यूपी में चुनाव इस बार शांत, सूबे में सुनाई नहीं दे रहा 'जीतेगा भाई, जीतेगा' वाला नारा | Elections in UP quiet this time The slogan Jeetega Bhai Jeetega is not being heard | Patrika News

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यूपी में चुनाव इस बार शांत, सूबे में सुनाई नहीं दे रहा 'जीतेगा भाई, जीतेगा' वाला नारा | Elections in UP quiet this time The slogan Jeetega Bhai Jeetega is not being heard | Patrika News

यूपी में चुनाव इस बार शांत, सूबे में सुनाई नहीं दे रहा 'जीतेगा भाई, जीतेगा' वाला नारा | Elections in UP quiet this time The slogan Jeetega Bhai Jeetega is not being heard | News 4 Social

क्या यूपी में शुरू नहीं हुआ चुनावी अभियान ? यूपी में इस बार चुनाव प्रचार असामान्य रूप से शांत है। दरअसल चुनाव जैसा कुछ लग ही नहीं रहा है।सही मायनों में देश के सबसे बड़े राज्य यानी उत्तर प्रदेश में चुनावी अभियान अभी शुरू नहीं हुआ है। BJP जहां पूरे देश पर फोकस कर रही है, और पूरी ताकत से आगे बढ़ रही है। वहीं विपक्षी पार्टियों ने प्रत्याशियों तक की घोषणा नहीं की है।

यब भी पढ़ें: बाराबंकी: बरौनी-ग्वालियर एक्सप्रेस में बम की सूचना से मचा हड़कंपफेमस हुआ बीजेपी का नारा मध्य यूपी के एक बीजेपी उम्मीदवार ने कहा कि भाजपा का एक ही नारा है अबकी बार 400 पार। हर उम्मीदवार इस पर भरोसा कर रहा है। किसी भी कैंडिडेट ने अलग से कोई नारा नहीं गढ़ा है। क्योंकि वह मोदी लहर पर सवार होना चाहता है। नारा आकर्षक है और पहले ही लोकप्रिय हो चुका है।

क्या फेल रहा कांग्रेस का नारा? कांग्रेस का नारा अब होगा न्याय लोगों का ध्यान खींचने में विफल रहा है। युवा चुनाव विश्लेषक रवीश माथुर ने कहा ‘इससे बिल्कुल पता नहीं चलता कि कांग्रेस पार्टी क्या कहना चाहती है। नारा छोटा और आकर्षक होना चाहिए – जो कुछ ही यानी कम शब्दों में सब कुछ कह दे।

सपा-बसपा को नहीं मिला मनपसंद नारा 2024 के चुनावी सीजन के लिए सपा और बसपा को अभी तक अपनी पसंद के नारे नहीं मिल पाए हैं।प्रचार की शैली में बदलाव से झंडे और पोस्टर भी खत्म हो गए हैं। एक कैंडिडेट ने कहा लोग अब पोस्टरों और पार्टी के झंडों से प्रभावित नहीं होते। उनमें से अधिकांश ने पहले ही अपना मन बना लिया है। ऐसी चीजों पर अपना पैसा बर्बाद करना बेकार है। पहले लोग उम्मीदवार चुनते थे। लेकिन अब लोग पार्टियां चुनते हैं।

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ज्यादातर प्रत्याशी प्रचार के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल भी काफी सतर्क तरीके से कर रहे हैं। उदाहरण के लिए चुनाव की घोषणा से बहुत पहले लखनऊ से समाजवादी पार्टी उम्मीदवार रविदास मेहरोत्रा ने मतदाताओं को फोन के माध्यम से अपना ऑडियो संदेश दिया। हालांकि उन्होंने जल्द ही इसे छोड़ दिया।

बसपा को सोशल मीडिया पर भरोसा नहीं बहुजन समाज पार्टी के एक उम्मीदवार ने बताया सोशल मीडिया एक दोधारी तलवार है। और इसका इस्तेमाल आपके खिलाफ भी जा सकता है। मतदाताओं से सीधा संबंध बनाना और अपनी बात पहुंचाना ज्यादा सुरक्षित और बेहतर है।

इस बार के चुनाव में दिलचस्प बात यह है कि लगभग सभी प्रत्याशी इंटरव्यू देने और अपने प्रचार अभियान में मीडियाकर्मियों को साथ ले जाने से भी कतरा रहे हैं। उम्मीदवारों का दावा है कि उनकी पार्टी के नेताओं ने उनसे मीडिया से दूरी बना कर रखने को कहा है।

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सब जानता है विजेता कौन ? इलाहाबाद के एक रिटायर राजनीतिक वैज्ञानिक एसएन दीक्षित ने कहा कि जब प्रत्याशियों और लोगों को चुनाव के नतीजे पहले से पता होते हैं तो अपने आप चुप्पी छा जाती है।

उन्होंने आगे कहा लगभग हर कोई जानता है कि इस चुनाव में विजेता कौन है। इसलिए कोई शोर नहीं मचा रहा। संभावित विजेता चुप हैं क्योंकि वे परिणाम को लेकर आश्वस्त हैं। विपक्ष भी अनावश्यक प्रयास नहीं चाहता क्योंकि वे भी परिणाम जानते हैं।

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