मोदी मंत्रिपरिषद में इस बार बिहार की सबसे ज्यादा हिस्सेदारी, चार पार्टियों से 8 मंत्री बने
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तीसरी सरकार में बिहार को सर्वाधिक भागीदारी मिली है। राज्य के आठ सासंदों को मंत्रिपरिषद में दी गई है। इनमें भाजपा के चार, जदयू के दो तथा लोजपा व हम के एक-एक सांसद हैं। 2024 लोकसभा चुनाव में बिहार एनडीए में पांच पार्टियां शामिल थीं। इनमें राष्ट्रीय लोक मोर्चा के एकमात्र उम्मीदवार उपेंद्र कुशवाहा हार गए। इसके अलावा अन्य चार पार्टियों को मंत्रिपरिषद में जगह मिली है। इससे साफ है कि बिहार से एनडीए के सभी घटक दलों को पीएम मोदी ने अपने मंत्रिपरिषद में जगह दी है।
इससे पहले वर्ष 2014 में सात और 2019 में बिहार के छह सांसदों को मोदी मंत्रिपरिषद में जगह मिली थी। 2014 में एनीडए में भाजपा, लोजपा और रालोसपा थी। 2014 में भी एनडीए के सभी घटक दलों को मंत्रिपरिषद में शामिल किया गया था। भाजपा के पांच तथा लोजपा और रालोसपा के एक-एक सांसद मंत्री बने थे तब, भाजपा के राधामोहन सिंह, रविशंकर प्रसाद, अश्विनी कुमार चौबे, राजीव प्रताप रूडी और रामकृपाल यादव इसमें शामिल थे। लोजपा के रामविलास पासवान और रालोसपा के उपेंद्र कुशवाहा मंत्री बने थे।
2019 में छह सांसदों को मौका मिला था। इनमें भाजपा के पांच और लोजपा के एक शामिल थे। भाजपा के गिरिराज सिंह, आरके सिंह, रविशंकर प्रसाद, अश्विनी चौबे और नित्यानंद राय थे। वहीं, लोजपा से रामविलास पासवान मंत्री बने थे। तब, जदयू ने मंत्रिमंडल में शामिल होने से इनकार कर दिया था और बाहर से समर्थन दिया था। जदयू को तब एक मंत्री पद मिल रहा था, जिसे पार्टी ने तब स्वीकार नहीं किया। हालांकि, बाद में बदली राजनीतिक परिस्थिति में जदयू के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह मोदी मंत्रिमंडल का हिस्सा बने। रामविलास पासवान के निधन के बाद उनके छोटे भाई लोजपा सांसद पशुपति कुमार पारस केंद्रीय मंत्री बनाए गए थे।
मोदी सरकार में 6 मंत्री उत्तर बिहार से, पूर्व और मगध से एक-एक
पांच में चार पार्टियां जीतीं, सभी के मंत्री
इस तरह देखें तो सबसे अधिक बिहार के आठ सांसदों को मोदी की तीसरी सरकार के गठन के दौरान मौका मिला है। इसकी एक वजह यह भी है कि इस बार एनडीए घटक दल में पांच पार्टियां थीं, जिसमें चार ने जीत हासिल की है। वहीं, 2014 में बिहार एनडीए में तीन और वर्ष 2019 लोकसभा चुनाव में भी तीन ही पार्टियां थीं।
सभी घटक दलों को शामिल करने से संख्या बढ़ी
मोदी 3.0 मंत्रिमंडल में बिहार से आठ मंत्रियों को शामिल करने की मुख्य वजह केंद्र की सरकार में बिहार के सभी घटक दलों को भागीदारी देना है। हालांकि चर्चा थी कि भाजपा और जदयू को चूंकि 12-12 सीटों पर जीत मिली है इसलिए बिहार फार्मूले के तहत सरकार में भागीदारी भी समान होगी। अटकलें दोनों दलों से 4-4 सांसदों को मंत्री बनाने की लगाई जा रही थी।
माथे पर टीका, पॉकेट स्क्वायर में तिरंगा; मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री चिराग पासवान का अनोखा अंदाज
हालांकि, भाजपा ने भी अपने कोटे से पूर्व की दो सरकार की तुलना में एक संख्या घटाई और चार नेता को ही मंत्री बनाया है, वहीं जदयू को अभी 2 सीट मिली है। चिराग और मांझी को शामिल करने से यह संख्या 8 तक पहुंच गई है। एनडीए सूत्रों की चर्चा के मुताबिक आने वाले समय में बिहार की भागीदारी और बढ़ सकती है, खासतौर से जिस समाज को मौका नहीं मिला है, उसके सांसद की इंट्री आगे हो सकती है। इनमें राजपूत, लव-कुश और वैश्य समाज के सांसद हो सकते हैं। ऐसे में जदयू के कोटे से एक-दो राज्यमंत्री आगे बनाए जा सकते हैं।
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तीसरी सरकार में बिहार को सर्वाधिक भागीदारी मिली है। राज्य के आठ सासंदों को मंत्रिपरिषद में दी गई है। इनमें भाजपा के चार, जदयू के दो तथा लोजपा व हम के एक-एक सांसद हैं। 2024 लोकसभा चुनाव में बिहार एनडीए में पांच पार्टियां शामिल थीं। इनमें राष्ट्रीय लोक मोर्चा के एकमात्र उम्मीदवार उपेंद्र कुशवाहा हार गए। इसके अलावा अन्य चार पार्टियों को मंत्रिपरिषद में जगह मिली है। इससे साफ है कि बिहार से एनडीए के सभी घटक दलों को पीएम मोदी ने अपने मंत्रिपरिषद में जगह दी है।
इससे पहले वर्ष 2014 में सात और 2019 में बिहार के छह सांसदों को मोदी मंत्रिपरिषद में जगह मिली थी। 2014 में एनीडए में भाजपा, लोजपा और रालोसपा थी। 2014 में भी एनडीए के सभी घटक दलों को मंत्रिपरिषद में शामिल किया गया था। भाजपा के पांच तथा लोजपा और रालोसपा के एक-एक सांसद मंत्री बने थे तब, भाजपा के राधामोहन सिंह, रविशंकर प्रसाद, अश्विनी कुमार चौबे, राजीव प्रताप रूडी और रामकृपाल यादव इसमें शामिल थे। लोजपा के रामविलास पासवान और रालोसपा के उपेंद्र कुशवाहा मंत्री बने थे।
2019 में छह सांसदों को मौका मिला था। इनमें भाजपा के पांच और लोजपा के एक शामिल थे। भाजपा के गिरिराज सिंह, आरके सिंह, रविशंकर प्रसाद, अश्विनी चौबे और नित्यानंद राय थे। वहीं, लोजपा से रामविलास पासवान मंत्री बने थे। तब, जदयू ने मंत्रिमंडल में शामिल होने से इनकार कर दिया था और बाहर से समर्थन दिया था। जदयू को तब एक मंत्री पद मिल रहा था, जिसे पार्टी ने तब स्वीकार नहीं किया। हालांकि, बाद में बदली राजनीतिक परिस्थिति में जदयू के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह मोदी मंत्रिमंडल का हिस्सा बने। रामविलास पासवान के निधन के बाद उनके छोटे भाई लोजपा सांसद पशुपति कुमार पारस केंद्रीय मंत्री बनाए गए थे।
मोदी सरकार में 6 मंत्री उत्तर बिहार से, पूर्व और मगध से एक-एक
पांच में चार पार्टियां जीतीं, सभी के मंत्री
इस तरह देखें तो सबसे अधिक बिहार के आठ सांसदों को मोदी की तीसरी सरकार के गठन के दौरान मौका मिला है। इसकी एक वजह यह भी है कि इस बार एनडीए घटक दल में पांच पार्टियां थीं, जिसमें चार ने जीत हासिल की है। वहीं, 2014 में बिहार एनडीए में तीन और वर्ष 2019 लोकसभा चुनाव में भी तीन ही पार्टियां थीं।
सभी घटक दलों को शामिल करने से संख्या बढ़ी
मोदी 3.0 मंत्रिमंडल में बिहार से आठ मंत्रियों को शामिल करने की मुख्य वजह केंद्र की सरकार में बिहार के सभी घटक दलों को भागीदारी देना है। हालांकि चर्चा थी कि भाजपा और जदयू को चूंकि 12-12 सीटों पर जीत मिली है इसलिए बिहार फार्मूले के तहत सरकार में भागीदारी भी समान होगी। अटकलें दोनों दलों से 4-4 सांसदों को मंत्री बनाने की लगाई जा रही थी।
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हालांकि, भाजपा ने भी अपने कोटे से पूर्व की दो सरकार की तुलना में एक संख्या घटाई और चार नेता को ही मंत्री बनाया है, वहीं जदयू को अभी 2 सीट मिली है। चिराग और मांझी को शामिल करने से यह संख्या 8 तक पहुंच गई है। एनडीए सूत्रों की चर्चा के मुताबिक आने वाले समय में बिहार की भागीदारी और बढ़ सकती है, खासतौर से जिस समाज को मौका नहीं मिला है, उसके सांसद की इंट्री आगे हो सकती है। इनमें राजपूत, लव-कुश और वैश्य समाज के सांसद हो सकते हैं। ऐसे में जदयू के कोटे से एक-दो राज्यमंत्री आगे बनाए जा सकते हैं।