मैट्रिक रिजल्ट : राज्यभर के 9276 में से 6543 स्कूलों में एक भी छात्र फेल नहीं
मैट्रिक रिजल्ट 2023 में भले तीन लाख से अधिक विद्यार्थी असफल हुए हैं, लेकिन राज्यभर के 9276 में से 6543 ऐसे स्कूल हैं जहां पर एक भी छात्र फेल नहीं हुए हैं। इन स्कूलों का मैट्रिक रिजल्ट सौ फीसदी रहा है। इन स्कूलों में लगभग आठ लाख 17 हजार छात्र-छात्राएं शामिल हैं।
राज्यभर के 2456 ऐसे स्कूल हैं, जहां पर 80 फीसदी छात्रों को 90 फीसदी से अधिक अंक प्राप्त हुए हैं। इस बार मैट्रिक परीक्षा में कुल 9276 स्कूलों के 13 लाख दस हजार से अधिक छात्र-छात्राएं शामिल हुए थे।
इन जिले के स्कूलों की संख्यां अधिक
सौ फीसदी रिजल्ट देने वालों में पटना, भागलपुर, मुजफ्फरपुर, गया, गोपालगंज, रोहतास, मधुबनी, सहरसा, मधेपुरा, सीवान, पूर्वी चंपारण आदि जिलों के स्कूलों की संख्या ज्यादा है। बोर्ड सूत्रों के अनुसार, इस बार सौ फीसदी रिजल्ट देने वाले 20 फीसदी स्कूल बढ़े हैं। ज्यादातर स्कूलों में 50 से 70 फीसदी अंक प्राप्त करने वाले छात्र हैं। वहीं 30 फीसदी तक तृतीय स्थान भी छात्रों को मिला है।
– पिछले कई सालों से बेहतर हुआ है रिजल्ट
बता दें कि बिहार बोर्ड ने मैट्रिक रिजल्ट जारी कर दिया है। इस बार पिछले कई सालों से बेहतर रिजल्ट हुआ है। जहां प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण छात्रों की संख्या बढ़ी है। वहीं फेल करने वाले छात्रों की संख्या में कमी आई है। बिहार बोर्ड ने प्रश्न पत्र में सकारात्मक बदलाव से रिजल्ट में बेहतर हुआ है। खासकर बहुविकल्पीय प्रश्न और प्रश्न पत्र में सौ फीसदी विकल्प देने से छात्र सारे प्रश्न का जबाव दे पाते हैं। हर एक प्रश्न का एक विकल्प रहता है। इससे छात्र जो भी चैप्टर अच्छे से पढ़े है। उसका उत्तर वो अच्छे से दे पाते हैं। प्रश्न पत्र में यह बदलाव बिहार बोर्ड ने 2020 की परीक्षा में किया। इसके बाद से पास परसेंटेज बढ़ने लगा है।
– रिजल्ट के आधार पर मिलता है अनुदान
सौ फीसदी रिजल्ट देने का फायदा उन स्कूलों को होगा, जिन्हें सरकार रिजल्ट के आधार पर अनुदान देती है। इसमें प्रथम, द्वितीय और तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले छात्रों की संख्या के आधार पर अनुदान मिलता है।
सौ फीसदी रिजल्ट देने वाले दस जिले
जिला स्कूलों की संख्या
पटना 343 (सभी 13 अल्पसंख्यक स्कूल शामिल)
भागलपुर 320
गया 245
मुजफ्फरपुर 345
गोपालगंज 232
रोहतास 123
मधुबनी 239
सहरसा 218
मधेपुरा 194
पूर्वी चंपारण 154
कोट
यह एक बड़ा बदलाव है। बिहार बोर्ड की ओर से तैयार प्रश्न पत्र बच्चों के सुविधानुसार होता है। इससे परीक्षा का डर बच्चों में खत्म हुआ है। विकल्प वाले प्रश्न रहने से बच्चों के प्रश्न छूटते नहीं हैं और वो सारे प्रश्न का जवाब देते हैं।
केसी सिन्हा, शिक्षाविद
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