मोगा की MLA के घर के बाहर प्रदर्शन: किसान बोले- CM मान बैठक छोड़कर गए, नई कृषि नीति हमारे खिलाफ – Moga News

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मोगा की MLA के घर के बाहर प्रदर्शन:  किसान बोले- CM मान बैठक छोड़कर गए, नई कृषि नीति हमारे खिलाफ – Moga News

मोगा की MLA के घर के बाहर प्रदर्शन: किसान बोले- CM मान बैठक छोड़कर गए, नई कृषि नीति हमारे खिलाफ – Moga News

मोगा की विधायक डॉ. अमनदीप कौर अरोड़ा के घर के बाहर किसान।

पंजाब में किसान आंदोलन एक बार फिर तेज हो गया है। किसानों ने आम आदमी पार्टी के विधायकों के घरों के बाहर धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया है। उन्होंने इसका कारण मुख्यमंत्री भगवंत मान का चंडीगढ़ में किसानों के साथ चल रही बैठक को बीच में छोड़कर जाना बताया।

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संयुक्त किसान मोर्चा के नेतृत्व में किसानों ने मोगा की विधायक डॉ. अमनदीप कौर अरोड़ा सहित पूरे प्रदेश में विधायकों के घरों के बाहर स्थायी धरना शुरू किया है। किसान नेताओं का कहना है कि मुख्यमंत्री मान ने बैठक छोड़ने के बाद किसानों पर सड़कें जाम करने और लोगों को परेशान करने का आरोप लगाया।

किसान नेताओं ने बताया कि उनकी मांगें पंजाब से जुड़ी थीं। वे केंद्र सरकार की नई कृषि नीति का विरोध कर रहे हैं। इस नीति के तहत निजी कंपनियों को फसल खरीद का अधिकार मिलेगा। किसानों का मानना है कि इससे मंडी बोर्ड की व्यवस्था कमजोर होगी। पहले आढ़तियों की मौजूदगी में फसल बिक्री की प्रक्रिया पारदर्शी थी। नई व्यवस्था में किसानों को भुगतान के लिए परेशान होना पड़ सकता है।

टैक्स सीधा निजी कंपनियों के पास चला जाएगा पहले हमें कृषि उपज पर 8.5 का मंडी टैक्स मिलता था, जिससे गांवों की सड़कें बनती थीं। लेकिन अब यह टैक्स सीधा निजी कंपनियों के पास चला जाएगा, जिससे उन्हें करीब 180 रुपए प्रति क्विंटल का अतिरिक्त फायदा होगा। यदि सरकार अपनी खरीद बंद कर दे और निजी कंपनियां अपने ग्राहकों को छूट देना शुरू कर दें, तो सारी खरीद शक्ति उन्हीं के पास चली जाएगी।

इसका सीधा असर मंडीकरण बोर्ड के खात्मे पर पड़ेगा। हम समझते थे कि जो खुद को शहीद भगत सिंह का वारिस कहता है, वह किसानों के आंदोलन के महत्व को समझेगा। लेकिन आंदोलन तो दिल्ली में आम आदमी पार्टी और अरविंद केजरीवाल ने भी किया था, जब वे धरने पर बैठे थे।

हम आंदोलन करने नहीं गए थे, हम तो बैठक के लिए गए थे। हमने पहले चंडीगढ़ में मोर्चा लगाने की योजना नहीं बनाई थी, लेकिन अब जब यह स्थिति बनी है, तो हमारी सबसे बड़ी मांग है कि नदियों के पानी से जुड़े अधिकारों को खत्म न किया जाए।हम इस ढांचे को बनाए रखना चाहते हैं, जबकि कॉरपोरेट सेक्टर सहकारी समितियों और सहकारी प्रणाली को खत्म करना चाहता है।

हम इसे बचाना चाहते हैं, इसलिए हम मांग कर रहे हैं कि सदस्यता बहाल की जाए। आने वाले समय में, 15 तारीख को SKM (संयुक्त किसान मोर्चा) की बैठक होगी। हमारी नेतृत्व टीम सोच-समझकर जो भी फैसला लेगी, किसान संगठन पूरी तरह उसका पालन करेंगे।

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