यूके के टायर मप्र में फैला रहे जहर: फसलों पर कालिख की तरह जम रहा टायरों का काला धुआं, हवा ऐसी कि सांस लेना भी मुश्किल – Madhya Pradesh News h3>
यूनाइटेड किंगडम (यूके) के स्क्रैप टायरों को मप्र के पायरोलिसिस प्लांट में डंप करने की पड़ताल करने जब NEWS4SOCIALटीम मुरैना के लौहगढ़ गांव पहुंची तो चौंकाने वाले खुलासे हुए। यहां आसपास 10 से ज्यादा प्लांट हैं जो लगातार जहरीला धुआं हवा में घोल रहे हैं। इन प्
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गांव के बुजुर्ग रामस्वरूप गुर्जर बताते हैं, दावा था कि फैक्ट्री से रोजगार मिलेगा, पर अब तो सांस लेना भी मुश्किल है। हर दिन टायर जलाने से निकलने वाला काला धुआं फसलों पर कालिख की परत जमा देता है। हवा के साथ धुएं का गुबार गांवों में भर जाता है। पूर्व सरपंच प्रताप सिंह कहते हैं कि प्लांट के कारण आसपास के गांवों के 20 से 25 हजार लोगों की सेहत पर संकट है।
मुरैना कलेक्टर अंकित अस्थाना बोले, नियमों का उल्लंघन किया जा रहा है तो जांच कराएंगे। पीसीबी ग्वालियर के क्षेत्रीय अधिकारी, आरआर सिंह सेंगर के अनुसार, कुछ माह पहले मुरैना इंडस्ट्रियल एरिया में प्लांट में कुछ टायर विदेशी मिले थे। संख्या कम थी, इसलिए कार्रवाई नहीं की। दोबारा जांच करा लेंगे।
मुरैना के जदेरुआ प्लांट से विदेशी टायरों से तेल निकाला जा रहा है।
NEWS4SOCIALने प्लांट से निकले पानी की कराई जांच NEWS4SOCIALकी टीम मुरैना स्थित इंडस्ट्रियल एरिया पहुंची। यहां विदेशी टायरों से अवैध रूप से टायर ऑयल निकालने वाली कई फैक्ट्रियां मिलीं। इनसे आसपास खेती की जमीनों पर खुले में वेस्ट छोड़ा जा रहा है। NEWS4SOCIALने इसी वेस्ट पानी के अलग-अलग बोतलों में सैंपल लिए। इनकी जांच मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की भोपाल स्थित लैब में कराई गई। इस रिपोर्ट को मंथन अध्ययन केंद्र बड़वानी के रिसर्चर रहमत मंसूरी से समझा।
मंथन अध्ययन केंद्र बड़वानी के रिसर्चर रहमत मंसूरी ने बताया कि
- पानी में ऑयल और ग्रीस की मात्रा 8.1 मिली, जो शून्य होनी चाहिए। ऐसे पानी से मेंटल डिसऑर्डर, याददाश्त कमजोर होने और पेट संबंधी रोग संभव।
- टीडीएस यानी पानी में घुले हुए सभी ठोस पदार्थों की कुल मात्रा मात्रा 6078 आई है, जो सामान्यत: 150 से 300 के बीच होनी चाहिए। इस तरह के पानी पीने से व्यक्ति के किडनी और लिवर डैमेज हो सकता है।
- इसके अलावा सीओडी (केमिकल ऑक्सीजन डिमांड) की मात्रा 5200 आई है, जो बहुत ज्यादा है। इससे भी दिमागी बीमारियों का खतरा हो सकता है।
- रिपोर्ट में आयरन की मात्रा 0.81 बताई गई है। जबकि ये 0.3 ही होना चाहिए। इसके बढ़ने से पेट संबंधी बीमारियों का खतरा ज्यादा है।
पर्यावरणविद् ने कहा- प्लांट के प्रदूषण से कैंसर का जोखिम पर्यावरणविद् सागर धारा ने बताया, पायरोलिसिस प्लांट्स के कारण हवा, पानी और मिट्टी सब प्रदूषित हो रहे हैं। दहन अधूरा है तो सल्फर डाइऑक्साइड, कार्बन मोनो ऑक्साइड और डाइऑक्सिन जैसी घातक गैसें निकलती हैं। पॉलीसाइक्लिक एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन (पीएएच), बेंजीन और डाइऑक्सिन (अपूर्ण दहन से) के लगातार संपर्क में रहने से कैंसर (फेफड़े, त्वचा, मूत्राशय) का जोखिम बढ़ जाता है।
टायर के अवशेषों से भारी धातुएं (जस्ता, सीसा, कैडमियम) शरीर में जमा होती हैं, जिससे न्यूरोटॉक्सिसिटी, किडनी को नुकसान और बच्चों में विकास रुकने की समस्याएं हो सकती हैं। लंबे समय तक महीन कण (पीएम 2.5) के संपर्क में रहने से हृदय रोग और स्ट्रोक का खतरा रहता है।
NEWS4SOCIALने प्लांट से निकलने वाले वेस्ट पानी के सैंपल की जांच करवाई।
4 रूट से आते हैं विदेशी टायर
- गुजरात के मुंद्रा बंदरगाह पर सीधे विदेश से शिप के जरिए ये कंटेनर आते हैं। यहां से माल ट्रकों पर लोड किया जाता है। यहां से ये टायर मप्र के लिए भेजे जाते हैं। राजस्थान के धौलपुर होते हुए ये ट्रक मुरैना पहुंचते हैं। यहां की इंडस्ट्री में इनको जलाकर तेल निकाला जाता है।
- मुंबई के जवाहरलाल नेहरू बंदरगाह पर कंटेनर आते हैं। यहां से माल ट्रकों के जरिए देश के अलग-अलग राज्यों में सप्लाई करते हैं। यहीं से ये मप्र में भी भेजे जाते हैं। मुंबई के जवाहरलाल नेहरू बंदरगाह से मप्र आने के लिए नासिक, धार, इंदौर होते हुए माल पहुंचाया जाता है।
- जवाहरलाल पोर्ट से शिरडी होते हुए इटारसी, नर्मदापुरम होते हुए भोपाल।
- शिरडी के बाद जालना, अकोला, अमरावती होते हुए नागपुर से होकर सिवनी पहुंचता है।
इस तरह ट्रकों में भरकर आते हैं यूनाइटेड किंगडम से स्क्रैप टायर।
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रीसाइकलिंग के बहाने आने वाले इन टायरों को पायरोलिसिस प्लांट्स में ऑयल निकालने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है।
पर्यावरण संरक्षण के तमाम दावों के बीच एक खतरनाक और गुपचुप धंधा तेजी से पनप रहा है। विदेशों, खासकर यूनाइटेड किंगडम (UK) में कबाड़ घोषित हो चुके टायर भारत में डंप किए जा रहे हैं। रीसाइकलिंग के बहाने आने वाले इन टायरों को पायरोलिसिस प्लांट्स में टायर ऑयल निकालने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है, जो कि प्रतिबंधित है। पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें