्मा को बेटी डॉ. पूर्वी के लिए कांग्रेस से टिकट मिलने की उम्मीद थी। इस बीच सपा-कांग्रेस के गठबंधन की वजह से यह सीट सपा के खाते में चली गई। सपा ने उत्कर्ष वर्मा को पहले ही प्रत्याशी बना दिया था। कई दशकों बाद पहली बार ऐसा होने जा रहा है कि जिले का चर्चित वर्मा परिवार का कोई सदस्य चुनाव मैदान में नहीं होगा। खीरी सीट पर भाजपा लगातार दो साल से चुनाव जीत रही है। टेनी ने 2019 के चुनाव में सपा प्रत्याशी डॉ. पूर्वी वर्मा तो 2014 में बसपा उम्मीदवार अरविंद गिरी को हराया था।
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1993 में भाजपा से जुड़े अजय मिश्र
- अजय मिश्र टेनी निघासन इलाके के बनवीरपुर गांव के रहने वाले हैं
- बीएससी-एलएलबी तक की शिक्षा हासिल की है
- 1993 में वह सक्रिय राजनीति में आए और भाजपा की सदस्यता ली
- 2012 में पहली बार निघासन विधानसभा सीट से विधायक बने
- 2014 के चुनाव में भाजपा के टिकट पर लोकसभा चुनाव जीते
- 2019 में फिर भाजपा के टिकट पर जीत कर संसद पहुंचे
- 2021 में मोदी सरकार के मंत्रिमंडल में शामिल हुए, टेनी को सरकार में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री बनाया गया
कब-कौन जीता
- 1957 कुशवक्त राय प्रजा सोशलिस्ट पार्टी
- 1962 बालगोविंद कांग्रेस
- 1967 बालगोविंद कांग्रेस
- 1971 बालगोविंद कांग्रेस
- 1977 सूरत बहादुर शाह भारतीय लोकदल
- 1980 बालगोविंद वर्मा कांग्रेस
- 1984 उषा कुमारी कांग्रेस
- 1989 उषा कुमारी कांग्रेस
- 1991 गेंदन लाल कनौजिया भाजपा
- 1996 गेंदन लाल कनौजिया भाजपा
- 1998 रवि प्रकाश वर्मा समाजवादी पार्टी
- 1999 रवि प्रकाश वर्मा समाजवादी पार्टी
- 2004 रवि प्रकाश वर्मा समाजवादी पार्टी
- 2009 जफर अली नकवी कांग्रेस
- 2014 अजय कुमार भाजपा
- 2019 अजय कुमार भाजपा
विधानसभा क्षेत्र
- लखीमपुर, गोला, निघासन, श्रीनगर, पलिया
- खीरी लोकसभा सीट क्यों है खास
- खीरी लोकसभा सीट में पांच विधानसभा क्षेत्र लखीमपुर सदर, पलिया, गोला, निघासन, श्रीनगर शामिल हैं
- इसी लोकसभा क्षेत्र में दुधवा नेशनल पार्क है जो बाघ, गैंडों के लिए विख्यात है
- खीरी में ही गोला गोकर्णनाथ का प्राचीन शिव मंदिर है
- खीरी लोकसभा क्षेत्र में मांडूक तंत्र पर आधारित ओयल का मेढक मंदिर भी है
- खीरी लोकसभा क्षेत्र में 24 जनजातीय बाहुल्य गांव हैं, यहां थारू जनजाति के लोग रहते हैं
- इस सीट के दो विधानसभा क्षेत्रों में 53 हजार थारू आबादी निवास करती है
- लोकसभा क्षेत्र से नेपाल की सीमा भी लगती है
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सपा ने खीरी सीट पर कांग्रेस के साथ गठबंधन से पहले ही दो बार के विधायक उत्कर्ष वर्मा को उम्मीदवार बना दिया था। इसके बाद सबकी निगाहें भाजपा पर थीं। तमाम अटकलों के बीच भाजपा ने एक बार फिर यहां के वर्तमान सांसद और केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी को उम्मीदवार बनाकर मुकाबला दिलचस्प कर दिया है। टेनी को प्रत्याशी बनाए जाने के बाद किसान संगठनों की प्रतिक्रिया भी सामने आ रही है।
राजनीतिक सूत्रों के मुताबिक, सपा को जहां जातीय समीकरणों के साथ-साथ किसानो से मदद की उम्मीद है, वहीं भाजपा को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के चेहरे और अपनी रणनीति पर पूरा भरोसा है।
Lok Sabha Seat Kheri पर रहा है एक ही परिवार का दबदबा
2009 से पहले तक खीरी संसदीय सीट पर ज्यादातर एक ही परिवार का दबदबा रहा। आजादी के बाद से यहां वरिष्ठ नेता बाल गोविंद वर्मा लंबे समय तक कांग्रेस के सांसद बने रहे। उनके निधन के बाद उनकी पत्नी ऊषा वर्मा सांसद बनीं। उनके बाद उनके बेटे रवि वर्मा सपा में शामिल हुए और तीन बार के लोकसभा और एक बार राज्यसभा सांसद रहे। पिछले लोकसभा चुनाव में रवि वर्मा ने अपनी बेटी डॉ. पूर्वी वर्मा को प्रत्याशी बनाया था, लेकिन वह चुनाव हार गईं थी।
लगातार दो साल से जीत रही BJP
राजनीतिक सूत्रों का दावा है कि लोकसभा चुनाव 2024 में रवि वर्मा को बेटी डॉ. पूर्वी के लिए कांग्रेस से टिकट मिलने की उम्मीद थी। इस बीच सपा-कांग्रेस के गठबंधन की वजह से यह सीट सपा के खाते में चली गई। सपा ने उत्कर्ष वर्मा को पहले ही प्रत्याशी बना दिया था। कई दशकों बाद पहली बार ऐसा होने जा रहा है कि जिले का चर्चित वर्मा परिवार का कोई सदस्य चुनाव मैदान में नहीं होगा। खीरी सीट पर भाजपा लगातार दो साल से चुनाव जीत रही है। टेनी ने 2019 के चुनाव में सपा प्रत्याशी डॉ. पूर्वी वर्मा तो 2014 में बसपा उम्मीदवार अरविंद गिरी को हराया था।
1993 में भाजपा से जुड़े अजय मिश्र
- अजय मिश्र टेनी निघासन इलाके के बनवीरपुर गांव के रहने वाले हैं
- बीएससी-एलएलबी तक की शिक्षा हासिल की है
- 1993 में वह सक्रिय राजनीति में आए और भाजपा की सदस्यता ली
- 2012 में पहली बार निघासन विधानसभा सीट से विधायक बने
- 2014 के चुनाव में भाजपा के टिकट पर लोकसभा चुनाव जीते
- 2019 में फिर भाजपा के टिकट पर जीत कर संसद पहुंचे
- 2021 में मोदी सरकार के मंत्रिमंडल में शामिल हुए, टेनी को सरकार में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री बनाया गया
कब-कौन जीता
- 1957 कुशवक्त राय प्रजा सोशलिस्ट पार्टी
- 1962 बालगोविंद कांग्रेस
- 1967 बालगोविंद कांग्रेस
- 1971 बालगोविंद कांग्रेस
- 1977 सूरत बहादुर शाह भारतीय लोकदल
- 1980 बालगोविंद वर्मा कांग्रेस
- 1984 उषा कुमारी कांग्रेस
- 1989 उषा कुमारी कांग्रेस
- 1991 गेंदन लाल कनौजिया भाजपा
- 1996 गेंदन लाल कनौजिया भाजपा
- 1998 रवि प्रकाश वर्मा समाजवादी पार्टी
- 1999 रवि प्रकाश वर्मा समाजवादी पार्टी
- 2004 रवि प्रकाश वर्मा समाजवादी पार्टी
- 2009 जफर अली नकवी कांग्रेस
- 2014 अजय कुमार भाजपा
- 2019 अजय कुमार भाजपा
विधानसभा क्षेत्र
- लखीमपुर, गोला, निघासन, श्रीनगर, पलिया
- खीरी लोकसभा सीट क्यों है खास
- खीरी लोकसभा सीट में पांच विधानसभा क्षेत्र लखीमपुर सदर, पलिया, गोला, निघासन, श्रीनगर शामिल हैं
- इसी लोकसभा क्षेत्र में दुधवा नेशनल पार्क है जो बाघ, गैंडों के लिए विख्यात है
- खीरी में ही गोला गोकर्णनाथ का प्राचीन शिव मंदिर है
- खीरी लोकसभा क्षेत्र में मांडूक तंत्र पर आधारित ओयल का मेढक मंदिर भी है
- खीरी लोकसभा क्षेत्र में 24 जनजातीय बाहुल्य गांव हैं, यहां थारू जनजाति के लोग रहते हैं
- इस सीट के दो विधानसभा क्षेत्रों में 53 हजार थारू आबादी निवास करती है
- लोकसभा क्षेत्र से नेपाल की सीमा भी लगती है